बाराबंकी: प्रधानों की जेब पर भारी पड़ रहे मृत मवेशी
देवा,बाराबंकी, अमृत विचार। किसान पथ से लेकर मुख्य मार्गों पर आए दिन दुर्घटना में मरने वाले गोवंशीय पशुओं के शव निष्पादन करने में ग्राम प्रधानों की जेब ढीली हो रही है। अधिकारियों के दबाव में इसका खर्च वहन करना प्रधानों की मजबूरी है।
राजधानी लखनऊ की सीमा से सटे देवा ब्लॉक के अधिकांश गांव किसान पथ व मुख्य मार्गों के इर्द-गिर्द आते हैं। इन गांवों के सामने स्थित मुख्य मार्गों पर अक्सर दुर्घटना में गोवंशीय पशुओं की मौत हो जाती है। जिसकी सूचना मिलने पर जिले से लेकर ब्लॉक प्रशासन संबंधित पंचायत सचिवों व ग्राम प्रधान को निस्तारण का निर्देश तो जरुर देता है। लेकिन मृत पशुओं के निस्तारण में होने वाले हजारों रुपए खर्च का ग्राम पंचायत के पास कोई मद नहीं होता है।
अधिकारियों के आदेश पालन के क्रम में सचिव व प्रधान मृत गोवंशों का शव निष्पादन तो करा रहे हैं लेकिन इसमें उनकी जेब से पैसा खर्च होने का उन्हें बड़ा मलाल है। नाम न छापने की शर्त पर विकास खण्ड देवा के एक ग्राम प्रधान ने बताया कि बीते अगस्त माह में दुर्घटना में एक गोवंशीय पशु की मौत हो गई थी। इसके बाद ब्लॉक प्रशासन के निर्देश पर निजी मदों से जेसीबी बुलाकर पशु को वहां से हटाने के बाद एक भूमि पर गड्ढा खोदकर उसका निस्तारण कराया। जब इस सम्बंध में उस ग्राम पंचायत सचिव से इसमें होने वाले खर्च के मद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। एडीओ पंचायत विजय कुमार सैनी से जानकारी ली गई तो बीडीसी से जानकारी करने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
देवा के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. खिलाड़ी शंकर ने बताया कि शासन के निर्देशों के अनुसार गोवंशों को पकड़वाने और उनके अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत और नगर पंचायत की होती है इसका खर्च किस मद से होता है इसकी जानकारी नहीं है। यह ब्लॉक के अधिकारी या सचिव ही बता सकते हैं।
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