बाराबंकीः बारिश के कई रंग, महंगी की थाली तो धान के लिए वरदान

बाराबंकीः बारिश के कई रंग, महंगी की थाली तो धान के लिए वरदान

बाराबंकी, अमृत विचारः चलाचली की बेला में मानसून की बारिश एक साथ कई रंग दिखा रही है। इस माह के 13 दिनों में करीब 100 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। अचानक तेज बारिश होते ही जमुरिया नाला किनारे बसने वालों के रोंगटे खड़े हो जा रहे, बाकी आबादी भी बीते साल के सितंबर माह को याद करके आधी हुई जा रही। ग्रामीण इलाके की ओर चलें तो किसान इस बारिश से काफी खुश हैं। थोड़ा-थोड़ा ही सही पर पानी खेतों में एकत्र होकर धान की फसल को ताकत देता जा रहा वरना गुजरे साल अब तलक फसल भीषण बारिश व आंधी के चलते लेट गई थी। बारिश का एक और असर थाली पर भी पड़ रहा, सब्जियों के बढ़े रेट आमजन के स्वाद को बिगाड़ रहे हैं, लगातार बारिश से जहां सब्जियां खराब हो रहीं वहीं बाजार तक पहुंच कर इनके रेट मनमाने हुए जा रहे।

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2021, 2022 और 2023 में बारिश के रिकार्ड पर गौर किया जाए तो इन वर्षों में पूरे मौसम की बारिश केवल सितंबर माह में हो गई। जुलाई अगस्त उमस से तपते रहे पर मेघा बरसने को राजी नहीं हुए, किसान बेहाल हुआ, फसल तबाह हुई, आमजन उमस से बिलबिला गए पर इंद्रदेव नहीं पसीजे। वहीं सितंबर माह के शुरू होते ही ऐसा रीझे कि शहरवासियों को जमकर भिगोया, लोगों ने खूब जलभराव की समस्या झेली, असदनगर, खलरिया, दशहराबाग जैसे इलाकों की आबादी महीने भर तक पानी के बीच रही। जमुरिया नाला ऐसा उफनाया कि किनारे रह रहे लोगों को अन्यत्र शरण लेनी पड़ी। ग्रामीण इलाकों में किसानों को बनाया और बिगाड़ा भी, जिनकी धान की फसल तैयार हो चुकी थी उन्हे भीषण बारिश और आंधी से तबाह कर दिया। वहीं जिन्होने तैयारी की ही थी वह कहर से बच गए। जिले में कई स्थानों पर ओलावृष्टि भी हुई। एक साथ भीषण बारिश ने खान पान पर गहरा असर डाला। वर्तमान में 2024 चल रहा और माह है सितंबर। गुजरे सालों और इस साल में अंतर इतना ही है कि इस बार बारिश का मौसम जुलाई माह से ही लग गया था। थोड़ा थोड़ा ही सही पर बारिश होती रही इसलिए सितंबर माह में एक साथ भीषण बारिश की संभावना कम हो गई। इसके बावजूद जमुरिया किनारे की आबादी यह महीना शुरू होते ही भयाक्रांत हो गई थी।  

महंगी हुई सब्जियां, आसमान चढ़े भाव
रूक रूक कर ही सही पर जुलाई से जारी बारिश ने खान पान पर खासा असर डाला है। इस समय क्या फल और क्या सब्जी, सभी के रेट बढ़े हुए हैं। मंडी भाव चाहे जो हो पर बाजार पहुंचते ही सब्जियों के रेट ऊंचे हुए जा रहे। इस समय आलू 40 रुपये किलो, टमाटर 30 रुपये किलो, तोरई 30 रुपये, लौकी 20 रुपये, शिमला मिर्च 100 रुपये, अदरक 120 रुपये, धनिया 120, भिंडी 60, मूली का साग 40, प्याज 60, लहसुन 350, हरा मिर्च 50 रुपये किलो बिक रहा है। लोगबाग इस समस खान पान में समझौता करके चल रहे हैं। बात दाल की ही कर ली जाए तो अरहर की दाल 160 रुपये किलो बिक रही है। इसके अलावा केला, सेब, अनार आदि फलों के रेट भी चढ़े हुए हैं। दामों में कमी न आने की वजह बारिश ही है वरना गुजरे सालों में सितंबर की बारिश के पहले किसी का बजट नहीं बिगड़ा था। 

रह रह कर उठ रही अफवाहें, जमुरिया शांत
2023 के सितंबर माह की 11 तारीख शायद ही कोेई भूला होगा, खासकर जमुरिया उफनाने के बाद इसके कहर का शिकार हुई हजारों की आबादी, जिन्हे घर तो छोड़ना ही पड़ा, उस पर गृहस्थी का नुकसान अलग से उठाया। इस साल में सितंबर माह खासकर जैसे ही 11 तारीख का दिन आया, लोग दहशत में आ गए। उस पर जिला प्रशासन की 24 घंटे बारिश की चेतावनी ने उन्हे अवाक कर दिया। संभावित बाढ़ से निपटने की तैयारी वाले वीडियो से लोग सिहर गए। लोगों ने अपना सामान बांध लिया था, घर छोड़ने की तैयारी पूरी थी पर हालात वैसे नहीं बने, इसलिए वह फिलहाल ठहर हुए हैं। इसके बावजूद दहशत कम नहीं हुई है। गुरूवार की शाम जैसे ही जमकर बारिश हुई लोगों के चेहरों की हवाइयां उड़ने लगी थीं पर इसके बाद बारिश का सिलसिला थमने पर इन लोगों ने राहत की सांस ली। इस बीच जमुरिया में पानी बढ़ा था पर फिलहाल वह शांत है। 

उपकृषि निदेशक प्रसार श्रवण कुमार ने बताया कि सब्जियों के उत्पादन में बाराबंकी अग्रणी है पर बारिश इनकी सेहत के लिए बाधा बन रही है। अगर प्रोसेसिंग की व्यवस्था दुरुस्त हो जाए तो सब्जियां खराब होने से बच जाएं। रही बात हो रही बारिश की तो यह धान की फसल के लिए बहुत ठीक है। किसानों को समय पर अपेक्षित पानी मिल रहा है।

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