इस दिन मनाया जाएगा गणपति विसर्जन व विश्वकर्मा पूजा अनंत चतुर्दशी, जानें- पूजन की विधि और शुभ मुहूर्त

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर, अमृत विचार। भगवान विष्णु काे अतिप्रिय अनंत चतुर्दशी का व्रत व पूजा व बाबा विश्वकर्मा पूजा व गणपति विसर्जन भी 17 सितंबर को ही होगा विश्वकर्मा इस ब्रह्मांड के रचयिता हैं पूरे श्रद्धा, विधि-विधान के साथ विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना की जाए तो जीवन एवं घर में उन्नति व व्यापार में आने वाली कठिनाई दूर होकर धन-संपदा आने लगती है ।

संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिष सेवा संस्थान के आचार्य पवन तिवारी ने बताया कि ऋग्वेद में विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का दिव्य वास्तुकार और दिव्य रचनात्मकता का अवतार माना जाता है। उन्हें कृष्ण के लिए द्वारका शहर , पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ का महल और देवताओं के लिए कई शानदार हथियार बनाने का श्रेय दिया जाता है, जैसे कि विष्णु का सुदर्शन चक्र , शिव का त्रिशूल और कार्तिकेय का भाला। उन्हें यांत्रिकी और वास्तुकला के विज्ञान, स्थापत्य वेद का लेखक भी माना जाता है। उन्हें सभी कारीगरों का संरक्षक देवता माना जाता है, विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर अक्सर उनके सम्मान में व्यापार के औजारों की पूजा की जाती है। 

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विश्वकर्मा पूजा रवि योग में है 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा के दिन रवि योग सुबह 6:07 मिनट से प्रारंभ है, जो दोपहर 1:53 मिनट तक है। भगवान विष्णु को अति प्रिय अनंत पूजा के दिन भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करना शुभ है अनंत की 14 गांठों को 14 लोकों का प्रतीक माना जाता है  अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में 14 लोक तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुव:, स्व:, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी इन लोकों के पालन एवं रक्षा करने के लिए स्वयं भी 14 रूपों में प्रकट हुए थे। अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने एवं अनंत फल देने वाला होता है वहीं अनंत डोर की हर गांठ की भगवान विष्णु के नामों से पूजा की जाती है पहले अनंत, फिर पुरुषोत्तम, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, बैकुंठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर एवं गोविंद की पूजा होती है।

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