सहकारिता विभाग भर्ती: एसआईटी जांच में क्लिनचिट मिलने के बाद भी पदोन्नति और स्थायीकरण का नहीं खुला रास्ता
9 साल से नियमितिकरण की राह देख रहे सहकारिता विभाग में सेवाएं दे रहे 2324 कर्मचारी
सुनील कुमार मिश्र/अमृत विचार, लखनऊ: सपा सरकार में वर्ष 2015 से 2017 के बीच सहकारिता विभाग में अलग-अलग पदो पर नियुक्ति पाए 2324 कर्मचारियों के नियमितिकरण और पदोन्नति का रास्ता अभी साफ नहीं हो सका। भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की जांच कर रही एसआईटी से क्लिनचिट मिलने के बाद इनकी सेवाएं जारी रखी गईं, लेकिन वेतन वृद्धि से लेकर सेवा की अन्य शर्तों को विभाग पूरा नहीं कर रहा है। हालात यह है कि कर्मचारी अपनी समस्या को लेकर अगर शासन का दरवाजा खटखटा रहे तो उन्हें विभागीय स्तर पर बर्खास्त करने की धमकी मिल रही है।
वर्ष 2015 से 2017 के बीच सहकारिता विभाग की सात अलग-अलग संस्थाओं में 2324 पदों पर भर्तियां की गई थी। इसके लिए उप्र सहकारी संस्थागत सेवा मंडल की तरफ से विज्ञापन जारी कर बाकायदा परीक्षा आयोजित कराई गई थी। परीक्षा पास करके चयनित हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई थी। 2017 में भाजपा सरकार बनने के साथ ही इस भर्ती में घोटाले की आशंका जताकर जांच प्रचलित कर दी गई। जांच की जिम्मेदारी विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपी गई। करीब चार साल की पड़ताल में एसआईटी ने चयनित अभ्यर्थियों को क्लिनचिट देते हुए भर्ती प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों को दोषी माना। एसआईटी ने सेवामंडल के तत्कालीन चेयरमैन ओमकार यादव, अध्यक्ष रामजतन यादव, सचिव भूपेन्द्र विश्नोई, तत्कालीन प्रबंध निदेशक यूपी कोऑपरेटिव बैंक आरके सिंह सहित एक दर्जन से अधिक विभागीय अधिकारियों के खिलाफ 20 मई 2021 को प्राथमिकी दर्ज करा दी। वर्ष 2022 में एसआईटी ने सभी दोषियों के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया। एसआईटी जांच में क्लिनचिट मिलने के बाद चयनित अभ्यर्थियों को उनके पदो पर सेवारत रखने का आदेश शासन की तरफ से जारी हो गया। करीब नौ साल से सभी कर्मचारी उसी वेतन और पर पद पर कार्यरत हैं जिसपर उनकी नियुक्ति हुई थी। इस दौरान खाली हुए पदों के सापेक्ष उन्हें पदोन्नति तक का लाभ नहीं दिया गया। एसआईटी जांच पूरी होने के बाद अभी तक इन कर्मचारियों के नियमितिकरण पर कोई विचार नहीं किया।
इन विभागों में हुई थी नियुक्तियां
सेवा मंडल की ओर से आयोजित परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को यूपी कोऑपरेटिव बैंक, यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक, जिला सहकारी बैंकों, पीसीसीएफ एवं उत्तर प्रदेश राज्य भंडारागार निगम में नियुक्तियां मिली हैं। उप प्रबंधक, कनिष्क सहायक, सहायक शाखा आंकिक, असिस्टेंट अकाउंटेंट, सहायक प्रबंधक, कैशियर, शाखा प्रबंधक और टंकण आदि पदों पर इनकी भर्तियां हुई हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा सहकार भारती के पूर्व महामंत्री वीरेन्द्र पांडेय ने भर्ती प्रक्रिया में घोटाले का आरोप लगाया था। उन्होंने शासन को पत्र भेजकर आरोप लगया था कि परीक्षा के ओएमआर शीट में बड़े पैमाने पर हेराफेरी करके चहेते अभ्यर्थियों को पास कराया गया है। हालांकि एसआईटी ने इसके लिए केवल अधिकारियों को दोषी माना और पास अभ्यर्थियों की सेवा जारी रखने की सिफारिश की थी। उप्र सहकारी ग्राम बैंक कर्मचारी संयुक्त परिषद के पदाधिकारियों का कहना है कि कर्मचारियों को नियमितकरण, वेतन वृद्धि, पदोन्नति से वंचित रखने के बावजूद इनसे चुनाव ड्यूटी सहित हर तरह के सार्वजनिक क्षेत्र में सेवा ली जा रही है। कोरोना काल में इन्हें अन्य कर्मचारियों की तरह अवकाश का लाभ नहीं दिया गया। सरकार इन्हें बतौर संविदाकर्मी तैनात रखकर इनके साथ भेदभावपूर्ण बर्ताव कर रही है।