पीलीभीत: अरे! पंजीकरण निरस्त, फिर भी चल रहा निजी अस्पताल...ब्लड लेने पहुंचते ही उठ गए सवाल

पीलीभीत: अरे! पंजीकरण निरस्त, फिर भी चल रहा निजी अस्पताल...ब्लड लेने पहुंचते ही उठ गए सवाल
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पीलीभीत, अमृत विचार। पंजीकरण निरस्त होने के बाद भी एक निजी अस्पताल अवैध रुप से संचालित होता पाया गया। इसकी पुष्टि भर्ती एक मरीज को ब्लड की जरुरत पड़ने पर वहां से जारी किए गए पर्चे से हो गई। पंजीकरण निरस्त होने की वजह से ब्लड बैंक से वहां भर्ती मरीज को ब्लड नहीं दिया गया। मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद खलबली मच गई। अब इस मामले में सीएमओ अस्पताल की जांच कराकर कार्रवाई करने की बात कही है।

बता दें कि  बीते माह बरखेड़ा के दौलतपुर निवासी अमित गुप्ता ने अपनी पत्नी रानी के इलाज में लापरवाही की शिकायत करते हुए निजी अस्पताल के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी। जांच में कृष्णा अस्पताल के स्टाफ को दोषी पाया गया था। जांचधिकारी की संस्तुति के आधार पर कृष्णा अस्पताल का पंजीयन निरस्त कर दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद अस्पताल में मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। बताते हैं कि शुक्रवार को ग्राम सिरसा सरदाह निवासी शकुंतला देवी को अस्पताल में भर्ती किया गया। शकुंतला के शरीर में खून की कमी सामने आई, जिस पर अस्पताल की चिकित्सक ने खून का इंतजाम करने को कहा। मरीज के तीमारदार ब्लड बैंक में एक यूनिट रक्त, एक यूनिट पीआरबीसी व दो बैग एफएफपी लेने पहुंचे। फार्म पर कृष्णा अस्पताल की मुहर के साथ डॉक्टर के हस्ताक्षर पाए गए।  ब्लड बैंक के पास मौजूद सूचना के मुताबिक कृष्णा अस्पताल का पंजीयन निरस्त हो चुका था। इस कारण मरीज के तीमारदार को नियमों के तहत ब्लड नहीं दिया गया। इसके बाद अन्य ब्लड बैंक से भी तीमारदार को लौटा दिया गया। इसका मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद खलबली मच गई। अब इस मामले में सीएमओ की ओर से जांच कमेटी कर जांच शुरु करा दी गई है। हालांकि एक अन्य युवक के द्वारा पोर्टल पर मामले की शिकायत भी दर्ज कराई गई है।      

पंजीयन निरस्त होते ही फिर कर दिया नया आवेदन
नियमों को ताक पर रखकर अवैध रूप से अस्पताल चलाने वालों के हौसले बुलंद हैं। कृष्णा हॉस्पिटल का पंजीकरण निरस्त हुए कुछ माह का ही समय बीता कि चिकित्सक ने पैनल बदलते हुए एक बार फिर आवेदन कर दिया। हालांकि नए आवेदन में भी अस्पताल का नाम कृष्णा अस्पताल ही रखा गया है। नए आवेदन में शामिल चिकित्सक पूर्व में पंजीयन निरस्त होने के दौरान भी इसी अस्पताल के पैनल में शामिल थे। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

इस मामले में कोई भी लिखित शिकायत अभी तक नहीं आई है। फिलहाल सोशल मीडिया के माध्यम से मामले की जानकारी प्राप्त हुई है। इसलिए इस प्रकरण में जांच कराई जा रही है।  रिपोर्ट आते ही कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. आलोक कुमार, सीएमओ

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