महाकुंभ 2025: जानिए त्रिवेणी में कौन सा घाट कितना खूबसूरत, रोज दिखता है अद्भुत नजारा

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Published By Vishal Singh
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घाटों पर होती है रोज भव्य आरती 

मिथलेश त्रिपाठी/प्रयागराज, अमृत विचार। संगम नगरी प्रयागराज में कुंभ का मेला लगने जा रहा है जोकि संगम नदियों के किनारे लगता है। प्रयागराज का सबसे प्रमुख घाट संगम घाट है, जिसे त्रिवेणी घाट के नाम से भी जाना जाता है। इसे त्रिवेणी इसलिए कहते हैं क्योंकि यहां तीन नदियां – गंगा, यमुना और सरस्वती – का संगम होता है। ऐसे में इन तीन नदियों के मिलाप का अपना अलग महत्व है। यहां मृत्यु के बाद भी लोग प्रयाग में ही मोक्ष पाने की कामना करते है। प्रयागराज की इस पावन गंगा तट पर कई घाटों का विशेष महत्व है। जिन्हें अलग अलग नामों से जाना जाता है। महाकुंभ की तैयारी को लेकर इस सभी घाटों को तेजी से संवारा जा रहा है। 

प्रयागराज संगम महाकुंभ 2025 को बसाने की तैयारियां अब अंतिम पड़ाव पर हैं। भूमि बांटे जाने के बाद अब संगम की रेती पर साधु-संतों का आना भी शुरु हो गया है। माना जा रहा है कि दिसंबर के आखिरी महीने में मेला प्रशासन इन तंबुओं की नगरी को बसाने में कामयाब हो जाएगी। वहीं पवित्र गंगा-यमुना में पुण्‍य की डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रयागराज में विभिन्न घाटों को भी संवारा जा रहा है। जिससे महाकुंभ में आने वाली भीड़ को विभिन्न घाटों पर स्नान कराया जा सके।  

किन-किन घाटों पर होगा स्नान महाकुंभ में स्‍नान के लिए संगम में विभिन्न घाटों को तेजी से संवारा जा रहा है। यहां आने वाले श्रृद्धालु किन किन घाटों पर अस्था की डुबकी लगाएंगे, इसकी भी तैयारी मेला प्रशासन ने पूरी कर ली है। जिससे मेले में आने वाली भीड़ को सही तरीके से स्नान कराया जा सके। सभी घाटों पर बोरियों को बिछाकर जमीनों को बराबर करा दिया गया है। घाटों पर बैरिकेडिंग भी लगा दी गयी है। घाट पर सफाई का विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 

महाकुंभ में कब से कब तक चलेगा मेला
महाकुंभ में इस बार 13 जनवरी 2025 से शुरुआत हो रही है। मेले का समापन 26 फ़रवरी को महाशिवरात्रि पर होगा। इस बार महाकुंभ 45 दिनों का होगा। मेले को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए पूरा प्रशासनिक अमला शिद्द्त से जुटा हुआ है। 

पांच प्रमुख घाटों पर होगा स्नान
महाकुंभ में इस बार मेला प्रशासन ने बड़ी तैयारी की है। मेले में पांच प्रमुख घाटों को तैयार किया जा रहा है। इसके लिए गंगा के किनारे पांच प्रमुख घाटों को व्यवस्थित किया जा रहा है। जिसमें संगम घाट यानी त्रिवेणी घाट मुख्य रूप से शामिल है। यह घाट गंगा-यमुना वह सरस्वती के मिलाप के बाद संगम बना है। इसे त्रिवेणी घाट भी कहते हैं। संगम में स्नान करने से तीन नदियों का फल प्राप्त होता है। 

कौन है प्रमुख घाट
(राम घाट)
संगम के किनारे ही राम घाट बना हुआ है। संगम से यह थोड़ी दूर पर बना हुआ है। इस घाट पर लोग स्नान तो करते ही है साथ में भगवान राम का नाम लेकर बालू से शिवलिंग बनाकर पूजन भी करते है। कहा जाता है कि यहां शिवलिंग बनाकर पूजा करने से रामेश्वरम महादेव के दर्शन का फल प्राप्त होता है। 

(अरैल घाट)
यमुना नदी के तट पर अरैल घाट बना हुआ है। जो प्राकृतिक दृष्टि और सुंदरता के साथ है काफी शान्त प्रिय स्थान है। महाकुंभ को लेकर यह घाट इन दिनों काफी संवारा जा रहा है। अरैल घाट पर कई तपस्वी और संतो के बड़े आश्रम भी स्थित है। जहां सुबह से शाम तक वैदिक मंत्र के बीच पूजन और शंखनाद होता है। जिससे पूरा क्षेत्र भक्तिमय रहता है। 

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