मौजूदा दौर में अदबी आर्केस्ट्रा में बदल गए हैं मुशायरे, आने वाले वक्त में सिर्फ शायरी बचेगी : मंजर भोपाली

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Published By Bhawna
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मुशायरों में 10-10 लाख लेने वाले 10 कौड़ी के भी नहीं बचेंगे,

47 साल में पूरी दुनिया का सफर कर लेने वाले मंजर भोपाली का न तो मकसद बदला है न तरीका

शबाहत हुसैन विजेता, अमरोहा। मुल्क में एकता कायम रखने और मोहब्बत के प्रसार की भावनाओं वाली अपनी शायरी के साथ पिछले 47 साल में पूरी दुनिया का सफर कर लेने वाले मंजर भोपाली का न तो मकसद बदला है न तरीका। वो जोड़ने वाली शायरी का दामन किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

अमृत विचार की ओर से अमरोहा में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरे में शिरकत करने आये मंजर भोपाली ने इस बात पर बेहद तकलीफ जताई कि जो मुशायरे पहले तहजीब की क्लास हुआ करते थे वो अब अदबी आर्केस्ट्रा में बदल गए हैं। मंच पर सब कुछ आर्केस्ट्रा जैसा ही है, सिर्फ हारमोनियम और तबले की कमी बाकी बची है। उन्होंने कहा कि यह तकलीफदेह बात है कि अब हम अपने बच्चों के लिए अदब कहां से तलाशें। मंच पर तो अब नारेबाजी की शायरी है, नजराना तय किया जा रहा है, असली शायर इस माहौल में फिट नहीं हो पाता।

अदब के मंच पर आधी सदी में बदलाव के सवाल पर वह बोले कि शायर का काम सिर्फ शायरी होना चाहिए। जब तक अली सरदार जाफरी, कैफ़ी आज़मी, निदा फाजली, सरदार महेंद्र सिंह, कृष्ण बिहारी नूर, बशीर बद्र और शहरयार जैसे लोग थे, मंच बचा हुआ था। वक्त के साथ मुशायरों पर सियासत हावी हो गई। इन हालात के लिए शायर और सामइन (सुनने वाले) दोनों बराबर के जिम्मेदार हैं।

मंजर भोपाली से जब यह पूछा गया कि अब तो मुशायरे 10-10 लाख रुपये दिला देते हैं तो वह बोले कि 10 लाख लेने वाले 10 कौड़ी के नहीं बचेंगे। आने वाले वक्त में सिर्फ शायरी ही बाकी बचेगी। जो दौर मजरूह और निदा फाजली ने जिया है यह उसकी धूल भी हासिल नहीं कर पाएंगे। वह कहते हैं - आ जायेगा जब वक्त तो मोहलत नहीं देगा, ए बिगड़े हुए लोगों सुधर क्यों नहीं जाते। वह कहते हैं कि शायरी के मंच ही क्यों समाज में तो सब कुछ बदल गया है, आप देखिए, मैंने इस तरह से देखा है - उनके कूचे में अब कैमरे लग गए, उनके घर आना-जाना कठिन हो गया, मैं कहां हूं यह गूगल को मालूम है, उनसे करना बहाना कठिन हो गया।

मंजर भोपाली अपनी शायरी के जरिये अमरीका में 37 बार भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अमरीका ने उन्हें अपनी नागरिकता तक दी। उन्होंने आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, नार्वे, एम्स्टर्डम, कनाडा, पाकिस्तान, दुबई, शारजाह, सिंगापुर, कुवैत, सऊदी अरब, कतर, ओमान, अफ्रीका और मलेशिया आदि देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

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