पीलीभीत: बिजनौर के 20 बाघमित्रों का दल प्रशिक्षण लेने पीटीआर पहुंचा, कम होगी दुश्वारियां

Amrit Vichar Network
Published By Pradeep Kumar
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पीलीभीत, अमृत विचार। बिजनौर में बढ़ते मानव-तेंदुआ संघर्ष को लेकर बिजनौर के बाघ मित्रों का 20 सदस्यीय दल तीन दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण के तहत पीलीभीत टाइगर रिजर्व पहुंच गया। पहले दिन बाघ मित्र जंगल भ्रमण के बाद बाघ प्रभावित गांव चौड़ाखेड़ा पहुंचे और उत्पन्न स्थिति को जाना। दोपहर बाद महोफ रेंज पहुंचकर स्थानीय बाघमित्रों से वार्तालाप की और उनके तौर-तरीकों से रूबरू हुए।

करीब 42 लाख की आबादी वाला बिजनौर जिला इन दिनों तेंदुओं के आतंक से घिरा चल रहा है। कृषि बाहुल्य जिले में गन्ने की जमकर पैदावार होती है। यह जिला अमानगढ़ टाइगर रिज़र्व, हस्तिनापुर वन सेंचुरी एवं जिम कॉर्बेट पार्क से भी सटा है। ऐसे में यहां तेंदुओं की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होने के साथ ही मानव-तेंदुआ संघर्ष की घटनाओं भी तेजी से इजाफा हो रहा है। वन अफसरों के मुताबिक पिछले डेढ़ से दो साल के बीच बिजनौर में 70 से अधिक तेंदुए रेस्क्यु किए जा चुके हैं, साथ ही 20 से अधिक लोग तेंदुओं के हमले में जान गंवा चुके हैं। हालांकि बिजनौर में भी पीलीभीत टाइगर रिजर्व का बाघ मित्र मॉडल लागू किया जा चुका है, मगर बाघ मित्र कार्यक्रम कारगर साबित नहीं हो रहा है। बढ़ते मानव-तेंदुआ संघर्ष को कम करने के उद्देश्य से पिछले दिनों विश्व प्रकृति निधि द्वारा बिजनौर के बाघमित्रों को पीलीभीत टाइगर रिजर्व बुलाकर उन्हें प्रशिक्षित करने की योजना बनाई गई थी। इसी क्रम में बीते सोमवार को बिजनौर के बाघ मित्रों का 20 सदस्यीय दल बाघ मित्र कार्यक्रम की बारीकियां सीखने पीलीभीत टाइगर रिजर्व पहुंचा। यह दल सामाजिक वानिकी वन प्रभाग बिजनौर के वन क्षेत्राधिकारी गोविंदराम के नेतृत्व में यहां पहुंचा था।  इस दौरान महोफ रेंज के क्षेत्रीय वनाधिकारी सहेंद्र यादव, अरुण मोहन श्रीवास्तव, धामपुर से वन क्षेत्राधिकारी गोविंद राम ने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन विश्व प्रकृति निधि के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार ने किया।

बाघ विचरण क्षेत्र में पहुंच देखी स्थिति, पौधरोपण भी किया
मंगलवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ बिजनौर के बाघ मित्रों ने पौधरोपण कर किया। बाघ मित्रों ने गांव पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सीमा से सटे गांव सेल्हा में पौधरोपण किया। गांव सेल्हा समेत जंगल का भ्रमण कर वन्यजीवों के पदचिन्हों को पहचानना सीखा। दोपहर में सभी बाघ मित्र गांव

चौड़ाखेड़ा में विचरण कर रहे बाघ क्षेत्र को देखा
बाघ मित्रों ने बाघ की चहलकदमी के चलते उत्पन्न स्थिति को देखने के साथ ग्रामीणों से बातचीत की। इसके बाद सभी बाघ मित्र महोफ रेंज परिसर पहुंचे। यहां बिजनौर के बाघ मित्रों ने पीलीभीत के बाघ मित्रों से बातचीत कर उनसे उनके तौर-तरीकों के बारे में जाना। स्थानीय बाघ मित्र अतुल सिंह, सुमित्रा सिंह एवं अमन कुमार ने बिजनौर के बाघ मित्रों को अपने काम करने के तरीकों से रूबरू कराया। प्रशिक्षण के दौरान पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि जो सेवा भाव रखता है वह बाघ मित्र हो सकता है। बाघ मित्र कार्यक्रम पूर्णता स्वयंसेवी कार्यक्रम है। पीलीभीत के बाघ मित्रों ने अपने सेवा भावना से इस कार्यक्रम को सफल बनाया है और यह कार्यक्रम सफल है। इस कार्यक्रम की चर्चा बार-बार विभिन्न मंचों पर की जाती है। कहा कि बाघ मित्र कार्यक्रम को विश्व प्रतिनिधि भारत ने सामाजिक वानिकी वन प्रभाग बिजनौर में भी प्रारंभ किया है, ताकि वहां पर मानव-तेंदुआ संघर्ष को कम किया जा सके।

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