Mahakumbh 2025: योगी के क्राउड प्रबंधन की गवाह बनी दुनिया, 4 करोड़ श्रद्धालुओं ने किया अमृत स्नान, जानें कहा लगेगा अगला कुंभ
भास्कर दूबे, लखनऊ, अमृत विचार: कुंभ सहित अतीत के धार्मिक आयोजनों में हुई दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फूलप्रूफ योजना बना कर क्राउड मैनेजमेंट के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। इसी का परिणाम है कि बीती 13-14 जनवरी को पहले शाही (अमृत) स्नान पर 4 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया और सुरक्षित अपने घरों को वापस हो गए।
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मैनेजमेंट का महाकुंभ देखना हो तो तीर्थराज प्रयाग आइए.. यहां आस्था के महाकुम्भ के साथ ही मैनेजमेंट के विभिन्न पाठ्यक्रमों को समेटे दुनिया की सबसे बड़ी प्रबंधन की ‘लाइव पाठशाला’ संचालित है। जिसमें क्राउड मैनेजमेंट से लेकर सेवा, सुरक्षा, स्वच्छता, पर्यटन, मीडिया समेत अनेक विषयों पर प्रबंधकीय विशेषज्ञता के अध्ययन का अवसर है। यही कारण है कि एक छोटे से क्षेत्र में 45 करोड़ से अधिक लोगों के समागम से पड़ने वाले सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभावों के साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और नगरीय ढांचे पर प्रभाव के अध्ययन के लिए आईआईएम लखनऊ, इंदौर, अहमदाबाद और बेंगलुरू की टीमें विशेष शोध परियोजनाओं पर कार्य कर रही हैं।
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इसी क्रम में उप्र. सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय पुलिस अकादमी को पत्र लिखकर महाकुंभ में क्राउड मैनेजमेंट सीखने के लिए नए आईपीएस अधिकारियों को भेजने की सिफारिश की है। उनका मत है कि प्रदेश के साथ देश के पुलिस और प्रशासन के अधिकारी खास कर जो युवा हैं, वो पूरे देश से आए और क्राउड प्रबंधन के सबसे बड़े आयोजन में शामिल हों और प्रबंधन के गुर सीखें। इसके साथ ही प्रदेश के युवा अधिकारियों को भी 15-15 दिनों की ड्यूटी पर तैनात किया गया है, ताकि वे व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त कर सकें।
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विदित हो कि चार हजार हेक्टेयर में फैले, 25 सेक्टरों में बंटे, 12 किलोमीटर तक विस्तृत स्नान घाटों वाले महाकुम्भ का शांतिपूर्ण संचालन श्रेष्ठतम प्रबंधन का उत्कृष्ट उदाहरण है। यहां से प्रबंधकीय गुर सीखे अफसरों की दक्षता में बढ़ोतरी का लाभ देश के विभिन आयोजनों के शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित संचालन में सहयोगी होगी। प्रयागराज की तरह 2027 में नासिक, 2028 में उज्जैन, 2033 में हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होना है। इसीलिए यहां के अधिकारी भी प्रयागराज महाकुंभ की स्टडी कर रहे हैं। कर्नाटक के सबरीमाला मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। इसी तरह राजस्थान में पुष्कर मेले और करणी माता मंदिर में अपार श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते हैं। जहां-जहां धार्मिक आयोजन होते हैं और भीड़ का दबाव होता है, उन राज्यों की टीमें भी महाकुंभ में अध्ययन के लिए यहां आई हुई हैं।
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देश और दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय और संस्थान भी महाकुंभ के विभिन्न पहलुओं जैसे महाकुंभ के आयोजन के प्रबंधन, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, पर्यावरणीय चुनौतियों, पर्यटन, स्वास्थ्य प्रबंधन और डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग जैसे विषयों पर गहन अध्ययन और पर शोध कर रहे हैं। इनमें हार्वर्ड विश्वविद्यालय, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालस, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, एम्स, आईआईएम अहमदाबाद, इंदौर, बंगलुरू, अहमदाबाद, आईआईटी कानपुर और अहमदाबाद, जेएनयू, डीयू तथा लखनऊ विश्वविद्यालय जैसे संस्थान शामिल हैं।
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क्राउड प्रबंधन का अध्ययन क्यों है अहम
भारत, बड़े पैमाने पर धार्मिक उत्सवों की अपनी परम्परा के साथ दुखद रूप से भीड़ से संबंधित आपदाओं का केंद्र बन गया है। भारत में लगभग 70 फीसदी घातक भीड़ आपदाएं धार्मिक सामूहिक समारोहों के दौरान हुई हैं। पिछले सप्ताह 8 जनवरी दक्षिण भारत में एक मंदिर में भगदड़ में 6 लोगों की मौत हुई। इसी तरह, पिछले साल हाथरस में 121 लोगों की मौत हो गई थी। कुंभ मेला भी इससे अछूता नहीं रहा। 1954 का कुंभ मेला इतिहास की सबसे घातक भीड़ आपदाओं में से एक है, जिसमें एक ही दिन में कम से कम 400 लोग मारे गए थे। 2003 में नासिक कुंभ मेले में भगदड़ में 39 लोग मारे गए। 2010 में हरिद्वार कुंभ मेले में 7 लोग मारे गए। 2013 में प्रयागराज कुंभ मेले में 36 लोग मारे गए। इस आयोजन के दौरान भीड़ के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की रिपोर्टें 1820 से ही मिलती आ रही हैं, जो दर्शाती हैं कि यह चुनौती कोई नई बात नहीं है।
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