पीलीभीत: कीमत से दोगुना मरम्मत पर किया खर्च, डीएम की जांच में पोल खुली तो जारी हुआ नोटिस

पीलीभीत, अमृत विचार। ग्राम प्रधान-सचिव गठजोड़ का नया कारनामा सामने आया है। ग्राम प्रधान ने अपने मानदेय के नाम पर हजारों रुपये की रकम अधिक निकाल ली। वहीं सफाई कार्य के नाम पर फर्जी मजदूर दिखाकर रकम का बंदरबांट किया गया। शिकायत के बाद डीएम द्वारा कराई गई प्रारंभिक जांच में लाखों रुपये की वित्तीय अनियमितता सामने आई हैं।ठेली मरम्मत के नाम पर कीमत से भी दोगुना खर्च कर दिया गया। डीएम ने जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी पाए गए ग्राम प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। वहीं जांच में दोषी पाए गए चार सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।
मामला पूरनपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत सुआबोझ का है। गांव के कुछ ग्रामीणों ने डीएम को शपथ पत्र देकर की गई शिकायत में ग्राम प्रधान पर विकास कार्यों के नाम पर 16 लाख रुपये की वित्तीय अनयिमितता बरतने का आरोप लगाया था। डीएम संजय कुमार सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित करते हुए जांच के निर्देश दिए। जांच कमेटी में शामिल जिला विकास अधिकारी संजय कुमार एवं शारदा सागर खंड के सहायक अभियंता धर्म घोष ने गांव पहुंचकर मामले की जांच की। प्रारंभिक जांच में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया। जांच कमेटी ने ग्राम प्रधान और सचिव को प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी। जांच रिपोर्ट के आधार डीएम ने ग्राम पंचायत सुआबोझ के ग्राम प्रधान बाबूराम को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। डीएम की ओर से जारी नोटिस में 15 दिन के भीतर साक्ष्य सहित संतोषजनक स्पष्टीकरण न देने पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है। वहीं उन्होंने जिला पंचायत राज अधिकारी को जांच में दोषी पाए गए सचिव नागेंद्र कुमार, धर्मेंद्र कुमार, विजय कुमार एवं महेंद्र सिंह को अनियमितताओं का दोषी मानते हुए अपने स्तर से कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं।
जांच में इस तरह खुलीं घोटाले की परतें
जांच रिपोर्ट के मुताबिक ग्राम पंचायत में आंगनबाड़ी केंद्र के लिए 25 हजार रुपये के बर्तन खरीदना दर्शाया गया, लेकिन कोई बिल वाउचर नहीं दिखाया गया। ग्राम प्रधान का वर्ष 2021 से अक्टूबर 2024 तक 2.10 लाख मानदेय बना, लेकिन खाते से 2.10 लाख की जगह 2.54 लाख रुपये का भुगतान किया गया। जांच में सचिव के साथ मिलकर 44 हजार रुपये का बंदरबांट करना पाया गया। जांच में ठेली मरम्मत के नाम पर नियमों को दरकिनार कर 02 साल में 57870 रुपये खर्च किए गए जोकि ठेली की लागत से दोगुना के बराबर है। जांच में यह भी पाया गया कि वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में मात्र एक-एक बार ही ग्राम पंचायत बैठक कराई गई, जबकि नियमानुसार साल भर में दो बैठकें आयोजित करना अनिवार्य है। साफ-सफाई के नाम पर फर्जी मजूदरों को दर्शाकर 93,700 रुपये का दुरुपयोग पाया गया। जांच के दौरान ग्राम पंचायत में सेमल वृक्ष की बिक्री से मिले 18 हजार रुपये भी प्रधान ने अपने निजी उपयोग में खर्च कर लिए।
ये भी पढ़ें - पीलीभीत: लापता टॉवर कर्मचारी की हत्या...बरेली में नहर किनारे मिला शव, दो दोस्त हिरासत में