शाहजहांपुर: रामगंगा नदी में 212 कछुए छोड़े, संरक्षण का लिया संकल्प
शाहजहांपुर, अमृत विचार। जिला गंगा समिति एवं डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया की ओर से विकास खंड जलालाबाद में रामगंगा नदी तट स्थित गोराघाट पर कछुआ विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शुभारम्भ मुख्य अतिथि प्रभागीय वनाधिकारी वन एवं वन्य जीव नवीन खण्डेलवाल ने बचाए गए कछुओं को रामगंगा नदी में छोड़कर किया।
इस दौरान नदी की स्वच्छता के लिए कछुओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सभी ग्रामवासियों से इस कार्यक्रम में जुड़ने की व सहयोग करने की अपील की। उन्होंने बताया कि भविष्य में भी कछुआ संरक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत कछुओं के अंडों को और अधिक संख्या में संरक्षित करने की योजना है। कार्यक्रम अन्तर्गत डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के लीड जलीय जैव विविधता संजीव यादव ने जनपद में पाए जाने वाली कछुओं की मुख्य प्रजाति जैसे बटागुर ढोंगोका व पंगशुरा टेंटोरिया के बारे में बताया तथा वन विभाग की मदद से कछुओं के अंडों को संरक्षित कर सुरक्षित हैचरी तक पहुंचाने की जानकारी दी।
समन्वयक डॉ. मोहम्मद आलम ने कछुओं से जुड़े विभिन्न वैज्ञानिक तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए कछुओं को नदी के पारिस्थितकीय तंत्र का अहम हिस्सा बताया। उप प्रभागीय वनाधिकारी डॉ. सुशील कुमार ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन जिला परियोजना अधिकारी डॉ. विनय कुमार सक्सेना ने किया तथा विशेष सहयोग क्षेत्रीय वनाधिकारी विशाल रावत, वन दरोगा हरीलाल यादव सहित वन विभाग के समस्त स्टाफ, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम व स्थानीय सम्मानित ग्रामवासियों का रहा।
कछुओं के अंडों को बचाकर हैचरी में किया जाता है संरक्षित
जनपद शाहजहांपुर में वन विभाग के सहयोग से डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इण्डिया की ओर से विकास खंड जलालाबाद में समुदाय आधारित कछुआ संरक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसमें किसानों के सहयोग से उनके खेतों में मिलने वाले कछुओं के अंडों को बचाकर हैचरी में संरक्षित किया जाता है, इसके बाद इनसे निकलने वाले कछुओं के बच्चों को नर्सरी में स्थानान्तरित कर दिया जाता है, जहां इनकी देखभाल की जाती है तथा कुछ समय पश्चात् इनको दोबारा इनके प्राकृतिक आवास नदी में छोड़ दिया जाता है।
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