Lucknow News : अपने पुराने ठिकाने पर लौट आया बाघ, CISH में मिले पगचिन्ह

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
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अमृत विचार, मलिहाबाद : रहमान खेड़ा में दहशत का पर्याय बने बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू कर पाने में वनविभाग की कोशिश नाकाम साबित हो रही हैं। फिलहाल, अब बाघ को पकड़ पाना वन विभाग के लिए आसान हो चुका है, क्योकि बाघ अपने पुराने ठिकाने रहमानखेड़ा के CISH कैंपस (केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान) में लौट आया है। वन विभाग ने इस बात पुष्टि कैंपस में मिले बाघ के पगचिन्हों को देखकर की है। हालांकि, दावा किया जा रहा है कि बाघ को पकड़ना आसान है वह संस्थान की सीमा में घुम रहा है।

बाघ की मूवमेंट

बेहता नाले के पास शिफ्ट किया ट्रैपिंग केज

डीएफओ सितांशु पाण्डेय के मुताबिक, ज्यादातर बाघ के पगचिन्ह बेहता नाले की तरफ पाए मिल चुके है। बाघ पर नजर बनाए रखने के लिए नया मचान बनाने की भी योजना बनाई गई है। इसके साथ ही ट्रैपिंग केज को शिफ्ट करते हुए बेहता नाला के पास सीआईएसएच कैम्पस में लगाया गया। डीएफओ का कहना है कि बाघ संस्थान परिसर में सक्रिय है। हथिनियों सुलोचना और डायना ने  सीआईएसएच के जोन-तीन सघन कॉम्बिग की, लेकिन वहां बाघ के एक भी पगचिन्ह नहीं मिले। इसके अलावा उलरापुर, बुधड़िया रसूलपुर, मोहम्मदनगर, रहमानखेड़ा, मीठेनगर गांव में मुनादी पीट कर जन-जागरुकता अभियाना चलाया गया।

सीआईएचएस परिसर

मवेशियों के लिए चारे का संकट

ग्रामीणों का कहना है कि मवेशियों को चारा खिलाने के लिए घर की महिलाएं जंगल से घास काट लाती थी, लेकिन अब वह जंगल की रुख करने से भी कतरा रही हैं। मवेशियों को चारे की कमी हो रही है। इसके साथ चूल्हा जलाने के लिए भी जंगल से लकड़ियां बटोरने का वह साहस नहीं कर पा रही हैं। हालांकि, बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग नए कदम उठा रहा है।  नए मचान बनाने के साथ ही बाघ के मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए विशेषज्ञों की टीमें भरसक प्रयासरत हैं। रहमानखेड़ा संस्थान में बाघ की वापसी ने इस अभियान को नई दिशा दी है।

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