शिव योग और सिद्ध योग में इस दिन मनाया जाएगा वसंत पंचमी का पर्व: जानें- पूजा का महत्व, सही डेट और शुभ मुहूर्त

कानपुर, अमृत विचार। माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 02 फरवरी 2025 को सुबह 09 बजकर 14 मिनट पर होगी और अगले दिन 03 फरवरी 2025 को सुबह 06 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। 3 फरवरी को सूर्योदय का स्पर्श होते ही पंचमी तिथि समाप्त हो रही है।
जिससे माघ शुक्ल पंचमी तिथि का क्षय भी माना जा रहा है। इसलिए शास्त्र सम्मत विधान के अनुसार 2 फरवरी को दोपहर के समय माघ शुक्ल पंचमी तिथि व्याप्त होने से वसंत पंचमी मनाई जाएगी। 2 फरवरी को पंचमी तिथि त्रिमुहूर्त व्यापिनी होने से 2 फरवरी को वसंत पंचमी मनाई जाएगी। 2 फरवरी को प्रातः काल 9 बजकर 14 मिनट तक शिव योग रहेगा और इसके पश्चात पूरे दिन सिद्ध योग व्याप्त रहेगा। इन योगों में पूजन से मनोवांछित फल मिलेगा।
वसंत पंचमी की पूजा का महत्व
वसंत पंचमी पर शिक्षा और संगीत से जुड़े लोग मां सरस्वती की पूजा करते हैं। वे ज्ञान की देवी से बुद्धि और विद्या की कामना करते हैं। यह त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है। शिक्षक और छात्र दोनों ही इस दिन सरस्वती पूजा में शामिल होते हैं।
वसंत पंचमी का त्योहार ज्ञान और कला की देवी, मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन लोग विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। मां सरस्वती से ज्ञान और बुद्धि की वृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है।
ज्योतिषाचार्य पं. मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, कई बार घर में वास्तु-दोष होने के कारण विद्यार्थी को शिक्षा में उचित परिणाम नहीं मिलते हैं। ऐसे में उन्हें वसंत पंचमी के दिन से ही पूर्व, उत्तर या पूर्वोत्तर के दिशा में पढ़ाई करना चाहिए। इस दिशा को ध्यान एवं शांति का केंद्र भी माना जाता है। इस दिशा में पढ़ाई करने से विद्यार्थी का मन एवं मस्तिष्क एकाग्रचित रहता है।
दाम्पत्य जीवन में प्यार बरकरार रखना चाहते हैं तो वसंत पंचमी के दिन भगवति रति और कामेदव की पूजा करते हुए उन्हें पुष्प अर्पित करने चाहिए। जिन छात्रों को पढ़ाई में कई प्रकार के समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है या वह एकाग्रता से नहीं पढ़ पा रहे हैं, उन्हें वसंत पंचमी के दिन ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः’ मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि मंत्र का जाप स्वच्छ आसन पर बैठकर और पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही किया जाए।
इस दिन विद्यार्थी माता सरस्वती को केसर या पीले चंदन का टीका लगाएं और पीले रंग के वस्त्र जरूर अर्पित करें। साथ ही पूजा स्थल पर किताब और कलम अवश्य रखें। ऐसा करने से मां सरस्वती की कृपा सदैव बनी रहती है और विद्यार्थी को ज्ञान, बुद्धि एवं विवेक का आशीर्वाद मिलता है।
‘वसंत पंचमी’ के दिन छोटे बच्चे का हाथ पकड़कर काले रंग की स्लेट पर कुछ न कुछ जरूर लिखवाना चाहिए। दरअसल, इस क्रिया को ‘अक्षराम्भ’ कहते हैं। ऐसा करने से पढ़ाई के क्षेत्र में बच्चा शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा करेगा। माता शारदा के पूजन के लिये भी बसंत पंचमी का दिन विशेष शुभ रहता है।
इस दिन 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को पीले-मीठे चावलों का भोजन कराया जाता है, तथा उनकी पूजा की जाती है। मां शारदा और कन्याओं का पूजन करने के बाद पीले रंग के वस्त्र और आभूषण कुमारी कन्याओं व ब्राह्मण को दान करने से परिवार में ज्ञान, कला व सुख-शान्ति की वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त इस दिन पीले फूलों से शिवलिंग की पूजा करना भी विशेष शुभ माना जाता है।
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