Maha Kumbh Stampede: अधिकारियों की लापरवाही से मची भगदड़, 1200 पुलिसकर्मियों पर करोड़ों की नियंत्रण व्यवस्था

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Published By Muskan Dixit
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भास्कर दूबे, लखनऊ, अमृत विचार: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मेहनत और उनके पावन लक्ष्य को कुंभ मेला में लगे प्रशासनिक अधिकारियों ने दागदार कर दिया। कुंभ में मची भगदड़ जहां एक ओर विपक्ष के हाथ लगा एक मुद्दा है। वहीं दूसरी ओर संसद के बजट सत्र में विपक्षी दलों के लिए बहस का एक मुद्दा बन गया है। पिछले तीन दिनों से लगातार इस मुद्दे को लेकर अनाप शनाप आरोप केंद्र और प्रदेश की सरकार पर लगाए जा रहे हैं। तीन सदस्यीय जांच आयोग महाकुंभ में घटना स्थल पर अपना कार्य करने में लगा हुआ है। अभी तक की जांच में जाे तथ्य उभर कर सामने आया है। वह मेले की व्यवस्था में प्रशासनिक अधिकारियों की घोर लापरवाही और अदूरदर्शिता है।

मौनी अमवस्या के दिन रात में एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु एकत्रित हो गए थे और इन्हे रोकने के लिए कुल 1200 पुलिसकर्मी तैनात थे। मौके से मेले व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अफसरान नदारद थे। पुलिस अफसरों ने अतिउत्साह में अखाड़ों के स्नान की व्यवस्थ ही बदल दी। पूर्व में अखाड़ों के स्नान अर्द्धसैनिक बलों और पीएसी की सुरक्षा में होते रहे हैं जबकि इस बार दुर्घटना के बाद इन्हें स्नान के लिए लगाया गया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के भव्य और दिव्य आयोजन के लिए एसटीएफ, एटीएस और इंटेलीजेंस की कई टीमों के साथ आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस और बड़ी संख्या में अधिकारियों की नियुक्ति की गई थी। उन्होंने मेला क्षेत्र की बाकी व्यवस्था बेहतर ढंग से की थी, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण मौनी अमावस्या पर इतना बड़ा हादसा हो गया, जबकि हादसे पहले तीन करोड़ और हादसे के बाद करीब 8 करोड़ श्रद्धालुओं ने बिना डर के त्रिवेणी में स्नान किया है।

अपने कार्यों की वाहवाही में जुटे रहे अफसर

महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ की जांच के लिए कमेटी का गठन किया जा चुका है, जिसने अपनी जांच शुरू कर दी है। इस जांच आयोग में रिटायर्ड जज हर्ष कुमार के अलावा पूर्व डीजी वीके गुप्ता और रिटायर्ड आईएएस डीके सिंह शामिल हैं। जांच टीम के सदस्यों ने प्रयागराज में पहुंच कर हादसे वाली जगह का निरीक्षण किया और मेला से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक की और उनसे तीखे सवाल पूछे, हालांकि अधिकारी अब तक उन सवालों का जवाब नहीं दे सके हैं। सूत्रों की मानें तो सभी अधिकारी अपने कार्यों की वाहवाही करने में ही सिर्फ जुटे रहे।

जांच आयोग ने पूछे ये सवाल

जांच आयोग ने अधिकारियों से पूछा, यदि सब कुछ ठीक तरह से चल रहा था तो भगदड़ कैसे हुई? जब आपको पता था कि इतनी ज्यादा संख्या में भीड़ आने वाली है तो सुरक्षा के इंतजाम क्या किए थे? संगम क्षेत्र के अलावा और कहां-कहां भगदड़ हुई? क्या झूंसी में भी कोई घटना हुई है? सभी घटनाओं के सीसीटीवी फुटेज दिखाइए और भीड़ कंट्रोल के लिए बनाई प्लानिंग का विवरण कहा हैं?

ये बातें भी आई सामने

सूत्रों की मानें तो महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करने के लिए भीड़ के पहुंचने का अनुमान प्रशासन को पहले से था, इसके बावजूद भीड़ को होल्डिंग एरिया में क्यों नहीं रोका गया? भीड़ के डायवर्जन के लिए कोई प्लानिंग क्यों नहीं बनाई गई? भीड़ के बावजूद पांटून पुलों को क्यों बंद कर दिया गया था? शाही स्नान के समय अर्धसैनिक बल और पीएसी के जवानों को क्यों नहीं ले जाया गया था?

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