Kanpur में बेसिक लाइफ सपोर्ट की वर्कशॉप आयोजित: हार्ट अटैक पर हुई चर्चा, डॉक्टरों ने बताया- दिल का दौरा पड़ने पर सीपीआर का महत्व व प्रक्रिया
कानपुर, अमृत विचार। हार्ट अटैक के मामले कोविड काल के बाद से बढ़ गए हैं। सोशल मीडिया में कई वीडियो वायरल हैं, जिसमें लोग नाचते, गाते, खेलते, दौड़ते, जिम करते, स्पीच देते समय अचानक गिर गए और जांच में हार्ट अटैक का मामला सामने आया। ऐसे में लोगों के साथ ही मेडिकल छात्रों को सीपीआर की जानकारी होना बहुत जरूरी है ताकि मरीज की जान बचाई जा सके। सीपीआर आकस्मिक समय में जीवन रक्षक साबित होता है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में पैरा एस-टू के लिए बेसिक लाइफ सपोर्ट की वर्कशॉप आयोजित की गई। इसमे एनस्थिसिया विभाग ने छात्र-छात्राओं को सीपीआर (कार्डियक पल्मोनरी रिससिटेशन) का प्रशिक्षण व जानकारी दी गई। सीपीआर को आकस्मिक समय में प्रयोग की जाने वाली जीवनरक्षक आपातकालीन चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसका समय रहते प्रयोग करने पर दिल का दौरा पड़ने पर व्यक्ति को जान बचाई जा सकती है।
इसके तुरंत बाद मरीज को अस्पताल पहुंचा देना चाहिए। विभागाध्यक्ष डॉ. डॉली रस्तोगी ने बताया कि सीपीआर से दिल की धड़कन को फिर से शुरू करने में मदद मिलती है। सीपीआर से मस्तिष्क को आक्सीजन पहुंचती है, जिससे मस्तिष्क की क्षति को कम किया जा सकता है। दिल की कार्यक्षमता सुचारू हो जाती है। कई बार विजली का झटका लगने से सांस रुक जाती है। ऐसे में मरीज को अस्पताल पहुंचाने से पहले सीपीआर देकर उसकी जान बचा सकते हैं। इस दौरान डॉ. आतोष कुमार, डॉ. जयवर्द्धन सिंह, डॉ. प्रीति कनौजिया व विभागीय रेजीडेंट्स मौजूद रहे।
सीपीआर के लिए यह प्रक्रिया जरूरी
-हो सके तो मरीज की सांस लेने व दिल की धड़कन की जांच करें।
-सबसे पहले गले के नीचे दिल की धड़कन की जाच करें।
-दिल की धड़कन नहीं होने पर सीपीआर देना शुरू करें।
-मरीज के सीने पर हाथ से 30 बार दबाव डालें।
-हर बार दबाव के लिए दो से तीन सेकंड का समय लें।
-मरीज के मुह में दो बार सांस दें।
-प्रत्येक सांस के लिए एक सेकंड का समय दें।
-धड़कन शुरू होने तक सीने पर दबाव व सांस देते रहें।
