मुरादाबाद : सपा के माननीयों को आइना दिखाएंगे पंचायत चुनाव, जनता को मनाने में जुटे
पंचायतों के चुनाव परिणाम से ही तैयार होंगे सांसद और विधायकों के रिपोर्ट कार्ड, पंचायत चुनाव की घोषणा से पहले जनता को मनाने में जुटे माननीय, पीडीए का सहारा
रईस शेख, अमृत विचार। आइना देख अपना सा मुंह लेकर रह गए। साहब को दिल न देने पर कितना गुरूर था। मिर्जा गालिब की ये पंक्तियां सपाइयों पर फिट बैठती हैं। सो अब मुश्किल में हैं माननीय। खासकर सपा के सांसद और विधायक, क्योंकि पंचायत चुनाव के पंच से उनकी सियासी खेती का आंकलन होना है। देखा ये जाना है कि जो खाद पानी उन्होंने केंद्र और सूबे की राजधानी से बटोरा है उसका अपने क्षेत्र में कितना सदुपयोग किया। जो फसल उन्होंने तैयार की है वो खलिहान में आती है या नहीं। बात साफ है कि चुनाव हों या दीगर कार्यक्रम, सपा ने ही सबसे ज्यादा किसान व गांव देहात की बात की है। उसी के हाथ से खाद-पानी का वितरण हुआ। आने वाले पंचायत चुनाव में इसकी तस्वीर साफ होगी।
जनपद की सांसद और सबसे ज्यादा विधायक सपा के हैं। लिहाजा पंचायत चुनाव में सबसे ज्यादा परख, आजमाइश और समीक्षा भी उनकी ही होना है। सपा के माननीय अब तक भले ही जनता से कतराते रहे हों, लेकिन अब आलाकमान के आदेश से उन्हें जनता के बीच जाना ही पडे़गा। फिलवक्त, लोकसभा और उप चुनाव के नतीजों के बाद 16 आना जिम्मेदारी सपा के सांसद और विधायकों पर आती है। क्योंकि जनपद में छह विधायकों में चार सपा के हैं।
उपचुनाव के नतीजों को छोड़ दें तो पंचायत चुनाव में पलड़ा सपा का ही भारी रहा है। संभल, मुरादाबाद और रामपुर लोकसभा की सीटों पर भी सपा का ही कब्जा है। ऐसे में जनता को उम्मीद तो सपा से ही है। यही वजह है कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी सभी बैठकों में पीडीए के नारे को बल देने के साथ ही सांसदों, विधायकों, पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधायकों को चेतावनी दर चेतावनी दे रहे हैं। पंचायत चुनाव के नतीजे ही माननीयों के कामकाज का आइना तो होंगे ही, विधायकी और सांसदी का सुख भोग रहे सांसदों तथा विधायकों का रिपोर्ट कार्ड भी लिखेंगे।
पंचायत चुनावों के सभी आंकड़े जनता के वोट पर आधारित होंगे। ऐसे में न तो उन्हें झुठलाया जा सकता है न ही बहाना बनाकर नजरअंदाज किया जा सकता है। जमीनी तौर पर हकीकत क्या है इसका अंदाजा सपा के माननीयों को भी है। अब माननीय अपने गुरूर को गर्त में डालने का प्रयास कर रहे हैं। गांवों में जाकर लोगों से गु्फ्तगू कर रहे हैं। पीडीए के नारे के बलबूते पर मान- मनोव्वल कर रहे हैं, लेकिन देखा ये जा रहा है कि आग लगने पर खोदा जा रहा ये कुआं किस काम आता है।
पंचायत चुनाव में कितनी सीटें सपा की झोली में आती हैं और कितनों का सियासी भविष्य इस आधार पर साइकिल की सवारी से जुड़ा रहता है, क्योंकि साइकिल को चाहिए पंचायत के पंच से निकली हुई हवा और ये हवा माननीयों को माकूल नहीं दिख रही है। आइने में चेहरा दिखाई देने की बात तो दरकिनार साख बचाने के लिए भी उन्हें दिन-रात एक करना पड़ेगा।
ये भी पढे़ं : Moradabad News : उद्योग के साथ अब पर्यटन के नक्शे पर भी दिखेगा मुरादाबाद, संविधान साहित्य उपवन में यह मिलेगी सुविधा
