बरेली: सितारगंज से पहले नैनीताल हाईवे में हुआ था 68 करोड़ का घोटाला, दोषी अफसर बच निकले

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Published By Vikas Babu
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विशेष भूमि अध्यापित कार्यालय में बारह साल पुरानी हैं भ्रष्टाचार की जड़ें

बरेली, अमृत विचार: सितारगंज हाईवे के भूमि अधिग्रहण घोटाले से बड़ा घोटाला 12 साल पहले नैनीताल हाईवे के लिए अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा बांटने में किया गया था लेकिन उस घोटाले में दोषी करार दिए गए चार पीसीएस अफसर कार्रवाई से साफ बच गए। नैनीताल हाईवे में हुए घोटाले की फाइल शासन में दबी तो फिर बाहर ही नहीं निकली। तब भी घोटाले का केंद्र विशेष भूमि अध्याप्ति कार्यालय ही था।

हाईवे निर्माण की बड़ी परियोजनाओं में घोटाले की शुरुआत विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी कार्यालय से ही हुई है। करीब 12 साल पहले नैनीताल हाईवे को फाेरलेन करने के लिए अधिग्रहीत भूमि के मूल्यांकन में भी 68 करोड़ का घोटाला हुआ था। तब भी भूमि अध्याप्ति कार्यालय के दो बाबुओं को बर्खास्त किया गया था।

चार पीसीएस अफसर भी दोषी करार दिए गए थे लेकिन उनके विरुद्ध शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। इनमें से दो पीसीएस अफसर अब रिटायर भी हो चुके हैं। विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के पद पर 27 मार्च 2018 से 7 मार्च 2019 तक तैनात रहे सुल्तान अशरफ सिद्दीकी का नाम नैनीताल फोरलेन हुए घोटाले के बाद सितारगंज हाईवे के घोटाले में भी उछला है। तब उनके विरुद्ध भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।

चार गुना से ज्यादा मुआवजा बांटने पर बाबू हुआ था बर्खास्त
बरेली: सितारगंज हाईवे को सात से दस मीटर चौड़ा करने के लिए वर्ष 2012-13 में एनएचएआई के लिए विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी कार्यालय ने भूमि अधिग्रहण किया था। उस दौरान बहेड़ी तहसील क्षेत्र के हथमना, माधौपुर और सिरसा गांव के किसानों की जमीन ली गई थी, तब सर्किल रेट नौ सौ रुपये वर्ग मीटर था लेकिन तत्कालीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी ने साठगांठ चार हजार रुपये वर्ग मीटर की दर से मुआवजे का भुगतान कर राज्य सरकार को 68 करोड़ का नुकसान पहुंचाया था।

जनवरी 2020 में भ्रष्टाचार के आरोप पर विशेष भूमि अध्याप्ति कार्यालय में तैनात बाबू अनवर हुसैन कुरैशी और सुरेंद्र पाल को निलंबित कर दिया था। अनवर को आंवला तहसील ट्रांसफर किया तो सुरेंद्र पाल को मुरादाबाद मंंडल भेजा गया था। तत्कालीन जिलाधिकारी नितीश कुमार ने अनवर को बर्खास्त किया था

2017 में कमिश्नर ने पकड़ा था घोटाला, चार पीसीएस अफसर मिले थे दोषी
-वर्ष 2017 में तत्कालीन कमिश्नर डॉ. पीवी जगनमोहन ने घोटाला पकड़ा था। जांच के बाद पीसीएस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की संस्तुति करते हुए रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। शासन ने अगस्त 2020 में चारों पीसीएस अफसरों के जनपद में तैनाती की जानकारी तलब की थी।

इनमें पीसीएस लक्ष्मी शंकर सिंह 14 सितंबर 2012 से मार्च, 2014 तक तैनात रहे। पीसीएस मनीष कुमार नाहर 15 जुलाई 2013 से जनवरी 2016 तक तैनात रहे। पीसीएस कुंवर पंकज 8 सितंबर 2014 से 13 मार्च 2018 तक तैनात रहे। पीसीएस पुष्पा देवरार 28 जून, 2014 से 13 सितंबर, 2016 तक जिले में तैनात रहीं थीं।

सितारगंज हाईवे: चार विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारियों की भूमिका मिली थी संदिग्ध
सितारगंज फोरलेन हाईवे की भूमि के मूल्यांकन में हुए घोटाले में निलंबित किए पीसीएस अफसर मदन कुमार 8. मार्च 2019 से लेकर 23 सितंबर 2021 तक बरेली में सिटी मजिस्ट्रेट के साथ विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी भी रहे थे। इनके समय में ही सितारगंज हाईवे की भूमि के मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू हुई थी।

वहीं शासन को भेजी गयी मंडलायुक्त की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएचएआई के परियोजना निदेशक के कार्यालय की ओर 3ंए प्रकाशन की सूचना तहसील स्तर पर सूचित करने के लिए कोई पत्राचार करने से संबंधित अभिलेख प्राप्त नहीं हुए। 

इस आधार पर माना गया कि विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी का पर्यवेक्षण शिथिल रहा और उनके कार्यालय की भी लापरवाही रही। शिथिल पर्यवेक्षण के लिए विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी रहे सेवानिवृत्त सुल्तान अशरफ सिद्दीकी, सिटी मजिस्ट्रेट संग विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के चार्ज पर रहे मदन कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट संग विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के चार्ज पर रहे राजीव पांडेय, एडीएम न्यायिक के साथ ही विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी आशीष कुमार की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। हालांकि, प्रकरण में मदन कुमार और आशीष कुमार को ही निलंबित किया है।

कुल इतने का घोटाला बरेली और पीलीभीत में हुआ था
मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल की ओर से गठित मंडलीय कमेटी ने पीलीभीत में 58.91 और डीएम रविंद्र कुमार की ओर से सीडीओ जग प्रवेश की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने बरेली के सदर, नवाबगंज, सरनिया में भूमि अधिग्रहण, स्ट्रक्चर के मूल्यांकन में 51.52 करोड़ का घपला पकड़ा था। कुल 80.43 करोड़ की धांधली पकड़ी गई थी।

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