गायिका कविता कृष्णमूर्ति कानपुर में बिखेरेंगी अपनी आवाज का जादू, यहां जानिए... बॉलीवुड में उनका योगदान
विशेष संवाददाता, कानपुर। बॉलीवुड ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी मिठास भरी आवाज का जादू बिखेरने वाली पार्श्वगायिका कविता कृष्णमूर्ति शनिवार को कानपुर में आवाज का जादू बिखेरेंगी। वह लाजपत भवन में मुन्नूगुरू की याद में स्मृति के 45वें समारोह में संगीत प्रेमियों के कानों में रस घोलने पहुंचेंगी। इस कार्यक्रम में संगीत की जानी-मानी हस्तियां भाग लेने आ चुकी हैं। कविता कृष्णमूर्ति भारतीय फिल्म संगीत के इतिहास में सबसे बेहतरीन पार्श्व गायिकाओं में से एक हैं। उन्होंने विभिन्न भारतीय भाषाओं में कई भावपूर्ण गीतों को अपनी आवाज़ दी है।
लगभग 40 के पार्श्वगायन की यात्रा में कविता ने आर.डी. बर्मन, ए.आर. रहमान सहित कई लोकप्रिय संगीतकारों के साथ काम किया है। तमिलनाडु में अय्यर परिवार में जन्मी कविता ने आठ साल की छोटी सी उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। उन्हें कम उम्र में लता मंगेशकर के साथ बंगाली में टैगोर का एक गाना रिकॉर्ड करने का मौका मिला। वर्ष 1987 उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट रहा। मिस्टर इंडिया फिल्म का "कहते हैं इसको हवा हवाई" और "करते हैं हम प्यार मिस्टर इंडिया से" रहा।
उनके प्रमुख लोकप्रिय गीतों की एक छोटी सी बानगी इस प्रकार है। हवा हवाई - मिस्टर इंडिया (1987), आई लव माई इंडिया - परदेस (1997), आँखों की गुस्ताखियाँ - हम दिल दे चुके सनम (1999), डोला रे डोला - देवदास (2002), तुमको- रॉकस्टार (2011), तू ही रे - बॉम्बे (1995), मेरा पिया घर आया - याराना (1995), प्यार हुआ चुपके से- 1942- अ लव स्टोरी) (1994),अलबेला सजन आयो रे- हम दिल दे चुके सनम (1999)।
स्मृति के संस्थापक अध्यक्ष राजेंद्र मिश्र बब्बू बताते हैं कि उनकी कोशिश है कि कानपुर का कल्चर हेरिटेज संजोए रखी जाए। गीत-संगीत और त्योहार कानपुर की समृद्ध का परम्परा रही है जिसका निर्वहन एक शहरी होने के नाते वह बीते 45 वर्ष से कर रहे हैं। स्मृति के मंच पर शास्त्रीय संगीत, शास्त्रीय गायन, फिल्मी संगीत व गायन, के क्षेत्र के दिग्गज कलाकारों का आवागमन होता रहा है। स्मृति के नाम से ही कलाकार अपनी स्वीकृत देकर नवाजते हैं।
