Women's Day Special: नारी शक्ति है, जननी है तभी उसे मिली है दोहरी जिम्मेदारी... Amrit Vichar कार्यालय में आयोजित विशेष कार्यक्रम

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार। मशहूर शायर असरारुल हक़ मजाज ने लिखा है, ' तिरे माथे पे ये आंचल बहुत ही खूब है, लेकिन तू इस आंचल को इक परचम बना लेती तो अच्छा था'। वक्त के साथ माथे का आंचल परचम में बदल गया, हालांकि आंचल को परचम बनने तक का सफ़र आसान नहीं था। मुश्किल हालातों और रास्तों से गुजरकर महिलाओं ने शिक्षा को अस्त्र बनाया और खुद को समाज में बराबरी पर ला खड़ा किया। महिलाएं डॉक्टर, पुलिस अधिकारी, सैन्य और अर्द्धसैनिक बल का हिस्सा ही नहीं बनीं व्यापार जगत में भी उनका दबदबा हो गया है। अब महिलाएं हर उस क्षेत्र में आगे बढ़ निकल गई हैं जहां कभी पुरुषों का वर्चस्व था। चिकित्सा और पुलिस सेवा में कार्यरत महिलाएं तो पुरुषों के लिए भी मददगार बन गई हैं।

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी महिलाएं ''अमृत विचार'' के कार्यालय में आयोजित नारी सशक्तीकरण परिचर्चा में शामिल हुईं। मजबूती और ठोस उदाहरणों के साथ महिलाओं ने तर्क रखे तो तालियां बजीं। कुछेक ने कहा ''नारी शक्ति है, जननी है तभी तो उसे मिली है दोहरी जिम्मेदारी''। व्यापारी नेता ने कहा कि ''हमें हाउस वाइफ नहीं क्वीन आफ द हाउस'' कहें। तो अन्य व्यापारी महिला बोलीं ''महिलाएं चांद से लेकर रसोई तक छोड़ रही हैं अपनी छाप''। नारी शक्ति'' का यह कार्यक्रम परवान चढ़ता रहा। महिला पुलिस अधिकारी बोलीं कि वह अन्याय को सहने के बजाय अपनी आवाज उठाने को आगे आएं। अन्याय हो तो निसंकोच पुलिस को सूचना दें। चिंता न करें, नयी व्यवस्था में शिकायत दर्ज कराने वाले का नाम गुप्त रखा जाता है और उस शिकायत पर एक्शन भी जरूर होता है।

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परिचर्चा के बाद, उड़ा रंग गुलाल

रंगोत्सव पर्व को अभी चार-पांच दिन हैं। लेकिन ''अमृत विचार'' कार्यालय में नारी शक्ति ने परिचर्चा के बाद ऐसी समां बांधी कि परिचर्चा होलिकोत्सव में बदल गई। जमकर गुलाल और रंग उड़ा। कार्यालय कर्मी भी इससे अछूते नहीं रहे। करीब आधा घंटा उड़े इस रंग गुलाल ने समय से पहले ही होली का अहसास करा दिया। दरअसल गुलाल उड़ा तब जब व्यापारी नेता अनीला अग्रवाल और बीनू मिश्रा बोलीं अरे गुलाल पर तो ध्यान ही नहीं गया। बिना रंग और तिलक के कार्यक्रम का समापन कैसे हो सकता है? बस फिर क्या था परिसर में उड़ने लगा जमकर गुलाल। गुलाल से टीका किया और उन्हें बधाई दी।

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क्या बोली महिलाएं

मैं एक चिकित्सक होने के चलते बेटियों की समस्याओं को बेहतर समझती हूं। आज भी शहर की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं कई सुविधाओं से वंचित हैं। उनमें जागरूकता की कमी है। हम शिविर लगाकर उनके स्वास्थ्य की नि:शुल्क परीक्षण करती हूं। सेनेटरी नैपकिन का वितरण कराती हूं। मेरा कहना है कि बेटियों को शिक्षित जरूर करें।

-डॉ. अर्चना श्रीवास्तव

एक महिला के कई रूप होते हैं। वह मां, बेटी, बहन, दादी और नानी के रूप में भी अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाती हैं। परिवार के साथ समाज में भी सामंजस्य बनाती हैं। अभी भी एक वर्ग ऐसा है जो महिला दिवस के बारे में जागरूक नहीं है। हमें ऐसे लोगों को अधिक जागरूक करने की जरूरत है।

-ममता त्रिपाठी, सामाजिक कार्यकर्ता

स्त्री,पुरुष दोनों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी निभा रही हूं। नारी सशक्त हो इसके प्रयास होने चाहिए। इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। हमारी डीसीपी और एसीपी भी एक महिला हैं। वह परिवार के साथ समाज की भी जिम्मेदारी निष्ठापूर्वक निभा रही हैं। महिलाओं को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

- शारदा सिंह, सब इंस्पेक्टर, हजरतगंज

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महिलाओं की भक्ति, शक्ति और युक्ति हमेशा पुरुषों से आगे रही है। इसलिए मैं कहना चाहूंगी कि महिलाएं अपने आपको सफल बनाने में पीछे न रहें। समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी समझे। खुद को मजबूत करें। शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

-शेफाली गुप्ता, एलएलबी छात्रा

अक्सर देखती हूं कि स्कूल में छुट्टी होने के बाद महिलाएं बड़ी लड़कियों के भी बस्ते लेकर खुद चलती हैं। मेरा कहना है कि बेटियों को कमजोर करने के बजाय उन्हें सशक्त बनाएं। इस अभियान में महिलाओं को आगे आना चाहिए खुद में भी सुधार करें और दूसरों को भी ऐसा करने से रोकें।

-क्षमा गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता

आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं। महिलाएं सहनशील होती हैं, अपना दायित्व बखूबी निभाना जानती हैं। हालांकि, अभी भी कुछ महिलाएं अपने अधिकारों को नहीं जानती उन्हें जागरूक करने की जरूरत है। इसके अलावा महिलाओं के प्रति पुरुषों की मानसिकता बदलने की जरूरत है।

- डॉ. मधु तांबे, सूचना अधिकारी

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महिलाओं की सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति, एंटी रोमियों और 1090 हेल्पलाइन नंबर चलाया जा रहा है। कोई भी समस्या होने पर महिलाएं नि:संकोच अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। उनकी पहचान गोपनीय रखी जाती हैं। मेरा यही कहना है कि किसी अपराध का शिकार होने पर महिलाएं डरे नहीं अपनी शिकायत जरूर दर्ज कराएं।

-सुधा दीक्षित, सब इंस्पेक्टर, हजरतगंज

तीन सालों से सीता रसोई संचालन कर रही हूं, पर्यावरण संरक्षण पर भी मैं निरंतर काम करती हैं। साथ ही लावारिस वार्डों में भी जरुतमंदों की सेवा करती हूं। मेरा महिलाओं से यही कहना है कि वह सशक्त बनें। महिलाओं के लिए तीन बातें अहम होती हैं। वह आर्थिक तौर पर मजबूत हों, शिक्षित हों जिससे सही और गलत का फर्क समझ सकें। इसके अलावा उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी तय हो तभी वह समाज में अपना योगदान दे सकेंगी।

-ओम सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता

एक महिला को सफल बनाने में पुरुष वर्ग का विशेष योगदान होता है, हमें उनके योगदान को नहीं भूलना चाहिए। मैं अपनी संस्था के माध्यम से महिलाओं को जागरूक करने का काम करती हूं। उन्हें आर्थिक तौर पर भी मजबूत बनाने की कोशिश रहती है। साथ ही रोजाना की एक्टिविटीज को सोशल मीडिया पर भी साझा करती हूं। जिससे परिवारीजनों को भी पता चले कि उनकी बेटी, पत्नी या बहु क्या कर रही है।

-मनी टंडन, व्यापारी व सामाजिक कार्यकर्ता

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आज महिलाएं बहुत जागरूक हो चुकी हैं। सही गलत का फर्क समझती हैं। गलत होने पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल करना जानती है। आज उनके साथ कुछ भी गलत होने पर वह शिकायत दर्ज कराती हैं। हमें यही कहना है कि डरे नहीं डट कर सामना करें। कानून का सहारा लें। हम सभी उनके साथ हैं।

-कीर्ति कुशवाहा, कॉन्स्टेबल

महिलाओं को सुरक्षा के लिए आत्मरक्षा के गुर सिखने की आवश्यकता है जिससे कि वह समाज का डटकर सामना कर सके। पुरुष वर्ग से अपेक्षा है कि वह भी अपनी मानसिकता में महिलाओं के प्रति अपना रुख नरम रखे और समाज को आगे बढ़ाने के लिए एकजुट होकर प्रयास करे। बिना एकता के समाज का उत्थान नहीं हो सकता है। महिलाएं समाज का आईना है जिनसे समाज और सरकार दोनो क्रियान्वित होते है।

-मुन्नी देवी मिश्रा, सिविल डिफेंस

प्राचीन आयुर्वेदिक एक्यूप्रेशर प्राकृतिक चिकित्सा और योग चिकित्सा पर काम कर रही हूं। महिलाएं अब राष्ट्रीय स्तर से लेकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना और देश का नाम रौशन कर रही हैं। खेल, चिकित्सा, शिक्षा आदि क्षेत्रों में महिलाएं बढ़-चढ़कर भागीदारी कर रही है। सरकार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही है जोकि हम महिलाओं के लिए अच्छी बात है। लैंगिक समानता की दिशा में अभी बहुत काम करना बाकी है।

-डॉ. शिल्पी

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आज के दौर में महिलाएं किसी भी काम में पुरुषों से कम नहीं हैं। काम छोटा हो या बड़ा सभी कार्यों में महिलाओं की हिस्सेदारी और प्रतिष्ठा बढ़ी है। आज चिकित्सा के क्षेत्र में महिलाओं की बड़ी भागीदारी है। आशा बहुएं, डाक्टर, नर्स और विभिन्न पदों पर बैठी महिलाएं समाज का कल्याण कर रही है। घर से लेकर बाहर तक महिलाएं परिपक्वता के साथ जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं। जो कि हमारे देश और समाज के लिए गर्व की बात है। हमें हाउस वाइफ नहीं क्वीन आफ द हाउस कहें।

-बीनू मिश्रा, महामंत्री लखनऊ, अखिल भारतीय उद्योग मंडल

विश्व महिला दिवस पर मीडिया जगत का धन्यवाद करती हूं जिसके माध्यम से हमें एक मंच पर लाने का अवसर प्रदान किया। आज की महिलाएं चांद से लेकर रसोई तक अपनी छाप छोड़ रही हैं। समाज, परिवार और देश को आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका में सफल हो रही है। विश्व महिला दिवस महिलाओं की क्रांति का दिवस है महिलाओं के अधिकारों का दिवस है। हमारे पास सीमित समय है जिसमें हमें अपने परिवार और समाज दोनों को समय देना होता है। आज हमें अपने अधिकार मिल रहे है।

-अनीला अग्रवाल, नगर अध्यक्ष, आदर्श व्यापार मंडल

औद्योगिक समाज में महिलाओं को स्थान पाने की प्राथमिकता दी जाए। सबको एक साथ मिलकर कमेटी बनाना चाहिए। आज महिलाएं किसी न किसी संस्था से जुड़ी हैं उनको समाज को बेहतर बनाने के लिए एकजुट होना चाहिए। महिलाओं को स्वराज से जोड़ने के लिए हम सभी महिलाओं को समाज को जागरूक करने की जरुरत है। बच्चो को अच्छी शिक्षा के साथ संस्कार भी देना आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर महिलाओं को जागरुक करके उन्हें आत्मरक्षा के लिए तैयार करना चाहिए।

-वीना देवी, बूथ अध्यक्ष भाजपा उप्र व्यापार मंडल

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महिलाओं को जागरूक और संस्कारी होना अति आवश्यक है। आज के परिवेश में महिलाएं अपने हक के लिए लड़ती हैं। यह देखकर मुझे खुशी महसूस होती है। जहां एक समय महिलाएं प्रताड़ना सहती थीं अब वह अपने हक की लड़ाई लड़ती हैं। न्यायालय भी महिलाओं की लड़ाई में पूरा साथ देता है। जहां महिलाओं को स्वत्रंतता की आजादी मिली है। वहीं इसका दुरुपयोग भी बढ़ गया है। हम महिलाओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि महिलाओं को आगे बढ़ाने में पुरुषों का विशेष योगदान होता है। महिलाएं हर क्षेत्र में आत्म निर्भर है। लेकिन कभी कभी यही आत्म निर्भरता पारिवारिक कलह का कारण बन जाती है। इससे बचना चाहिए।

-निधि सिंह, एडवोकेट पारिवारिक न्यायालय

आज के समय में महिलाओं को अपने अधिकार का पता होना चाहिए क्योंकि महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों और घरेलू हिंसा, बलात्कार आदि को खत्म किया जा सके। ऐसा करने के लिए महिलाओं व पुरुष दोनों को ही कदम उठाने चाहिए। अगर महिलाएं और पुरुष आपसी सामजस्य से आगे बढ़ेंगे तो समाज और परिवार दोनो का निर्वाहन किया जा सकेगा। इसमें पुलिस की भूमिका भी अहम है।

-दीक्षा सिंह, कोतवाली हजरतगंज

महिलाओं के विषय में मेरा विचार है कि वर्तमान समय में जबकि महिलाएं पहले की तुलना में बेहतर स्थिति में है लेकिन आज भी समाज में बहुत सुधार की आवश्यकता है। जिसके लिए हम सभी को मिलकर एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। आज की महिलाएं खुद की रक्षा करने के साथ ही समाज की भी रक्षा कर रही है। पुलिस विभाग में उच्च पद पर कार्य कर रही महिलाएं परिवार के देश जिला और प्रदेश दोनों संभाल रही है।

-पिंकी आर्य, हजरतगंज कोतवाली

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परिवार व कार्य क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण के लिए संतुलन अत्यंत आवश्यक है क्योंकि महिला परिवार व समाज की धुरी है। परिवार से शुरु होकर समाज के विकास के लिए जिम्मेदार है नारी। नारी को स्वयं का सम्मान करना होगा। हर क्षेत्र में हम महिला और पुरुष की बराबरी की बात करते हैं लेकिन महिला हर क्षेत्र में पुरुष से पहले है। इसीलिए नदियों के नाम, हमारा देश भारत माता कहा जाता है। नारी शक्ति है, जननी है तभी उसे दोहरी जिम्मेदारी दी गई है। परिवार व समाज दोनों के प्रति उसे अपनी जिम्मेदारी निभानी है।

-मंजूषा श्रीवास्तव, फैशन डिजाइनर

महिलाओं को सशक्त बनने के लिए सबसे पहले उन्हें आर्थिक रुप से मजबूत होना चाहिए। सशक्त बनने के लिए महिलाओं को ही पहल करनी होगी। सरकारों को महिलाओं को मजबूत करने के लिए तेजी से काम करना होगा। बदलते परिवेश में आज महिलाओं के प्रति समाज का नजरिया बदला है, जो अब देखने को भी मिल रहा है, उसी का नतीजा है कि हमारे देश के सर्वोच्च पद पर राष्ट्रपति के साथ सेना, शिक्षा, खेल में कई कीर्तिमान महिलाओं ने अपने नाम किए हैं।

-दीक्षा, असिस्टेंट प्रोफेसर, नवयुग कॉलेज

महिलाएं स्वस्थ समाज का आईना होती हैं, इसलिए जरुरी है कि उन्हें बचपन से ही अच्छे संस्कारों से सशक्त किया जाए। परिवारों में लिंग भेद को बंद करना होगा। पुरुष प्रधान समाज ने महिलाओं के प्रति दशकों से चली आ रही रुढ़िवादी पंरपराओं को आज पीछे जरूर छोड़ा है। लेकिन अभी और पहल की आवश्यकता है। महिला दिवस उस दिन सार्थक होगा, जिस दिन हर महिला दूसरी महिला को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रही होगी। तभी स्वस्थ समाज, देश का निर्माण संभव होने के साथ हर महिला को सशक्त बनाने का सपना पूरा होगा।

-डॉ. आभा दुबे, असिस्टेंट प्रोफेसर, नवयुग कॉलेज

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नारी उत्थान की बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन क्या वह धरातल पर उतरी हैं देखना होगा। इसके साथ ही परिवार एक गाड़ी की तरह होता है, उसका एक भी पहिया खराब हो जाए तो गाड़ी खराब हो जाती है। ऐसे ही महिलाओं को परिवार को साथ लेकर आगे बढ़ना होगा, तभी महिलाओं के उत्थान के साथ परिवार और समाज का सशक्तीकरण हो पाना संभव है।

-सीमा चौहान

महिलाओं को समाज में खुद को स्थापित करने के लिए अपना वजूद बनाना होगा। समाज, परिवार के लिए ऐसे काम करने होंगे कि आप भीड़ से अलग दिखें। राजनीतिक दलों में परिवार की महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इसलिए जरुरी है कि महिलाएं ऐसा काम करें कि उन्हें किसी भी आरक्षण का मोहताज न रहना पड़े। यह सही है कि आज समाज में पुरुषों की सोच महिलाओं के प्रति बदली है। इसका असर भी देखने को मिल रहा है।

-अंजू वार्ष्णेय

ग्रहणी जो जन्म देती है, वह संस्कारों से वेल ऐजूकेटेड होती है। परिवार के उत्थान के लिए हर एक महिला का संस्कारी होना जरुरी है। महिलाएं वह होती है, जिसमें शील, सम्मान, संस्कार, धैर्य और क्षमा सब कुछ होता है। महिलाएं अपने आप में शक्ति होती हैं। ये समाज और पुरुष ये बात अपने दिमाग में रखें, तो महिला सशक्त है और यही उसका सशक्तीकरण है। इसके साथ ही पुरुष हमारे समाज का शिव होता है, जो स्त्री के उत्थान में अहम भूमिका निभाता है।

-रुमा हेमवानी
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महिला दिवस पर महिलाओं को दहेज प्रथा के खिलाफ पहल शुरु करनी चाहिए। इस कुरीति के खिलाफ मीडिया और बुद्विजीवियों का साथ मिल रहा है। जरुरत है हरेक महिला को इसके खिलाफ जागरुक करने की। महिलाओं के सशक्तीकरण के काम को तब तक पूरा नहीं किया जा सकता, जब तक कि दहेज प्रथा जैसी कुरीति के कारण बच्चियों के जन्म के बाद भी परिवार उसे बोझ समझता है। महिलाओं को भी इसके खिलाफ बिगुल फूंकना होगा। तभी हम महिला दिवस मनाने के हकदार होंगे।

-रंजना सिंह

महिलाओं को उनके ख्वाबों को जीने का पूरा अधिकार मिलना चाहिए। बचपन में मिले संस्कारों की वजह से कई बार महिलाएं अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाती हैं। वह जिस काम को करना चाहती हैं उस दिशा में आगे नहीं बढ़ पाती हैं। ऐसे में जब भी महिला को लगे कि वह अपने इस सपने को लोगों के काम में ला सकती है तो वह इसे जरूर पूरा कर आदर्श प्रस्तुत करे। महिला दिवस उस दिन अपनी सार्थकता को पूरा करेगा, जिस दिन महिला के सपनों को पूरा करने के लिए परिवार साथ में कदमताल करे।

-हुमा साहू, कथक नृत्यागंना

पिता का विश्वास, पति का सहयोग यहां तक पहुंचने के लिए आवश्यक था। सर्वाधिक आभार आज अमृत विचार के आप सब पुरुषों का जिन्होंने हम महिलाओं के सम्मान के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया। यहां अनेक क्षेत्रों में अपना परचम लहराने वाली महिलाओं को मंच दिया। आज हम सशक्त नारी हैं। आवश्यकता इस बात की है कि आने वाली जेनेरेशन को, बेटियों को, बहनों को मर्यादा में रहकर आगे बढ़ने की सीख दें एवं सशक्त नारी का सही अर्थ समझाएं।

-प्रो. रचना श्रीवास्तव, प्रिंसिपल, एपी सेन गर्ल्स महाविद्यालय

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