काले मोतियाबिंद से बचाना है तो 40 की उम्र के बाद कराएं कराओ आंखों की जांच, जानिए देश में कितने करोड़ लोग हैं ग्लूकोमा से पीड़ित

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Published By Deepak Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। ग्लॉकोमा को काला मोतिया या संबलबाई भी कहा जाता है। यह एक गंभीर नेत्र रोग है, जो धीरे-धीरे आंखों की रोशनी को प्रभावित करता है। इससे बचाव के लिए 40 साल उम्र के ऊपर के सभी को आंखों की नियमित जांच कराते रहना चाहिए। यह जानकारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) लखनऊ शाखा के सचिव डॉ. संजय सक्सेना ने दी।

विश्वग्लूकोमा सप्ताह 9 से 15 मार्च के बीच मनाया जाता है। आईएमए लखनऊ और ओफथल्मोलॉजिस्ट सोसइटी के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को गोमतीनगर स्थित जनेश्वर मिश्रा पार्क में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और विधायक डॉ. नीरज बोरा भी मौजूद रहे। इस मौके पर वॉकथॉन का भी आयोजन हुआ।

डॉ. संजय सक्सेना ने बताया ग्लूकोमा के अधिकतर मामलों में शुरुआती दौर में कोई लक्षण नजर नहीं आते। जब तक मरीज को अहसास होता है, तब तक दृष्टि हानि हो चुकी होती है, जो अपरिवर्तनीय होती है। इसलिए, समय पर इसकी पहचान और इलाज बेहद जरूरी है। विशेष रूप से जिन्हें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या ग्लॉकोमा का पारिवारिक इतिहास उन्हें अधिक संजीदा होने होने की जरूरत है
डॉ. भारतेंदु अग्रवाल ने बताया अधिकतर लोग जो इसके शिकार है वे इससे अनजान है। यदि पता ना लगे, या इलाज ना हो तो काला मोतिया से आंख की रोशनी जा सकती है। 

उन्होंने बताया काला मोतिया का सबसे बडा कारण आंखों के अंदरुनी दबाव में वृद्धि है। एक स्वस्थ आख से द्रव्य निकलता है, जिसे एक्चुअस हयूमर कहते है और उसी गति से बाहर निकल जाता है। उच्च दबाव तब होता है जब इसे निकलने वाली प्रणाली में रुकावट आ जाती है और द्रव्य सामान्य गति से बाहर नही निकल पाता। यह बढ़ा हुआ दबाव ऑप्टिक नर्व को धकेलता है जिससे धीरे धीरे नुकसान होने लगता है और नतीजा दृश्टि कम होने लगती है।

देश में 1.2 करोड़ लोग ग्लूकोमा से पीड़ित

आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ.पीके गुप्ता ने बताया इस बीमारी के प्रति अज्ञानता और समय पर पहचान की कमी के कारण अंधत्व के मामलों में वृद्धि हो रही है। देश में लगभग 1.2 करोड़ लोग ग्लूकोमा से प्रभावित हैं। यह देश में अंधत्व का तीसरा प्रमुख कारण है, जो मोतियाबिंद और अपवर्तक दोष के बाद आता है। ग्लूकोमा के 40 से 90 प्रतिशत तक मामले बिना पहचाने रह जाते हैं। कार्यक्रम में आईएमए अध्यक्ष डॉ. सरिता सिंह, डॉ. सुधीर श्रीवास्तव, डॉ.भारतेन्दु अग्रवाल, डॉ. अमित अग्रवाल और डॉ. श्वेता श्रीवास्तव सहित अन्य चिकित्सक मौजूद रहे।

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