Kanpur में कई बच्चे स्कूल जाने के साथ रोजा भी रखते, स्कूल से आते ही बैठ जाते हैं इबादत में

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। रमजान-उल-मुबारक में बच्चों को भी रोजा रखने का ऐसा जुनून सवार है कि वाल्दैन के कहने के बाद भी वह रोजा छोड़ने को तैयार नहीं हैं। रमजान-उल-मुबारक के 14 वें रमजान को मंझला रोजा के नाम से भी जाना जाता है। ये रोजा बच्चों का पसंदीदा रोजा कहलाता है। इस दिन हजारों बच्चे खुशी खुशी रोजा रखते हैं। शनिवार को ये रोजा रखा जाएगा।

कानपुर दक्षिण के जूही लाल कालोनी में दैनिक अमृत विचार ने कुछ ऐसे ही बच्चों से बात की जो रोजा रखते हैं और स्कूल जाते हैं। ऐसे कई बच्चे हैं जिनका एक भी रोजा अभी तक छूटा नहीं है। ये बच्चे घर का काम भी करते हैं और पढ़ाई भी करते हैं। बच्चे 14 रमजान का इंतजार करते हैं।

क्या बोले रोजेदार बच्चे 

रोजा रखने का पता ही नहीं चलता, वाल्दैन सोचते हैं कि हमको नहीं उठाएंगे लेकिन सुबह 3 बजे जब घर के लोग सहरी के लिए उठते हैं तो मेरी भी आंख खुल जाती है और मैं भी सहरी करके रोजा रख लेता हूं। मुझे कोई दिक्कत नहीं होती। - फरहान रिजवी 

अल्लाह ने रोजे फर्ज किए हैं लेकिन अभी मैं बहुत छोटा हूं, ये सोचकर रोजा रखते हैं और खूब इबादत करते है कि इसका सवाब (पुण्य) मेरे वाल्दैन को मिलेगा। कितनी मुसीबत से मेरे वाल्दैन मुझे पढ़ा लिखा रहे हैं, क्या मैं उनके लिए इतना भी नहीं कर सकता। - मोहम्मद कामिल 

भूख प्यास की तरफ कोई ध्यान ही नहीं देते, स्कूल जाने से पहले फजिर की नमाज और फिर कुरआन शरीफ की तिलावत करने के बाद स्कूल चले जाते हैं। कुरआन को अनुवाद के साथ पढ़ना चाहिए, इससे जानकारी में इजाफा होगा कि कुरआन में दिया क्या है।- फलक जेहरा

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