Unnao News: 35 साल पहले अप लाइन की हुई थी मरम्मत, अब ट्रफ पूरी तरह से गले

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Published By Nitesh Mishra
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1990 में रेलवे ने अप लाइन की कराई थी मरम्मत, अब 2025 में हो रहा काम

उन्नाव, शुक्लागंज, (अमन सक्सेना)। गंगा नदी पर ट्रेनों के संचालन के लिये पहले पुराना यातायात पुल बनाया गया था, जिसके बाद ट्रेनों की संख्या बढ़ने पर रेलवे पुल का निर्माण कराया गया था। वर्ष 1990 में लखनऊ कानपुर रेल रूट स्थित अप लाइन की मरम्मत कराई थी।

जिसके बाद वर्ष 2016 में 27 दिनों का मेगा ब्लॉक लेकर जर्जर ट्रफ बदले गये थे, उस दौरान चौबीस घंटे काम हुआ था। इधर एक बार फिर अप लाइन के जर्जर ट्रफ हटाने के लिये 42 दिनों का मेगा ब्लॉक लेकर नौ घंटे प्रतिदिन काम कराया जा रहा है।

वर्ष 1910 में रेलवे पुल का निर्माण ब्रिटिश काल में कराया गया था। जो 814 मीटर लंबा था, उस दौरान कुछ समय के लिये पुराने यातायात पुल और रेलवे पुल से ट्रेनों का आवागमन होता रहा लेकिन वर्ष 1925 में पुराने यातायात पुल को ट्रेनों के लिये बंद कर दिया गया और उसके बाद सिर्फ रेलवे पुल से ही ट्रेनें गुजरती थी।

अस्सी वर्षों के बाद 1990 में रेलवे पुल के अप लाइन कमजोर होने पर मरम्मत कराई गई। जिसके बाद वर्ष 2016 में 11 नवम्बर से 27 दिनों का मेगा ब्लॉक लेकर चौबीस घंटे कार्य कराया गया था। इधर 35 सालों में अप लाइन के ट्रफ पूरी तरह से जर्जर हो गये, जिस पर स्वास्तिक एसोसिएट लखनऊ ने एचबीम स्लीपर बनाने का काम किया और पुल पर लगाना शुरू किया है।

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42 दिनों तक चलेगा कार्य

इस बार मरम्मत कार्य को चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है। हर दिन नौ घंटे का ब्लॉक लेकर पुराने जर्जर ट्रफ हटाए जा रहे हैं। पहले लोहे की चादर को काटा गया, फिर जर्जर हिस्सों को हटाकर प्रेशर मशीन से धूल और जंग साफ की गई। इसके बाद प्राइमर किया गया, नई लोहे की चादर डाली गई और रबर पैड लगाने के बाद एचबीम स्लीपर फिट किए जा रहे हैं।  

पुल के स्पैन अभी लोहालाट

ब्रिटिश काल में बने पुल के स्पैन अभी लोहा लाट है, उसी स्पैन पर लोहे की चादर रखने के बाद एचबीम चैनल स्लीपर लगाये जा रहे हैं।

बोले डीआरएम

वर्ष 1990 में अपलाइन के ट्रफ एक्सटेंशन किए गए थे, इसके साथ ही वर्ष 2016 में डाउनलाइन के जर्जर ट्रफ़ बदले गए थे। इस बार ट्रफ को हटाकर उसके स्थान पर एच बीम चैनल स्लीपर डलवाये जा रहे है। जो काफी मजबूत और टिकाऊ होते हैं यह स्लीपर लंबे समय तक कारगर साबित होंगे।- एस एम शर्मा, डीआरएम

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