Ramadan 2025: बेटा कर्जदार हो तो उसे भी दे सकते हैं जकात का पैसा... रोजेदार पूछ रहे अपने मन की बात

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार। रमजान के दौरान रोजेदारों की भ्रांतियों को दूर करने का काम शिया व सुन्नी हेल्पलाइन पर जारी है। कार्यालय आयतुल्लाह अल उज़मा सैयद सादिक़ हुसैनी शिराज़ी की ओर से जारी हेल्पलाइन पर मौलाना सैफ अब्बास नक़वी सवालों के जवाब दे रहे हैं जबकि इस्लामिक सेंटर ऑफ़ इंडिया की ओर से जारी हेल्पलाइन पर मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली की अध्यक्षता में गठित धर्मगुरुओं का पैनल जवाब दे रहा है।

एक रोजेदार ने हेल्पलाइन पर पूछा कि फितरा कैसे अदा किया जाएगा और इस साल फितरा की राशि क्या है? जवाब ने बताया गया कि इंसान रोज़ आटा खाता है इसलिए प्रति व्यक्ति तीन किलो आटे की कीमत जो लगभग 90 रुपये होगी, वह फितरे के रूप में देनी होगी।

एक सवाल आया कि क्या रोज़ा मगरिब की अज़ान खत्म होने के बाद ही खोला जा सकता है? जवाब में बताया गया कि समय पूरा हो जाए तो रोज़ा खोला जा सकता है, चाहे अज़ान शुरू हो या न हो। अज़ान एक निशानी है। अगर कोई ऐसी जगह है जहां अज़ान नहीं होती है या मस्जिद नहीं है, तो वहां समय देखकर रोज़ा खोला जाएगा। एक रोजेदार ने पूछा कि क्या कोई पिता अपने बेटे को ज़कात का पैसा दे सकता है? जवाब में बताया गया कि ज़कात का पैसा बेटे को उस समय दिया जा सकता है जब बेटा कर्जदार हो और उसका खर्च पूरा न होता हो।

एक सवाल आया कि साल पूरा होने के बाद किसी ने अपना सारा माल दान कर दिया तो क्या जकात माफ़ हो गई? जवाब में बताया गया कि उसकी जकात माफ़ हो गई।

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