Kanpur: मेडिकल कॉलेज में शुरू हुआ पहला आई बैंक, मरीजों को मिलेगा लाभ, 400 कार्निया सुरक्षित रखने की होगी व्यवस्था

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में मंगलवार को शहर के पहले आई बैंक की शुरुआत नेत्र रोग विभाग में की गई। उद्घाटन विधायक नीलिमा कटियार व प्राचार्य प्रो. संजय काला ने किया। आईं बैंक बनने से यहां कार्निया को 14 से 15 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इनका लाभ उन मरीजों को सबसे पहले मिलेगा, जिनको दोनों आंख से देखने में काफी समस्या है या वह देख ही नहीं सकते हैं।

हैलट अस्पताल के नेत्र विभाग में कानपुर स्मार्ट सिटी ने आई बैंक का निर्माण कराया है, जिसमे 400 कार्निया सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गई है। उद्घाटन के दौरान विधायक नीलिमा कटियार ने कहा कि आईं बैंक खुलने से अंधता से जूझ रहे लोगों के जीवन में उजाला हो सकेगा। प्राचार्य प्रो.संजय काला ने बताया कि आई बैंक से कार्निया अंधता मरीजों को उच्चस्तरीय सुविधा उपलब्ध होगी। उप प्राचार्य डॉ.रिचा गिरी ने नेत्रदान करने की अपील की। नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि कानपुर स्मार्ट सिटी से प्राप्त धनराशि से आई बैंक का निर्माण कार्य हुआ है। इस दौरान हैलट के प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके सिंह, आचार्य डॉ. परवेज खान, डॉ.पारूल सिंह, डॉ. सुरभी अग्रवाल, डॉ.नम्रता पटेल, डॉ.एसी गुप्ता, सीएमएस डॉ.एनसी त्रिपाठी, डॉ.अनुराग रजौरिया, डॉ.संतोष बर्मन समेत आदि डॉक्टर रहे।

अभी सिर्फ 50 कार्निया सुरक्षित रखने की व्यवस्था  

नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन 100 से 150 मरीज आंखों की समस्या से ग्रस्त पहुंचते हैं। इनमें कुछ को एक आंख या दोनों आंख से दिखाई देने में दिक्कत होती है। मेडिकल कॉलेज के पास पर्याप्त कार्निया नहीं होने की वजह से सभी मरीजों की आंखों की रोशनी लौटा पाना डॉक्टरों के लिए संभव नहीं हो पाता। अभी नेत्र रोग विभाग के आई बैंक में करीब 50 कार्निया ही सुरक्षित रखने की व्यवस्था है। 

प्रतिमाह सिर्फ 20 से 25 कार्निया ही आतीं दान 

अस्पताल में प्रतिमाह करीब 100 मरीज कार्निया प्रत्यारोपण के लिए आवेदन करते हैं लेकिन प्रतिमाह सिर्फ 20 से 25 कार्निया ही दान के माध्यम से आती हैं। इसलिए यह उन मरीजों में पहले लगाई जाती हैं, जिनको दोनों आंखों से देखने में समस्या है।

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