बरेली: ब्लैकलिस्ट फर्म को ठेका देने में अधिकारियों की गलती, जांच जारी
बरेली, अमृत विचार: नगर निगम में टेंडर देने में बड़ा खेल किया जा रहा है। कुछ अफसरों की मेहरबानी से बरेली स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी से ब्लैक लिस्ट घोषित एक फर्म को नगर निगम में सवा पांच करोड़ रुपये का ठेका दे दिया गया। मामला नगर आयुक्त के संज्ञान में आने पर कमेटी का गठन कर जांच शुरू हो गई है। फर्म को करीब पांच साल पहले तत्कालीन सीईओ ने आगरा विकास प्राधिकरण का फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाने पर ब्लैक लिस्ट कर दिया था।
आगरा की परमार कंस्ट्रक्शन को नगर निगम के उद्यान विभाग में डिवाइडर, पार्क आदि स्थानों पर लगे पौधों की देखभाल, सिंचाई आदि के लिए टेंडर मिला है। 2020 में इस फर्म ने बरेली स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सिविल वर्क, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन और मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एफआरएफ) सेंटर का टेंडर फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र लगाकर लिया था।
फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र की शिकायत तत्कालीन सीईओ और नगर आयुक्त अभिषेक आनंद के पास पहुंची। उन्होंने जांच कराई तो शिकायत सही पाई गई। इस पर 3 अक्टूबर 2020 को सीईओ की जांच आख्या के आधार पर परमार कंस्ट्रक्शन फर्म को ब्लैक लिस्ट घोषित करते हुए टेंडर की जमानत राशि जब्त कर ली गई थी।
पांच साल बाद यही फर्म ने नगर निगम के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से टेंडर की शर्तों में हेरफेर कर 5.28 करोड़ का उद्यान विभाग का ठेका लेने में कामयाब हो गई । इसकी शिकायत मिलने पर नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य ने उप नगर आयुक्त पूजा त्रिपाठी, मुख्य अभियंता मनीष कुमार अवस्थी और लेखाधिकारी अनुराग सिंह की कमेटी गठित कर जांच का निर्देश दिया है।
ब्लैक लिस्ट फर्म को इस कार्य का मिला ठेका
फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाने के आरोप में ब्लैक लिस्टेड हो चुकी आगरा की फर्म परमार कंस्ट्रक्शन को नगर निगम के उद्यान विभाग में 5 नवंबर 2024 को 5.28 करोड़ का ठेका दिया गा है। इस टेंडर के अनुसार 125 माली व कर्मचारी रखने हैं और डिवाइडर, पार्क आदि जगहों पर लगे पौधों की देखभाल, सिंचाई आदि का काम करना है। टेंडर दो साल का है।
टेंडर की शर्तों को ही छिपा दिया, ताकि मिल जाए ठेका
अक्टूबर माह में नगर निगम के उद्यान विभाग ने टेंडर निकाले थे। इसमें ब्लैक लिस्टेड कंपनी को टेंडर देने में काफी चालाकी की गई है। इसमें टेंडर प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आउटसोर्सिंग पर रखे गए कम्प्यूटर आपरेट सहित अन्य अधिकारियों को समिति में रखा गया था। सूत्रों के अुनसार टेंडर की कुछ शर्तां को तकनीकी चार्ट से हटा दिया गया। इसमें श्रम विभाग के नियमों की भी अनदेखी की गई।
नियम है कि श्रमिकों की सप्लाई होने पर ईपीएफ और ईएसआई प्रमाण पत्र और पहले दिए गए कर्मचारियों के फंड आदि की प्रति टेंडर में लगाना होता है। पर इसे शर्त के चार्ट से हटा दिया गया। सबसे गंभीर बात तो यह है कि अधिकारी बिना जांच पड़ताल के हस्ताक्षर करते गए। इस वजह से टेंडर पाने में ब्लैक लिस्टेड फर्म सफल हो गई।
आंख बंद कर किए हस्ताक्षर
नगर निगम के उद्यान विभाग के टेंडर के समय एक कमेटी बनाई गई थी। इसमें अपर नगर आयुक्त सुनील कुमार यादव, सहायक लेखा अधिकारी हृदय नारायण, पर्यावरण अभियंता राजीव कुमार राठी शामिल थे। कम्प्यूटर आपरेटर की भी भूमिका रही। दस्तावेजों की जांच में गंभीरता नहीं दिखाई। अधिकारियों ने आंख बंद कर हस्ताक्षर कर दिए। इसके बाद फर्म के पक्ष में टेंडर को हरी झंडी मिल गई। फिलहाल फर्म को काम से रोका नहीं गया है।
आगरा की फर्म को दिए गए टेंडर के मामले में जांच कमेटी बनाई गई है। कमेटी टेंडर के साथ लगे दस्तावेज और जीएफआर सहित शर्तों का परीक्षण कर जांच आख्या देगी। अगर गलत तरीके से टेंडर हुआ है तो निरस्त करते हुए कार्रवाई की जाएगी-संजीव कुमार मौर्य, नगर आयुक्त
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