Tahawwur Rana: मुंबई आतंकी हमले का मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा का विमान दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड, कोर्ट में हुई पेशी

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Published By Vishal Singh
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार गुरूवार को यहां पहुंचने पर हिरासत में लिया। राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर आज शाम विशेष विमान से यहां लाया गया।

मुंबई आंतकी हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को बृहस्पतिवार रात दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया। राणा को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के विशेष न्यायाधीश चंद्रजीत सिंह के समक्ष पेश किया गया।

वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और विशेष सरकारी अभियोजक नरेन्द्र मान ने एनआईए का प्रतिनिधित्व किया। दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता पीयूष सचदेवा अदालत में राणा का प्रतिनिधित्व करेंगे। राणा को जेल वैन, बख्तरबंद विशेष वाहन और एक एम्बुलेंस सहित कई वाहनों के काफिले में अदालत लाया गया।

राणा को अदालत में पेश करने से पहले दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मीडियाकर्मियों और आम लोगों को अदालत परिसर से बाहर कर दिया। पुलिस ने मीडियाकर्मियों से कहा कि वह सुनिश्चित कर रही है कि अदालत परिसर पूरी तरह से खाली रहे। 

एनआईए ने आज शाम को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि उसने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार राणा को सफलतापूर्वक प्रत्यर्पित करने में सफलता हासिल कर ली है। भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत शुरू की गई कार्यवाही के चलते राणा को अमेरिका में न्यायिक हिरासत में रखा गया था। राणा द्वारा प्रत्यर्पण को रोकने के लिए सभी कानूनी रास्ते आजमाने के बाद आखिरकार उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया पूरी हो गयी।

वक्तव्य में कहा गया है कि कैलिफोर्निया के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 16 मई 2023 को उसके प्रत्यर्पण का आदेश दिया था। इसके बाद राणा ने नौवीं सर्किट कोर्ट ऑफ अपील में कई मुकदमे दायर किए, जिनमें से सभी को खारिज कर दिया गया। इसके बाद उसने एक रिट , दो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक आपातकालीन आवेदन दायर किया लेकिन उसे भी खारिज कर दिया गया।

भारत द्वारा अंततः अमेरिकी सरकार से वांछित आतंकवादी के लिए आत्मसमर्पण वारंट प्राप्त करने के बाद दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण कार्यवाही शुरू की गई। एनआईए ने स्काई मार्शल, यूएसडीओजे की सक्रिय सहायता से पूरी प्रत्यर्पण प्रक्रिया के दौरान अन्य भारतीय खुफिया एजेंसियों, एनएसजी के साथ मिलकर काम किया, जिसमें भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने मामले को सफल निष्कर्ष तक ले जाने के लिए अमेरिका में अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय किया।

राणा पर डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाउद गिलानी और नामित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (एचयूजेआई) के गुर्गों के साथ-साथ पाकिस्तान स्थित अन्य सह-षड्यंत्रकारियों के साथ मिलकर 2008 में मुंबई में हुए विनाशकारी आतंकवादी हमलों की साजिश रचने का आरोप है। इन हमलों में कुल 166 लोग मारे गए और 238 से अधिक घायल हुए। भारत सरकार द्वारा गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत लश्कर ए तैयबा और एचयूजेआई दोनों को आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है।

तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण पर पाकिस्तान की पहली प्रतिक्रिया
तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के पर पाकिस्तान की तरफ से पहला बयान आया है। पाकिस्तान ने तहव्वुर राणा से खुद को अलग किया है। पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा, "तहव्वुर राणा ने पिछले दो दशकों में अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया है, उसकी कनाडाई नागरिकता बहुत साफ है। बता दें कि पाकिस्तान खुद को इसलिए अलग कर रहा है क्योंकि तहव्वुर राणा पाकिस्तानी सेना/आईएसआई का अंदरूनी सूत्र है, जो अब मुंबई 26/11 हमलों की साजिश में पाकिस्तान की प्रत्यक्ष भूमिका के बारे में खुलासा करेगा।

तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण पर शिवसेना नेता शाइना एनसी ने कहा, "एक मुंबईकर के तौर पर मुझे बहुत खुशी है कि उसका (तहव्वुर हुसैन राणा) प्रत्यर्पण किया जा रहा है। यह 2019 से प्रधानमंत्री मोदी की लगातार बातचीत का नतीजा है, जब उन्होंने उसके प्रत्यर्पण के संबंध में अमेरिका को एक राजनयिक नोट सौंपा था... यह जीत उन सभी नागरिकों की है, जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को 26/11 हमले में खोया है... प्रधानमंत्री मोदी की सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सभी साजिशकर्ताओं को करारा जवाब मिले और शिवसेना से हमारी मांग यही होगी कि तहव्वुर राणा को सजा-ए-मौत मिले।"

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