प्रयागराज : संवैधानिक व्यवस्था के तहत वयस्क माता-पिता एक साथ रहने के हकदार

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अंतरधार्मिक लिव-इन जोड़े को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के लिए पुलिस अधीक्षक, संभल को निर्देश देते हुए कहा कि बच्चे के जैविक माता और पिता अलग-अलग धर्म के हैं और वर्ष 2018 से एक साथ रह रहे हैं। बच्चा वर्तमान में एक वर्ष, चार महीने का है। ऐसे में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत वयस्क माता-पिता एक साथ रहने के हकदार हैं, भले ही उन्होंने विवाह न किया हो। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने अंतर धार्मिक जोड़े की नाबालिग बेटी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया।
बच्ची की मां ने बताया कि अपने पूर्व पति की मृत्यु के बाद वह बच्ची के जैविक पिता के साथ रहने लगी थी, जिस कारण उसके पूर्व पति के घर वाले यानी उसके ससुराल वाले उन्हें लगातार धमका रहे थे। जोड़े ने यह भी बताया कि जब वे विपक्षियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस थाने जाते हैं तो पुलिस अधिकारी बार-बार उन्हें अपमानित करते हैं। अतः कोर्ट ने संबंधित पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि यदि बच्चों के जैविक माता-पिता संबंधित पुलिस थाने में जाते हैं तो एफआईआर दर्ज की जाए, साथ ही इस पहलू पर भी गौर किया जाए कि क्या कानून के अनुसार बच्चे और माता-पिता को कोई सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है।
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