माइग्रेन को नजरअंदाज करने से हो सकता ब्रेन अटैक, कानपुर में डॉक्टर बोले- चाइनीज फूड भी बीमारी के बढ़ने की एक वजह
कानपुर, अमृत विचार। माइग्रेन का दर्द सिर में एक साइड में होता है और आंखों को भी नुकसान पहुंचाता है। अधिक समय तक लापरवाही ब्रेन अटैक का कारण बन जाती है। यह जानकारी रविवार को आईएमए सीजीपी में दिल्ली से आए डॉ.पुनीत अग्रवाल ने दी। साथ ही उन्होंने बचाव की भी जानकारी दी।
परेड स्थित आईएमए सीजीपी कानपुर सब फैकल्टी के 42वें रिफ्रेशर कोर्स के तृतीय दिन दिल्ली से आए डॉ.पुनीत अग्रवाल ने बताया कि गर्मी में लोगों में माइग्रेन की समस्या अधिक बढ़ जाती है। क्योंकि हीट के साथ डिहाइड्रेशन की भी समस्या होने लगती है। ऐसे में न्यूरो पेपराइट, सीजीआरपी व पीएसीपी नामक केमिकल बढ़ता है, जिससे माइग्रेन होता है। चाइनीज फूड भी माइग्रेन की समस्या को बढ़ाने का एक कारण है। 250 लोगों पर की गई स्टडी में पता चला कि माइग्रेन की समस्या होने पर जिन पांच फीसदी लोगों ने लापरवाही की, उनमे ब्रेन अटैक के संकेत देखे गए।
माइग्रेन को जीवनशैली में बदलाव, पर्याप्त नींद, योग व व्यायाम के माध्यम से दूर किया जा सकता है। सिर के एक तरफ तेज दर्द, धड़कता हुआ या स्पंदन जैसा दर्द, मतली या उल्टी, रोशनी व आवाज से परेशानी, दर्द 4 से 72 घंटे तक रहता है तो यह माइग्रेन का संकेत है। लखनऊ से आए डॉ.धमेंद्र भदौरिया ने बताया कि डायबिटीज गुर्दे की बीमारी का प्रमुख कारण है। मोटापा, स्मोकिंग व ब्लड प्रेशर भी किडनी को नुकसान पहुंचाने में काफी सहायक है, ऐसे में बचाव बेहद जरूरी है।
युवावस्था में कोलेस्ट्रोल हाई होने से बढ़ रही दिल की बीमारी
वाराणसी से आए डॉ.अजय कुमार पांडेय ने बताया कि जीवनशैली में बदलाव व वसा युक्त भोजन से युवाओं में कोलेस्ट्रोल बढ़ने की समस्या हो रही है, जिसके कारण युवावस्था में ही लोग दिल की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। डायबिटिज और फैटी लिवर से ग्रस्त व्यक्ति को हार्ट अटैक होने के चांस 60 फीसदी तक रहते हैं। दिल्ली में हुई स्टडी में पता चला है कि जिनको फैटी लिवर की समस्या है, उनमे 40 से 45 फीसदी मामले हार्ट अटैक के सामने आए हैं। सौ में से 20 फीसदी लोग लापरवाही के कारण दिल की बीमारी का शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा एयर पाल्यूशन व साउंड पाल्यूशन भी हार्ट अटैक का कारण बन रहा है।
कोविड के बाद जल्दी हो रही बहरेपन की समस्या
लखनऊ एसजीपीआई से आए डॉ.अमित केसरी ने बताया कि डायबिटिज ग्रस्त लोगों में कम सुनाई देने की समस्या बढ़ रही है। वहीं, डायलिसिस पर चल रहे 30 फीसदी मरीजों में भी कम सुनाई देने की समस्या देखनी को मिली। करीब 10 साल पहले डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 20 में से एक व्यक्ति 70 वर्ष की उम्र होने पर कम सुनाई देने की समस्या से ग्रस्त होता था, लेकिन अब यह मानक हाल में ही बदला गया है। अब चार में एक व्यक्ति कम सुनाई देने की समस्या की तकलीफ से ग्रस्त है, जिसकी उम्र 50 से 60 वर्ष है। वहीं, कोविड के बाद कानों में वायरल इंफेक्शन, कान में सनसनाहट होने, चक्कर आना व कम सुनाई देने के मरीज बढ़े हैं। ऐसे मरीजों की सुनने वाली नर्व में सूजन मिली है। कान में समस्या होने पर फिर आवाज में दिक्कत होने लगती है।
बचपन में ही कमजोर हो रही दूर की नजर
शंकर कार्तिक आई हॉस्पिटल के डॉ.मनीष सक्सेना ने बताया कि पहले ओपीडी में 10 में से मोयोपिया (दूर की नजर कमजोर होना) से ग्रस्त एक या दो बच्चे जांच में सामने मिलते थे, लेकिन अब एक या दो बच्चों को छोड़कर अधिकांश दूर की नजर कमजोर होने के बच्चे आते हैं। पहले चश्मा नंबर एक से चार तक जाता था, लेकिन अब बच्चों का चश्मा नंबर 8 से 10 तक जा रहा है। यह समस्या तब सामने आती है, जब जन्म के तीन या चार साल बाद बच्चा स्कूल जाता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.शालिनी मोहन ने बताया कि वर्तमान में एक चौथाई लोग मायोपिया से ग्रस्त हैं, जिनमे बच्चे व युवावस्था की संख्या 30 से 35 फीसदी है। इसका कारण मोबाइल अधिक देखना, आउटडोर गेम न खेलना अंधेरे में मोबाइल चलाना व पौष्टिक भोजन न करना है। युवावस्था में युवतियों को आंखों के नर्व में समस्या हो रही है, जिसकी वजह से सिर में दर्द, आंखों के आसपास दर्द व नर्व में सूजन होती है।
आईएमए सीजीपी में शाम को गुंतास ने बांधा समा
आईएमए सीजीपी में शाम को सिंगर गुंतास के गीतों पर डॉक्टरों ने जमकर डांस किया और नृत्य किया। इस दौरान आईएमए यूपी स्टेट अध्यक्ष डॉ.पीके अग्रवाल, प्रांतीय सचिव डॉ.आशीष कुमार अग्रवाल, फैकल्टी डायरेक्टर डॉ.अशोक कुमार सिंह, आईएमए कानपुर अध्यक्ष डॉ.नंदिनी रस्तोगी, सचिव डॉ.विकास मिश्रा, उपाध्यक्ष डॉ.कुणाल सहाय, डॉ.शालिनी मोहन, डॉ. एसके गौतम, डॉ. दीपक श्रीवास्तव, डॉ.गौरव मिश्रा, डॉ.अनीता गौतम, डॉ.एके त्रिवेदी समेत आदि डॉक्टर मौजूद रहे।
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