Barabanki News : मौसम की मार 802 किसानों ने नष्ट कर दी फसल
बाराबंकी : इस बार की अफीम फसल ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरने का काम कर दिया। बाराबंकी समेत छह जिलों के हजारों किसान खराब मौसम, ओलावृष्टि और पछुआ हवाओं की वजह से प्रभावित हुए हैं। अफीम की बोवाई से लेकर कटाई तक की पूरी प्रक्रिया पर मौसम ने खासा असर डाला, जिससे उत्पादन न केवल घटा, बल्कि मानकों पर खरा उतरना भी मुश्किल हो गया। यूं ही नहीं 802 किसानों ने मजबूरी में अपनी फसल नष्ट कर दी।
अफीम उत्पादक किसानों के लिए यह सीजन सिर्फ खेती नहीं, बल्कि मानसिक तनाव का कारण भी बन गया है। 802 किसानों को मजबूरी में अपनी फसल नष्ट करनी पड़ी, वहीं बाकी किसान जैसे-तैसे जो थोड़ा-बहुत निकला, उसी को जमा करने अफीम कार्यालय जा रहे हैं। हैदरगढ़ के एक किसान ने कहा कि पौधे तो उगे थे, पर हवा और ओलों ने सब बिगाड़ दिया। अब जो निकला है, वो भी मानक पूरा करेगा या नहीं, पता नहीं। किसान नरेंद्र वर्मा का कहना था कि हर साल की तरह मेहनत तो की, लेकिन इस बार कुदरत ने साथ नहीं दिया। अब डर यही है कि कहीं फसल रिजेक्ट न हो जाए। दूसरी ओर, जिला अफीम कार्यालय ने व्यवस्थाएं चुस्त रखने का दावा किया है। राजकमल रोड स्थित केंद्र पर टेंट, जलपान, बैठने की पूरी व्यवस्था की गई है।
सुरक्षा के इंतजाम भी सख्त हैं। फिलहाल अब तक 205 किसानों की तौल हो चुकी है, और 21 अप्रैल से डोडा जमा करने की प्रक्रिया शुरू होगी पर किसान यह नहीं भूल पा रहे कि अफीम का उत्पादन उनकी मेहनत से ज्यादा अब मौसम की मेहरबानी पर निर्भर है। जिला अफीम कार्यालय के अनुसार इस बार लगभग 20 क्विंटल अफीम जमा होने की संभावना है, जिसमें से करीब 300 किसानों ने स्वयं चीरा लगाकर अफीम निकाली है।
वहीं शेष करीब 1900 किसानों से 21 अप्रैल से डोडा अफीम पौधे का सूखा भाग जमा किया जाएगा। विभाग ने स्पष्ट किया है कि प्रत्येक किसान को न्यूनतम 6.5 किलो अफीम जमा करनी होगी, जिसमें शुद्धता लगभग 4.5 किलो होनी अनिवार्य है। जिला अफीम अधिकारी करुण बिलग्रामी ने बताया कि 16 से 18 अप्रैल तक तीन दिन की प्रक्रिया के दौरान बुधवार को 85 किसानों और गुरुवार को 120 किसानों की तौल की गई है। 21 अप्रैल से जीपीएस आधारित लाइसेंसधारकों के डोडों की तौल शुरू होगी।
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