लखनऊः आम आदमियों को ''चुभने'' लगी सोने-चांदी की चमक, सर्राफा में कम हुए ग्राहक
अपनी पुरानी वजन दार ज्वेलरी को करा रहे हल्की
नीरज मिश्र, लखनऊ, अमृत विचार: सोना और चांदी की कीमतें छह डिजिट का आंकड़ा छूने को बेताब है। ट्रेडवार और ट्रंप के टैरिफ ने सोना बाजार में चमक तो बढ़ा दी है लेकिन अब आम उपभोक्ता बाजार से धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है। लोग अपनी जरूरतें पुरानी ज्वेलरी में पॉलिस करा या फिर उसे तुड़वाकर पूरी कर रहे हैं। कारोबारी मान रहे हैं कि सहालग के मौसम में सर्राफा बाजार जहां उफान पर रहता है अब यहां खरीदारों की संख्या में गिरावट आती जा रही है। रफ्तार भरती कीमतों को देखते हुए 50 से 100 ग्राम सोना खरीदने वाले ग्राहक अब एक तिहाई खरीदारी पर उतर आए हैं। यही हाल सोने-चांदी के आइटम गिफ्ट में देने वाले उपभोक्ताओं का भी है। वह भी बाजार से नदारद हैं। लोगों ने सोने की खरीदारी में अपना हाथ सिकोड़ लिया है। या यूं कहें कि दोनों धातुओं की कीमतें अब आम ग्राहक को बाजार में चुभने लगी हैं। इससे रोजमर्रा के ग्राहक बाजार से गायब होने लगे हैं। दशकों बाद पीली और सफेद धातु अपनी सर्वोच्च ऊंचाईयों की ओर बढ़ चुकी है। जहां सोने का शुक्रवार का भाव 98,650 रुपये प्रति दस ग्राम पहुंच चुका है। चांदी भी 98,200 प्रति किलो है। इसमें तीन प्रतिशत जीएसटी शामिल है।
लखनऊ सर्राफा बाजार में सोने का भाव
सोने का भाव
माह सोने की कीमत (प्रति 10 ग्राम)
18 जनवरी- 81,400
18 फरवरी- 87,900
18 मार्च- 90,900
18 अप्रैल- 98,650
चांदी का भाव
माह चांदी की कीमत (प्रति किग्रा)
18 जनवरी- 93,100
18 फरवरी- 99,200
18 मार्च- 1,02,000
18 अप्रैल- 98,200
(नोट- यह आंकडे़ इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन इब्जा की ओर से दिए गए हैं। इनमें 03 प्रतिशत जीएसटी जुड़ी है।)
पीली धातु के साथ चांदी की भी कदमताल जारी
सोने की तरह ही धवल धातु चांदी भी पीछे नहीं है। आज की कीमतों पर नजर डाली जाए तो दोनों धातुएं 98 हजार से ऊपर निकल चुकी हैं। सोने के भाव के साथ चांदी भी अपनी नई कीमतों के साथ कदमताल कर रही है।
इंडिया बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन (इब्जा) के स्टेट हेड अनुराग रस्तोगी बताते हैं कि बाजार से आम ग्राहक गायब है। पुरानी ज्वेलरी से काम चलाने की कोशिश है। सहालग के मौसम में बाजारों में चमक रहती है। लेकिन कीमतों को देखते हुए यह पहली बार देखने को मिला है कि सर्राफा बाजार में खरीदार गायब हो रहे हैं। रस्तोगी बताते हैं कि इंटरनेशलन बैंक वैश्विक उथल-पुथल को देखते हुए डॉलर के बजाय स्वर्ण भंडारण पर ध्यान दे रहे हैं। रोजमर्रा के वे ग्राहक जो अब चला रहे हैं इन तरीकों से काम...।
-लोग पुरानी ज्वेलरी को पॉलिस करा वैवाहिक समारोह में देने को मजबूर हैं।
-पुराने सोने के जेवर तुड़वाकर उसे हल्का कर उपहार स्वरूप शादी में दे रहे हैं।
-जो ग्राहक 100 ग्राम सोने की परचेसिंग क्षमता वाले थे वह 30 से 50 ग्राम पर आ गए हैं।
-भारी जेवरों के खरीदार बाजार में गायब हैं।
-लोगों को सोने की अंगूठी, पायल, लच्छा या फिर हल्की जंजीर गिफ्ट में देने वाले ग्राहक भी बाजार में नहीं हैं।
-जो हैं वह अपनी पुरानी वजनदार ज्वेलरी को बेच रहे हैं।
-सहालग में शादी वाला ग्राहक बस औपचारिकता निभा रहा है।
ट्रंप के टैरिफ वार ने कीमतों की रफ्तार बढ़ा दी है। सहालग के सीजन में बाजार से ग्राहक गायब होता जा रहा है। जो ग्राहक आ रहे हैं वह अपनी पुरानी ज्वेलरी को तुड़वाने या फिर पॉलिस के लिए। आम तौर पर लोग शादियों में गिफ्ट के तौर पर छोटे आइटम अंगूठी और चांदी का सामान लेने भी नहीं आ रहे हैं। कीमतों की रफ्तार से सर्राफा बाजार सिमटता जा रहा है। आदीश जैन, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, लखनऊ सर्राफा
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