2000 रुपये से अधिक के UPI लेन-देन पर क्या देना होगा GST? वित्त मंत्रालय ने कर दिया साफ

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Published By Deepak Mishra
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नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को कहा कि 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेन-देन पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने का काई प्रस्ताव नहीं है और ऐसे किसी भी प्रस्ताव की बात भ्रामक और निराधार है। वित्त मंत्रालय ने आज एक बयान में कहा कि इस तरह के दावे ‘पूरी तरह से झूठे, भ्रामक और निराधार हैं’ कि सरकार यूपीआई लेन-देन पर इस तरह जीएसटी लगाने का विचार कर रही है। बयान में कहा गया है, “सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।”

बयान में कहा गया है कि कुछ उपकरणों (कार्ड जैसे माध्यमों) का उपयोग करके किए गए भुगतानों से संबंधित मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) जैसे शुल्कों पर ही जीएसटी लगाया जाता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 30 दिसंबर 2019 को राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के माध्यम से व्यक्ति-से-व्यापारी (पी2एम) को यूपीआई से भुगतान पर एमडीआर हटा चुका है।

मंत्रालय ने कहा है,“चूंकि वर्तमान में यूपीआई लेनदेन पर कोई एमडीआर लगाया ही नहीं जाता है, ऐसे इन लेन-देन पर कोई जीएसटी लागू ही नहीं किया जा सकता है।” बयान में कहा गया है कि सरकार यूपीआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत में यूपीआई लेन-देन में तेजी से वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2019-20 में यूपीआई के जरिए कुल भुगतान 21.3 लाख करोड़ रुपये से था जो चालू मार्च 2025 को समाप्त वित्त वर्ष में बढ़ कर 260.56 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

पिछले वित्त वर्ष के अंत तक पी2एम लेन-देन 59.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। सरकार ने (पी2एम) लेनदेन को लक्षित वर्ष 2021-22 से एक प्रोत्साहन योजना चालू की है। इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2021-22 में 1,389 करोड़ रुपये, 2022-23 में 2,210 करोड़ रुपये, 2023-24 में 3,631 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।

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