World Liver Day 2025: देश का हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर का शिकार, ऐसे करें बचाव

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार : नवीन अध्ययनों के अनुसार, देश में हर तीसरा व्यक्ति (कुल आबादी का लगभग 38 फीसदी) फैटी लिवर (वसायुक्त यकृत) का शिकार है। फैटी लिवर के मुख्य कारण मोटापा, गतिहीन जीवन शैली, जंक फूड खाना और लोगों में व्यायाम और खेल गतिविधियों की कमी है। यह जानकारी किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमय) के गैस्ट्रो मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सुमित रूंगटा ने विश्व लिवर दिवस के एक दिन पूर्व शुक्रवार को रिवर बैंक कॉलोनी स्थित आईएमए भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में साझा की।

डॉ. रूंगटा ने बताया लोगों को लिवर के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस मनाया जाता है। इसे मानाने के लिए हर साल एक अलग थीम का चयन किया जाता है। इस साल विश्व लिवर दिवस की थीम -''भोजन ही दवा है'' रखी गई है। इस थीम के साथ इस दिन को मनाने का उद्देश्य ऐसे खान पान को बढ़ावा देना है, जो हमारी सेहत के लिए औषधि का काम करता हो। जिससे हमारी लिवर की सेहत का ख्याल रखा जा सके। डॉ. सुमित ने इस बात पर जोर दिया गया कि वसायुक्त यकृत रोग के लिए वजन कम करना और व्यायाम सबसे प्रभावी उपचार है। इसके लिए प्रतिदिन कम से कम एक घंटा व्यायाम करें, 45 मिनट तक तेज गति में चलें, 15 मिनट तक मसल्स एक्सरसाइज जरूर करें। इसके अलावा भोजन में रोटी, चावल और आलू, जंक फूड का सेवन कम से कम करें। इसकी जगह पर सलाद, हरी सब्जियां और अंकुरित अनाज को भोजन में शामिल करना लाभकारी है।

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फैटी लिवर से कैंसर का भी खतरा

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान(एसजीपीजीआई) के प्रोफेसर डॉ. गौरव पांडेय ने बताया मानव शरीर में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अंग लिवर है, लेकिन हम इसकी सबसे ज्यादा अनदेखी भी करते हैं। इसका वजन लगभग डेढ़ किलो होता है। इसकी वजह से शुरुआत में फैटी लिवर के लक्षण पता नहीं चल पाते हैं। 70 फीसदी से अधिक नुकसान होने पर लक्षण दिखाई देने लगते हैं। फैटी लिवर रोग तब होता है जब लिवर कोशिकाओं में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। यह दो प्रकार का होता है, अल्कोहलिक फैटी लिवर और गैर अल्कोहलिक फैटी लिवर। गैर अल्कोहलिक अधिक आम है और अक्सर मोटापे, मधुमेह और मेटाबोलिक सिंड्रोम से जुड़ा होता है, जबकि अल्कोहलिक फैटी लिवर अत्यधिक शराब के सेवन से होता है। फैटी लिवर रोग को नजरअंदाज करना सेहत के लिए सही नहीं है। इससे आप लिवर कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर से भी ग्रसित हो सकती हैं। लक्षण पता चलते ही विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।

नियमित जांच जरूरी

आईएमए के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. मनीष टंडन ने बताया लिवर की बीमारी से ग्रस्त मरीज विशेषज्ञों के पास काफी देरी से पहुंचते हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि 70 फीसदी लिवर खराब होने तक कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसके लिए नियमित जांच कराते रहने से लिवर की बीमारी से बचा जा सकता है। समय से इलाज शुरू होने से बड़ी समस्या से बचा जा सकता है। पैरों में सूजन, पेट में पानी भरना, पेट के दाहिने तरफ भारीपन प्रमुख लक्षण हैं। बचाव के लिए मधुमेह, उच्च रक्तचाप,उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों को नियंत्रित रखें, संतुलित आहार का सेवन और नियमित व्यायाम करें।

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