लखीमपुर खीरी: ऑपरेशन बाघिन...डायना और सुलोचना खंगाल रहीं जंगल का चप्पा-चप्पा

लखीमपुर खीरी: ऑपरेशन बाघिन...डायना और सुलोचना खंगाल रहीं जंगल का चप्पा-चप्पा

केशवापुर, अमृत विचार। दक्षिणी खीरी वन प्रभाग की वनरेंज मोहम्मदी के गांव अजान, इमलिया, घरथनिया, मूड़ाजवाहर, मूड़ाअस्सी में बाघिन के हो रहे हमलों से दर्जनों गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है। इसके लिए वन विभाग ने इमलिया गांव के बाहर सरायन नदी के किनारे शावकों के साथ बाघिन की लगातार चहल कदमी को देखते हुए पकड़ने के इंतजाम किए है।

गांव मूड़ा जवाहर निवासी किसान मुन्नालाल पर खेत की जुताई करते समय बाघिन ने हमला कर घायल कर दिया था। घायल के परिजनों व तमाम ग्रामीणों ने बाघ को पकड़ने के लिए आक्रोश व्यक्त करते हुए हाइवे जाम किया था। जिसमें तहसीलदार गोला सुखवीर सिंह, कई जनप्रतिनिधियों व पुलिस अधिकारियों के समझाने-बुझाने पर ही मामला शांत हो सका था। इससे वन विभाग काफी दबाव में है। जिसका असर साफ-साफ दिखाई पड़ता है। वन अधिकारियों द्वारा बाघिन को पकड़ने के लिए काफी प्रयास किये जा रहे हैं। कैमरों से लेकर पिजड़े, मचान, ट्रंकुलाइज एक्सपर्टों, थर्मल ड्रोन, हथिनियां का सहयोग लेकर बाघिन से ग्रामीणों को मुक्ति दिलाने का प्रयास हो रहा है।

रेस्क्यू टीम ने बाघ प्रभावित क्षेत्र में लगातार गश्त बढ़ा दी, साथ ही बाघिन को पकड़ने के लिए दुधवा नेशनल पार्क के चिकित्सक डॉ. दयाशंकर, कर्तनिया घाट के चिकित्सक दीपक वर्मा की देखरेख में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ. के दबीर हसन, मोहम्मदी रेंजर निर्भय प्रताप शाही, डिप्टी रेंजर रामनरेश वर्मा, डिप्टी रेंजर सुरेंद्रपाल गौतम, वनदरोगा माया प्रकाश वर्मा, विजय सिंह, रोहित श्रीवास्तव, मित्रपाल सिंह तोमर, पंकज कुमार, अखिलेश सिंह, प्रज्वल कुमार, नरेंद्र कुमार, वनरक्षक और उनके स्टाफ़ ने सरायन नदी के किनारे बाघिन प्रभावित क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन शुरू किया है।

बाघिन पकड़वाने की जिम्मेदारी एक बार फिर डायना और सुलोचना पर
दुधवा नेशनल पार्क की प्रशिक्षित हथिनियां महावत अयूब की सुलोचना व मेहताब की डायना के साथ शनिवार देर रात इमलिया पहुंची। डायना और सुलोचना ने रेस्क्यू टीम का सहयोग करते हुए बाघिन प्रभावित इलाकों में कांबिग की है। करीब एक दर्जन से अधिक रेस्क्यू ऑपरेशन में भाग ले चुकी यह दोनों प्रशिक्षित हथिनियां रेस्क्यू के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं जिन पर ट्रेंकुलाइज एक्सपर्ट बैठकर निशाना साधते हुए बाघ को बेहोशी की डाट मारते हैं। हालांकि पिछले सर्च ऑपरेशन में भी लगभग एक सप्ताह तक इनकी सेवाएं ली गई थी।

ग्रामीणों का तर्क, अधिकारी करते हैं खानापूर्ति
वन विभाग के चल रहे इस अभियान को ग्रामीणों ने सिर्फ दिखावा करार दिया है। उनका कहना है कि पिछले वर्ष भी वन विभाग, ट्रंकुलाइज एक्सपर्ट करीब तीन-चार माह तक निशाना साधते रहे, लाखों रुपए खर्च कर मौज-मस्ती कर अभियान रोंक दिया गया था। अब मुन्नालाल पर बाघ के हमले के विरोध में जनाक्रोश को दबाने के लिये बिना परमीशन ही बाघ पकड़ने का नाटक किया जा रहा है।

बाघिन के शावक को पकड़े जाने की चर्चा जोरों पर
रेस्क्यू टीम द्वारा चलाए जा रहे अभियान में सोमवार को एक शावक के वन विभाग द्वारा लगाए गए पिंजरे या खाभर में फंसने की चर्चा काफी तेजी से वायरल हुई, इस मामले में वन विभाग चुप है। वहीं शावकों सहित बाघिन को पकड़ने की अनुमति पर वनरेंज के अधिकारी कोई जबाब नहीं दे रहे हैं।

परियोजना अधिकारी डब्ल्यूडब्लयूएफ दबीर हसन ने बताया कि बाघिन को पकड़ने का अभियान एक्सपर्टो द्वारा चलाया जा रहा है। उम्मीद है कि शीघ्र ही बाघिन को बेहोश कर पकडा जाएगा। डीएफओ लखीमपुर संजय विश्वाल ने बताया कि बाघिन को पकड़ने की स्वीकृति मिल चुकी है, जिसे पकड़ने के लिए दो डॉक्टर दयाशंकर, दीपक वर्मा, दो हथिनियां डायना व सुलोचना सहित 40 लोगों की टीम लगी है। शावकों के बारे में अभी तक कोई पुष्टि नहीं हो सकी है।