मथुरा पुलिस का दावा : कृष्ण की नगरी से कोसों दूर रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक 

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Published By Vinay Shukla
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Intruders' denial : मथुरा की पुलिस ने कहा कि जिले में कोई रोहिंग्या या बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से नहीं रह रहा है और उस दावे का भी खंडन किया जिसमें कहा गया कि कबाड़ व्यापारी ऐसे ‘‘घुसपैठियों’’ को शरण दे रहे हैं। श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में दो याचिकाकर्ताओं द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखे जाने के बाद पुलिस की ओर से यह प्रतिक्रिया आई है।

इस पत्र में अवैध अप्रवासियों और उन कबाड़ व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है जो कथित तौर पर जिले में उन्हें रोजगार दे रहे हैं। गोवर्धन निवासी दिनेश कौशिक ने आरोप लगाया, ‘‘ये अप्रवासी अक्सर दिन में कूड़ा-कबाड़ा इकट्ठा करते हैं और रात के समय चोरी-डकैती जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देते हैं।

’’ उन्होंने दावा किया कि कमोबेश राज्य के सभी जिलों में इस तरह के ‘‘घुसपैठिए’’ हैं और ऐसे लोगों को देश से बाहर निकालने की मांग की। कौशिक ने दावा किया, ‘‘पुलिस जब भी छापेमारी करती है तो कबाड़ व्यापारी ही उन्हें (रोहिंग्या व बांग्लादेशी मुसलमानों) अपने गोदामों आदि स्थानों पर छिपा लेते हैं और उनके सहारे अपना धंधा करते हैं।’’ रविवार को पत्र लिखने वाले कौशिक ने यह भी दावा किया कि वृंदावन के कई संतों ने इस मांग को अपना समर्थन दिया है। एक अन्य याचिकाकर्ता दिनेश फलाहारी ने अपने पत्र में दावा किया कि राज्यभर में कबाड़ का कारोबार अधिकांश रूप से मुस्लिम समुदाय के सदस्यों द्वारा किया जाता है जो अपने संरक्षण में अवैध प्रवासियों को काम पर रखते हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि इन अवैध अप्रवासियों के पास फर्जी आधार कार्ड हैं, जिससे उन्हें राशन आपूर्ति जैसे सरकारी संसाधनों तक पहुंच मिलती है और ‘‘वोट बैंक की राजनीति’’ के चलते उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी मिलता है। हालांकि, पुलिस ने उपरोक्त दावों का खंडन करते हुए कहा कि मथुरा जिले में ऐसा कोई रोहिंग्या या बांग्लादेशी मुसलमान नहीं है, जो अवैध रूप से रह रहा हो। उसने कहा कि कुछ माह पहले जैंत क्षेत्र में इस तरह के लगभग 12 लोगों की मौजूदगी का पता लगाया गया था। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ये लोग शरणार्थी परमिट पर रह रहे रोहिंग्या मुसलमान थे। जब उनके परमिट की अवधि समाप्त हो गई तो कानूनी कार्रवाई शुरू की गई और उन्हें जेल भेज दिया गया। उनमें से कुछ अभी भी जेल में हैं, जबकि अन्य जमानत पर बाहर हैं।’

’ उन्होंने यह भी दावा किया पिछले वर्षों में जिले में अवैध रूप से रह रहे 135 बांग्लादेशी नागरिकों को न्यायालय द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद उनके देश वापस भेज दिया गया। इस संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने बताया, ‘‘मुझे इस संबंध में (मुख्यमंत्री को पत्र लिखे जाने को लेकर) कोई जानकारी नहीं है। किसी ने मुझसे न तो इस बारे में संपर्क किया और न ही इस प्रकार की मांग की है। मेरी जानकारी के अनुसार जिले में कोई रोहिंग्या या बांग्लादेशी घुसपैठिया नहीं है। हालांकि, मैं इस मामले की जांच करवाऊंगा।

’’इसके अलावा वृंदावन के कई संतों ने भी इस मुद्दे पर अपनी तीखी राय व्यक्त की है। महामंडलेश्वर रामदास जी महाराज ने कहा, ‘‘अवैध रूप से घुस मुस्लिमों को बाहर कर देना चाहिए और संतों को आवश्यकता पड़ने पर कड़े कदम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए।’’ राम की दासी युगेश्वरी देवी जी ने कहा, ‘‘अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या हमारे देश को नर्क बनाने में लगे हुए हैं।’’ देवी मीरा किशोरी ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की। 

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