Kanpur: 50 फीट ऊंचाई पर बसेरा, नीचे अतिज्वलनशील केमिकल का खतरनाक कारोबार, मगर अग्निशमन के इंतजाम नहीं
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कानपुर, अमृत विचार। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सैकड़ों की संख्या में आसमान से बातें करती बिल्डिंगों में खतरनाक कारोबार चल रहे हैं। बहुमंजिली इमारतों में 50 फीट की ऊंचाई पर हजारों लोग रहते हैं, जबकि नीचे प्रथम तल और बेसमेंट में अतिज्वलनशील केमिकल वाले कारोबार चल रहे हैं।
घनी आबादी वाले क्षेत्रों में छोटे-छोटे कारोबार चल रहे हैं, जिनमें हजारों लोग काम करते हैं। हजारों की संख्या में मैटीरियल बिक्री की दुकानें व गोदाम हैं। इन दुकानों व गोदामों में खतरनाक केमिकल जैसे जूते में लगाने वाले श्लोशन, स्प्रिट, रबर, फोम व अन्य वस्तुएं भरी हुई हैं। इनमें यदि चिंगारी गिर जाए तो मिनटों में पूरी बिल्डिंग को खाक में मिला सकती है। कई बार ऐसा भी हुआ है, लेकिन इन हादसों से कोई सबक नहीं ले रहा है।
हालांकि बहुमंजिला भवन निर्माण में अब बिल्डरों की मनमानी नहीं चलेगी। क्योंकि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने बहुमंजिला भवनों की ऊंचाई का मानक तय कर दिया है। इस मानक का अनुपालन किया गया तो आग से भी लोगों का बचाव हो जाएगा।
एनओसी के बाद ही बन सकती 15 मीटर ऊंची बिल्डिंग
केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के दिशा-निर्देश के अनुसार 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली बहुमंजिला इमारतों की ऊंचाई आसपास की सड़कों की चौड़ाई व फायर स्टेशन से दूरी पर निर्भर करेगी। यदि सड़कें चौड़ी नहीं हैं तो वहां बहुमंजिली इमारत के निर्माण की इजाजत नहीं मिलेगी। मंत्रालय के अनुसार पयार्वरणीय अनुमति देते समय यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आपदा प्रबंधन, अग्निशमन विभाग के नियमों का सख्ती से पालन किया गया है या नहीं। सरकार की ओर से अब 15 मीटर से ऊंचे भवनों के अलावा 15 मीटर से नीचे के भवनों में अग्निशमन उपकरण लगाना अनिवार्य है।
30 से 45 मीटर ऊंची बिल्डिंग का मानक
यदि 30 से 45 मीटर ऊंची है तो इसके लिए जरूरी है कि फायर स्टेशन इस बिल्डिंग से कम से कम 10 किलोमीटर की परिधि में हो, लेकिन अगर यह दूरी 18 मीटर हो तो और अच्छा है। इसी प्रकार 46 से 60 मीटर ऊंची 5 से 6 बिल्डिंग हैं, तो वहां से फायर स्टेशन की दूरी मात्र 2 किमी होना चाहिए।
दमकल विभाग से दो बार अनुमति जरूरी
केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अग्निशमन विभाग साल में एक बार जरूर मॉकड्रिल करे। बिल्डर को इमारत बनाने से पहले और निर्माण पूरा होने के बाद दो बार अनुमति लेना अनिवार्य है।
ध्यान देने योग्य बातें
-आग लगने की दशा में कभी भी लिप्ट का प्रयोग नहीं करना चाहिए, बल्कि जीने से उतरें।
-बहुमंजिली इमारतों में आपातकाल के लिए पीछे की ओर एक जीना होना जरूरी है।
-15 मीटर ऊंचाई वाली बिल्डिगों के चारों ओर 5-5 मीटर का खाली स्थान होना चाहिए, ताकि फायर की गाड़ियां पहुंच सकें।
-बिल्डिंग में भूमिगत या फिर ऊपरी भाग में एक लाख लीटर का टैंक होना चाहिए।
-बिल्डिंग के सभी कमरों में फायर सिस्टम होने चाहिए, ताकि आग लगते ही सिस्टम स्वत: चालू हो जाए।
-फायर अलार्म होना भी जरूरी है, ताकि हादसे के वक्त अलार्म बज जाए और लोग सर्तक हो जाएं।
- आग बुझाते समय आप अपने को खतरे में नहीं डालें बल्कि फायर की टीम को अपना काम करने दें।
-आग लगते ही फायर अलार्म बजाएं। यदि अलार्म नहीं हैं तो दरवाजा खटखटाएं और बाहर निकलते समय दूसरों को भी सतर्क करें।
-आग लगने पर दूसरों को बचाने को कोशिश तभी करें, जब आप खुद सुरक्षित हों। वरना बिल्डिंग से दूर चले जाएं।
-अग्निशमन यंत्र चलाने का प्रशिक्षण फायर विभाग से लेना चाहिए ताकि फायर सिस्टम खुद चला सकें।