Health Tips: मोटापा और थायराइड से अस्थमा की समस्या; यहां जानिए... बीमारी के प्रमुख लक्षण और किस तरह करें बचाव

कानपुर, अमृत विचार। अगर आपको मोटापा है अथवा थायराइड है, तो ऐसे में सचेत रहने की जरूरत है। इनकी वजह से अस्थमा का खतरा काफी बढ़ सकता है। मोटापा या थायराइड ग्रस्त व्यक्ति को सांस संबंधी कोई भी समस्या हो तो बिना देरी और लापरवाही किए जांच करानी चाहिए, ताकि फेफड़े की बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सके।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध मुरारीलाल चेस्ट अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन थायराइड से पीड़ित 10 से 12 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, जबकि 20 से 22 लोग मोटापा ग्रस्त पहुंचते हैं, जिनको अस्थमा संबंधित समस्या रहती है। इन दोनों ही बीमारी में व्यक्ति को सांस फूलने, सांस लेने में तकलीफ व खांसी आने जैसी समस्या होती है, जो अस्थमा के मुख्य लक्षणों में शामिल है। ऐसे में लक्षणों पर ध्यान देने की विशेष जरूरत है।
मुरारीलाल चेस्ट अस्पताल के वरिष्ठ चेस्ट फिजीशियन डॉ.संजय कुमार वर्मा ने बताया कि अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में सुधार करने की काफी जरूरत होती है। मोटापे और अस्थमा के बीच गहरा कनेक्शन है। मोटापा कई कारणों से अस्थमा की समस्या को गंभीर बना सकता है। मोटापे की वजह से शरीर में कई बदलाव आते हैं, जिसमे सूजन व हार्मोनल बदलाव आदि शामिल हैं।
उनका कहना है कि मोटापे की वजह से शरीर के हर हिस्से में क्रॉनिक सूजन यानी लंबे समय तक रहने वाली सूजन हो सकती है, जिसमें श्वांस नली भी शामिल है। सूजन की वजह से श्वांस नली संकरी होने लगती है, जिसके कारण अस्थमा के मरीजों की समस्या बढ़ सकती है। इस कारण सांस लेने में तकलीफ होने के साथ ही स्लीप एपनिया जैसी समस्या भी हो सकती है।
वजन बढ़ने से छाती, पेट पर पड़ता दबाव
डॉ.संजय वर्मा ने बताया कि वजन ज्यादा होने की वजह से छाती और पेट पर काफी दबाव पड़ता है, जिसके कारण फेफड़े पूरी तरह फूल नहीं पाते और इस वजह से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इसके कारण फेफड़े ठीक से फंक्शन नहीं कर पाते। फेफड़ों के ठीक से काम न करने की वजह से एक्सरसाइज जैसी एक्टिविटी करते समय सांस फूलने या सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। मोटापे से स्लीप एपनिया, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और गैसट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज होने का जोखिम रहता है, जो अस्थमा के लक्षणों को और गंभीर बना सकते हैं।
घर की धूल, काकरोच और बिल्ली से हो सकती एलर्जी
मुरारीलाल चेस्ट अस्ताल में वर्तमान में सौ मरीजों पर एक स्टडी की जा रही है, जिनमे यह देखा जा रहा है कि मरीज को किस वजह से एलर्जी हो रही है। अभी तक हुई स्टडी में यह सामने आया है कि घर की खिड़की दरवाजे, बेड, तकिया, चादर, पायदान आदि में जमी धूल से 15 से 20 फीसदी को एलर्जी है, जबकि ककरोच की वजह से 7 से 8 फीसदी, पोलन एलर्जी से 8 से 10 फीसदी और कुत्ते व बिल्ली से 6 से 7 फीयदी लोगों को एलर्जी की समस्या है। ऐसे में लोगों को बचाव की जानकारी दी जा रही है।
अस्थमा होने के प्रमुख कारण
-फूलों और फसलों के परागकण।
-धूल और धुआं
-सॉफ्ट ट्वॉय की धूल
-घर की मिट्टी (डस्ट माइट)
-घर के पर्दों पर जमी धूल
-फर्नीचर की पॉलिश
-घर में लगी वॉल हैंगिंग
-पालतू जानवर (कुत्ता, बिल्ली और खरगोश) के बालों की एलर्जी।
ऐसे करें बचाव
-सॉफ्ट ट्वॉय नियमित रूप से धोने चाहिए।
-खिलौने साफ करके कुछ घंटे के लिए फ्रीजर में रख दें।
-चादर और पर्दे भी सप्ताह में जरूर धोएं।
-घर के कंबल, रजाई-गद्दे, तकिया को नियमित धूप में रखें।