लखीमपुर खीरी : सुप्रीम कोर्ट से टेनी के बेटे को मिली राहत, हफ्ते में एक दिन परिवार से मिल सकेंगे आशीष

दो न्यायमूर्तियों की खंडपीठ ने जमानत की शर्त में दी रियायत

लखीमपुर खीरी : सुप्रीम कोर्ट से टेनी के बेटे को मिली राहत, हफ्ते में एक दिन परिवार से मिल सकेंगे आशीष

लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। तिकुनिया हिंसा कांड में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री पूर्व खीरी सांसद अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू को बड़ी राहत दी है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने जमानत की शर्त में रियायत देते हुए कहा है कि आशीष मिश्रा हफ्ते में एक दिन लखीमपुर जाकर अपने परिवार के साथ रह सकता है। आशीष हर शनिवार शाम लखीमपुर जाएगा और रविवार की शाम तक वहां रहेगा।

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा मोनू पर 2021 के लखीमपुर हिंसा मामले में लगाई गई जमानत की शर्त में ढील दी। उन्हें सप्ताह के अंत में अपने परिवार से मिलने की अनुमति दी है। आशीष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ के समक्ष दलील दी कि उनका मुवक्किल पिछले चार साल से अपनी बेटियों से नहीं मिला है। इसके बाद पीठ ने जमानत की शर्त में संशोधन करते हुए उन्हें इस मुकदमे की सुनवाई लंबित रहने तक लखीमपुर से बाहर रहने को कहा। शीर्ष अदालत ने पहले आशीष को लखनऊ में रहने की अनुमति दी थी। पीठ ने संबंधित आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि आशीष 10 मई (शनिवार) की रात को लखीमपुर खीरी पहुंच सकते हैं और 11 मई (रविवार) तक वहां रह सकते हैं। उसी शाम लखनऊ लौट सकते हैं। हालांकि, पीठ ने उन्हें लखीमपुर खीरी में कोई भी राजनीतिक बैठक या गतिविधि करने से रोक दिया है। शीर्ष अदालत ने मामले में तेजी से सुनवाई के लिए गवाहों की सूची में कटौती करने का काम सरकारी वकील पर छोड़ दिया। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि मामले में एक प्रत्यक्षदर्शी ने शीर्ष अदालत की छूट के बावजूद पुलिस से संपर्क नहीं किया है। प्रसाद के अनुसार, इस प्रत्यक्षदर्शी को आशीष के खिलाफ गवाही देने के लिए कथित तौर पर धमकाया गया था। शीर्ष अदालत ने 24 मार्च को आशीष को रामनवमी के त्योहार पर लखीमपुर खीरी में अपने परिवार से मिलने की अनुमति दी थी। इसके बाद न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दायर की गई स्थिति रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया, जिसमें पुलिस ने पीड़ितों के इस दावे को खारिज कर दिया कि आशीष ने जमानत शर्तों का उल्लंघन करते हुए लखीमपुर खीरी में एक राजनीतिक रैली में भाग लिया था। पुलिस ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा कि रैली में भाग लेने की उनकी तस्वीर एक पुरानी तस्वीर थी, जिसे अब प्रस्तुत किया गया था। शीर्ष अदालत ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गवाहों को प्रभावित करने के आरोप सामने आने के बाद 20 जनवरी को उत्तर प्रदेश पुलिस से रिपोर्ट मांगी थी। आशीष मिश्रा ने आरोपों से इनकार किया था और कहा था कि हर बार जब मामला सूचीबद्ध होता है, तो शीर्ष अदालत द्वारा दी गई उनकी जमानत को रद्द कराने के लिए इस तरह के आरोप लगाए जाते हैं। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 22 जुलाई को उन्हें जमानत दे दी थी और दिल्ली और लखनऊ में उनकी आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था।

यह था मामला
पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री पूर्व खीरी सांसद अजय मिश्र टेनी के पैतृक गांव में उनके पिता की याद में तीन अक्टूबर 2021 को विराट दंगल और कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या को जाना थी। तीन कृषि कानून और संपूर्णानगर क्षेत्र में किसानों के प्रति दिए गए टेनी के बयानों से नाराज हजारों की संख्या में किसान विरोध करते हुए तिकुनिया में उग्र प्रदर्शन कर रहे थे। डिप्टी सीएम की अगवानी करने जा रही पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की थार से चार किसानों, एक पत्रकार की कुचलकर मौत होने के बाद हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में तीन भाजपा कार्यकर्ता भी मारे गए थे। इस मामले में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष मिश्र मोनू, अंकित दास व सुमित जायसवाल और किसानों पर रिपोर्ट दर्ज हुई थी। सभी को एसआईटी ने जेल भेजा था। मामले में किसानों ने बड़ा आंदोलन किया था। इससे यह मामला देश भर में चर्चित रहा।

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