प्रयागराज : प्रथम बौद्ध मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के बनने पर दलित संगठनों में खुशी की लहर

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Published By Vinay Shukla
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प्रयागराज :  भारतीय न्यायिक सेवा विभाग के सर्वोच्च संस्थान सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ की कुर्सी पर जस्टिस बीआर गवई के शपथ लेते ही प्रयागराज के दलित सामाजिक संगठनो प्रबुद्ध फाउंडेशन, देवपती मेमोरियल ट्रस्ट, डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा) आदि में खुशी की लहर दौड़ गई।

प्रबुद्ध फाउंडेशन के सचिव उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज ने बताया कि भारत के मुख्य न्यायाधीश मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में इस पल को स्वयं के लिए गौरवशाली बताया और कहा कि मेरे पिता आरएस गवई बिहार के पूर्व राज्यपाल उन भाग्यशाली लोगों में थे जिन्होंने डा. बाबासाहेब भीमराव रामजी अम्बेडकर के साथ 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर के दीक्षा भूमि में बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी।  बीआर गवई भारत के पहले बौद्ध चीफ़ जस्टिस है जो उनके लिए गौरव की बात होने के साथ लोकतंत्र में संविधान की सर्वोच्चता का प्रमाण भी होगा। यद्यपि निजी तौर पर जस्टिस गवई सभी धर्मों के पूजा स्थलों में समान भाव से जाते है और श्रद्धा रखते है।

पहलगाम हमले पर दुःख व्यक्त करने के साथ जस्टिस गवई ने यूक्रेन-रूस युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि युद्धों से कुछ हासिल नहीं होता परन्तु कभी - कभी यह आवश्यक हो जाते हैं। देश पर संकट के समय न्यायपालिका के लोगों पर भी भारत के सामान्य नागरिक जैसा ही असर होता है इसलिए न्यायालय तटस्थ नहीं रह सकता। चाहे कुछ लोगों को बुरा लगे लेकिन जहां आवश्यक होगा वहां हम बोलेंगे। प्रथम बौद्ध मुख्य न्यायाधीश को प्रयागराज की धम्म भूमि से आईपी रामबृज, गुलाब चमार, विजय सरोज, चांद मोहम्मद, अवधेश गौतम, अभय राज सिंह, कुमार सिद्धार्थ, शुकदेव राम, बीआर दोहरे, बहादुर राम, जीडी गौतम, आरआर गौतम, राम चन्द्र, सुशील मौर्य, रत्नाकर सिंह पटेल, राजेश यादव आदि ने बधाइयां दी।

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