UP : नये डीजीपी राजीव कृष्ण बीहड़ में तोड़ चुके हैं अपहरणकर्ताओं की कमर
कई अधिकारी थे डीजीपी बनने की दौड़ में, सबको छोड़ दिया पीछे
लखनऊ, अमृत विचार। प्रदेश के नये कार्यवाहक डीजीपी बनाये गए राजीव कृष्ण वर्ष 2004 में आगरा में एसएसपी के तौर पर अपनी कार्यशैली के कारण काफी चर्चा में रह चुके हैं। उन्होंने उस समय पर आगरा में अपराधियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया था। साथ ही, बीहड़ में सक्रिय अपहरण गिरोहों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की थी। नये भूमिका में अपनी नियुक्ति के दौरान उन्होंने दौड़ में शामिल कई अफसरों को पीछे छोड़ दिया।
20 जून 1969 को जन्में राजीव कृष्ण मूल रूप से गौतमबुद्धनगर के रहने वाले हैं। उन्होंने बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन की पढ़ाई की। स्नातक के बाद उन्होंने 1991 में संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की और आईपीएस अफसर के रूप में चयनित हुए। उनकी पत्नी मीनाक्षी सिंह वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी हैं और लखनऊ स्थित आयकर विभाग के मुख्यालय में तैनात हैं। डीजीपी की दौड़ में राजीव कृष्ण के अलावा 1990 बैच के आईपीएस बीके मौर्य समेत कई अधिकारी दौड़ में थे, पर उन्हें सफलता नहीं मिली।
राजीव कृष्ण ने मथुरा, इटावा, आगरा, नोएडा और लखनऊ में एसपी/एसएसपी जैसे चुनौतीपूर्ण पदों पर कार्य किया। वह यूपी एटीएस (एंटी टेरर स्क्वाड) के संस्थापक प्रमुख थे। इसके अलावा, उन्होंने बीएसएफ में आईजी ऑपरेशंस के रूप में कार्य किया। उनकी सेवानिवृत्ति में चार वर्ष और एक माह का समय बाकी है, जिसकी वजह से वह प्रदेश के स्थायी डीजीपी भी बन सकते हैं।
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