पीलीभीत: 1200 रुपये किलो बिक रहा कटरुआ, अब नींद से जागे पीटीआर के जिम्मेदार, जारी की एडवाइजरी
पीलीभीत, अमृत विचार। बारिश के साथ ही पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगलों में कटरूआ (जंगली सब्जी) की बहार भी आ गई है। वैसे तो संरक्षित वन क्षेत्र होने के चलते पीलीभीत टाइगर रिजर्व में आम आदमी के जाने पर प्रतिबंध है। मगर, सुरक्षा तंत्र को धता बताकर इन्हें बीनने वाले जंगल में घुस ही जाते हैं। इतना ही नहीं बाहर आकर बाजार में भी खुलेआम कटरुआ की बिक्री महंगे दाम पर होती है। इस बार भी मानसूनी दस्तक के साथ कटरुआ बाजार में दस्तक दे चुका है। करीब बीस दिन से 1200 रुपये किलो के हिसाब से कटरुआ की बिक्री चल रही है और पीटीआर प्रशासन की नींद अब खुली है। हर साल की तरह टाइगर रिजर्व प्रशासन ने औपचारिता निभाते हुए मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंका और अवैध घुसपैठ को लेकर अब एक एडवाजरी जारी की है। जिसमें लोगों से कटरुआ और धरती के फूल न खरीदने की अपील की गई है। साथ ही कटरुआ की बिक्री एवं खरीद करते पाए जाने पर वन्यजीव अधिनियम के तहत कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई है।
बरसाती सीजन के दौरान पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल में सॉल के पेड़ों के नीचे प्राकृतिक रूप से जमीन के नीचे कटरूआ निकलने शुरू हो गए हैं। जंगलों में पाई जाने वाली इस जंगली सब्जी कटरुआ को लोग बड़े ही चाव से खाते हैं। बताते हैं कि जैसे ही इसका सीजन शुरू होता है, जंगल के आसपास बसे आबादी क्षेत्र के लोग घुसपैठ करके कटरूआ बीनने में जुट जाते हैं। कटरूआ बाजार में ऊंची कीमत पर बिकता है। ऐसे में गांव के लोग अपनी जान जोखिम में डालने से गुरेज नहीं करते हैं। हालांकि टाइगर रिजर्व प्रशासन कटरुआ को लेकर हर साल ही जंगल के भीतर होने वाली अवैध घुसपैठ की रोकथाम का दावा करता आ रहा है, लेकिन बाजारों में बिकने वाला कटरुआ टाइगर रिजर्व प्रशासन की सुरक्षा पर भी सवालिया निशान उठाता चला आ रहा है। इधर मानसून सीजन शुरू होते ही एक बार फिर जनपद के बाजारों में कटरुआ की बिक्री शुरू हो चुकी है। टाइगर रिजर्व प्रशासन द्वारा कटरुआ को लेकर जंगल में होने वाली घुसपैठ लेकर खासी सतर्कता के दावे किए गए हैं।
डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने सभी रेंज अफसरों को कटरुआ को लेकर होने वाले अनाधिकृत प्रवेश के रोकथाम को लेकर कड़ी निगरानी के निर्देश दिए हैं। वहीं टाइगर रिजर्व प्रशासन ने कटरुआ एवं धरती के फूल को लेकर एक एडवाइजरी भी जारी की है। डिप्टी डायरेक्टर की ओर से जारी की गई इस एडवाइजरी में कहा गया है कि पीटीआर में कटरुआ और धरती के फूल को एकत्रित करने के लिए ग्रामीणों द्वारा अवैध रूप से प्रवेश करने की संभावना बनी रहती है। पिछले वर्षों में इसके चलते कुछ ग्रामीणों की बाघ और भालू हमले में मौतें भी हो चुकी है। ऐसे में लोग आरक्षित वन के अंदर अनाधिकृत रूप से प्रवेश न करें। यदि कोई व्यक्ति अनाधिकृत रूप से जंगल में घूमता पाया जाता है तो उसके खिलाफ वन्यजीव अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही लोगों से भी कटरुआ आदि न खरीदने की अपील की गई है। एडवाइजरी में कटरुआ की खरीद और बिक्री करते पाए जाने पर भी वन्यजीव अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है।
नब्बे के दशक का कटरुआ कांड चर्चित, 29 ग्रामीणों की गई थी जान
बताते हैं कि पीलीभीत में खालिस्तानी आतंकवाद अस्सी-नब्बे के दशक में चरम पर था। उस वक्त तराई का पूरनपुर तहसील क्षेत्र का इलाका काफी प्रभावित रहा था। उस दौरान कई आतंकवादी संगठनों की दस्तक रही। बड़ी-बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया गया। सबसे चर्चित कांड की बात करें तो वह था..दियोरिया कलां जंगल का कटरुआ कांड। 31 जुलाई 1992 को घुंघचिहाई और शिवनगर गांव के रहने वाले 29 ग्रामीणों की जंगल में छिपे आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। ग्रामीण जंगल में कटरुआ (जंगल की सब्जी) बीनने के लिए गए थे। मगर, वहां पर पहले से ही आतंकवादी छिपे हुए थे। तीन अगस्त 1992 को ग्रामीणों के शव गढ़ा रेंज के जंगल के भीतर नदी किनारे मिले थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के राजनीतिक सलाहकार कुंवर जितेंद्र प्रसाद ने दोनों ग्रामों का दौरा किया था। यह सामूहिक हत्याकांड प्रदेश ही नहीं देशभर में सुर्खियां बना रहा था।
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