Awas Vikas में गरीबों को आवास के लिए करना होगा इंतजार, कर्मचारियों ने खुद से ही लागू की अपनी स्कीम, जानें पूरा मामला
लखनऊ, अमृत विचार : आवास विकास अपनी योजनाओं में कम समय में ज्यादा कमाई के फेर में नए नियम बना रहा है। इससे गरीबों को आवास विकास की योजनाओं में अब मकान मिलना आसान नहीं होगा। परिषद ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लखनऊ स्थित अवध विहार योजना में गरीबों के लिए बनाये गए फ्लैट के आवंटन में पहली बार दो कैटेगरी बना दी हैं। जिस आवेदक ने कैश जमा किया उसे प्राथमिकता पर तुरंत फ्लैट आवंटित कर दिया गया और किश्त पर मकान पाने के लिए इंतजार कर रहे लोग चक्कर लगा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि आवास विकास ने किस नियम के तहत केंद्र और राज्य सरकार की इस योजना में मनमाने तरीके से बदलाव किया है।
सालाना 3 लाख से कम कमाने वाले कैसे जमा करेंगे एकमुश्त धनराशि
प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन करने वालों की पात्रता की जांच डूडा कराता है। नियमानुसार शहरी क्षेत्र के आवेदकों की अधिकतम आय 3 लाख रुपये वार्षिक से अधिक नहीं होनी चाहिए और उसके पास उस शहर में कोई दूसरा मकान न हो। प्रधानमंत्री आवास की कीमत लगभग 6 लाख रुपये है। इसमें लगभग 2.5 लाख रुपये की सब्सडी है। कैश विकल्प चुनने वाले आवंटी लगभग 3.5 लाख रुपये 60 दिन में कैसे जमा कर सकेंगे। इससे आवंटियों की ही पात्रता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
744 पीएम आवास में से कैश विकल्प चुनने वाले 521आवेदकों को हुआ आवंटन
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अवध विहार योजना में खाली 744 फ्लैट के लिए आवास विकास ने 25 जुलाई को लॉटरी का आयोजन किया था। डूडा द्वारा 4991 पात्र आवेदकों की लिस्ट जारी की गई थी। लॉटरी में इनमें से कैश विकल्प चुनने वाले 621 आवेदकों में से 521 को आवास विकास ने तत्काल लॉटरी के माध्यम से घर का आवंटन कर दिया। वहीं किश्तों पर आवेदन करने वाले 4370 लोगों में से केवल 167 लोगों को ही फ्लैट का आवंटन हुआ। अब केवल 39 फ्लैट बचे हैं।
सम्पत्ति कार्यालय के बाहर देर रात तक लगी रही लाइन
आवंटन से ठीक एक दिन पहले आवास विकास की वृंदावन योजना सेक्टर 9 स्थित अवध विहार सम्पत्ति कार्यालय के बाहर देर रात तक बिचौलियों और आवेदकों का जमावड़ा लगा रहा। कैश के विकल्प की जानकारी बहुत लोगों को देर में हो पायी। आरोप है कि बाबुओं की मदद से बिचौलियों ने कई आवेदकों के फार्म पर कैश के विकल्प पर टिक लगा दिया। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए 50 हजार से 1 लाख रुपये में डील हुई।
यह व्यवस्था हमारे यहां 2020-21 से लागू है। जिनसे एकमुश्त पैसा लिया जा रहा है वे भी पात्र और गरीब हैं। अभी लखनऊ में 111 फ्लैट रिक्त हैं। इस पर फिर से विचार हुआ है, जिसमें किश्त पर ही आवंटन करने का निर्णय लिया गया है। आगे जो उचित होगा वह निर्णय लिया जाएगा।
-डॉ. नीरज शुक्ला, अपर आवास आयुक्त एवं सचिव, उप्र आवास एवं विकास परिषद
