राजधानी में किराए की कोख का आया तीसरा आवेदन, जानें कौन बन सकता है Surrogate Mother
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लखनऊ, अमृत विचार : कानपुर रोड के रहने वाले दंपति ने किराए की कोख (सरोगेसी) का आवेदन मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय में किया है। यह आवेदन राजधानी का तीसरा आवेदन हैं। आवेदन मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग आगे की प्रक्रिया शुरू करा दी है। इसके पहले एक चिकित्सक और जानकीपुरम के एक दंपति ने आवेदन किया था। इनमें से चिकित्सक का आवेदन कानूनी रूप से वैध न पाए जाने पर निरस्त कर दिया गया था।
कानपुर रोड के रहने वाले दंपती ने सीएमओ कार्यालय में पत्र भेजकर किराये की कोख लेने की इच्छा जताते हुए अनुमति मांगी है। पति ने अपने पत्र में हवाला दिया है कि उनकी पत्नी गर्भधारण नहीं कर सकती है। लिहाजा सरोगेसी के लिए इजाजत दी जाए। दंपति ने सेरोगेट मां की भी तलाश पूरी कर ली है। नए नियम के तहत डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी की अनुमति के बाद ही प्रक्रिया पूरी हो पाएगी। जांच में पत्नी के गर्भधारण के लिए अनफिट पाए जाने पर ही दंपति को किराये की कोख की इजाजत मिलेगी। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है कई चरणों की जांच पड़ताल के बाद कमेटी अनुमति देगी।
2021 में मिली थी कानून को मंजूरी
स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने बताया कि चोरी छिपे किराए की कोख लेने पर बच्चे के कानूनी हक को लेकर समस्याएं खड़ी होती थी। इसको कानूनी रूप देने के लिए 17 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में बिल पारित कर लिया गया था। इसके बाद 2021 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस कानून को मंजूरी दे दी। नए कानून से किराए की कोख से जन्मे बच्चे को पूरा कानूनी हक मिलता है। केवल मातृत्व सुख प्राप्त करने के लिए ही सरोगेसी की अनुमति दी जाती है। आवेदन के बाद सीएमओ की ओर से गठित जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंपती है।
इसे कहते हैं किराए की कोख (सरोगेसी)
किराए की कोख के लिए दूसरी महिला को तैयार करने के बाद डॉक्टर आईवीएफ तकनीक के जरिए पुरुष के स्पर्म में से शुक्राणु लेकर उसे महिला की कोख में प्रतिरोपित करते हैं। सरोगेट मदर की प्रेग्नेंसी के दौरान स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखना और सारे खर्च की जिम्मेदारी दंपति को ही लेना होता है। पारंपरिक सरोगेसी में बच्चे का जेनेटिक संबंध केवल पिता से होता है।
इन परिस्थितियों में ही मिलेगी अनुमति
-नए कानून के मुताबिक, सरोगेसी की अनुमति तभी दी जाएगी जब संतान के लिए इच्छुक जोड़ा मेडिकल कारणों से बांझपन से प्रभावित हो। यानी सामान्य तौर पर दंपति संतान सुख के काबिल न हो।
- जब तमाम तरह के इलाज के बावजूद भी महिला का गर्भपात हो रहा हो तब सरोगेसी की मदद ली जा सकती है।
-गर्भाशय या श्रोणि विकार होने पर सेरोगेसी को विकल्प के तौर पर देखा जा सकता है।
-भ्रूण आरोपण उपचार के फेल्योर के बाद सरोगेसी के जरिए बच्चा हासिल किया जा सकता है।
-हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम या अन्य गंभीर तरह की जेनेटिक स्वास्थ्य समस्याओं में भी कई बार डॉक्टर सरोगेसी का सहारा लेने की सलाह देते हैं।
-रिश्तेदार ही बन सकती है सरोगेट मां, बदले में नहीं देनी है आर्थिक मदद
-शादीशुदा महिला वह भी एक बार ही सरोगेट मदर बन सकेगी।
-सरोगेट मां विवाहित होना चाहिए।
-सरोगेट मां की उम्र 25 साल व उसका एक बेटा भी होना चाहिए।
-सरोगेट मां और दंपति के बीच अनुबंध जरूरी।
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