प्रयागराज में बाढ़ का आसार, गंगा-यमुना का जलस्तर 45 सेमी पार : किसानों की मेहनत जलमग्न, सैकड़ों परिवार परेशान
प्रयागराज में तेजी से बढ़ रहा गंगा-यमुना का जलस्तर, सैकड़ों परिवार प्रभावित, गंगा 45 यमुना 40 सेमी बढ़ी
प्रयागराज, अमृत विचार : मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हो रही जोरदार बारिश का पानी अब संगम पहुंचने लगा है इससे दोनों नदियों के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। दोनों नदियों के बढ़ते हुए जलस्तर से जिले की सात तहसीलों के कछारी क्षेत्रों की ओर बाढ़ का पानी तेजी से बढ़ने लगा है। तीर्थ पुरोहित, नाविक, दुकानदार सहित अन्य लोग संगम सहित अन्य घाटों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गये है। प्रशासन दोनों नदियों के बढ़ते हुए जलस्तर को देखते हुए कछारी क्षेत्रों में 80 बाढ़ चौकियां बनाकर गश्त शुरू करवा दिया है।
जिले की सदर, सोरांव, फूलपुर, हण्डिया, करछना, मेजा और बारा के 200 गांव गंगा, यमुना के बढ़ते हुए जलस्तर से प्रभावित होंगे। बाढ़ का पानी संगम तक पहुंचने से दोनों नदियों के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। गंगा का जल स्तर फाफामऊ में 77.85 मीटर, छतनाग में 75.45 मीटर और नैनी में यमुना का जलस्तर 75.87 मीटर है। इस प्रकार पिछले 24 घण्टे में फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 45 सेमी और छतनाग में 35 सेमी और नैनी में यमुना का जलस्तर 40 सेमी बढ़ा है जबकि प्रयागराज में दोनों नदियों के खतरे का निशान 84.734 मीटर है। बाढ़ प्रखंड का कहना है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और प्रदेश में हो रही जोरदार बारिश का पानी संगम आ रहा है। इसके बढ़ने की संभावना है।
गंगा, यमुना के बढ़ते जल स्तर को देखते हुए तीर्थ पुरोहितों, नाविक और दुकानदार संगम, रामघाट, दारागंज के निचले इलाके से हटकर सुरक्षित स्थानों पर चले गए है। झूंसी, छोटा बघाड़ा और दारागंज के निचले हिस्से में रहने वाले लोग बाढ़ के पानी से प्रभावित हो गये है। गंगा, यमुना के बढ़ते हुए जलस्तर से प्रयागराज जिले की सदर, सोरांव, फूलपुर, हण्डिया ,करछना, मेजा और बारा के बड़ी संख्या में गांव बाढ़ की चपेट में शीघ्र आने वाले हैं। प्रशासन ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में 80 चौकियां बनाकर गश्त शुरू करवा दिया है। दोनों नदियों के बढ़ते हुए जलस्तर से कछारी क्षेत्र छोटा बघाड़ा, शिवकुटी, नया गांव, रसूलाबाद, गंगानगर,हेता पट्टी , झूंसी और नैनी का निचला हिस्सा प्रभावित होने लगा है।
किसानों की मेहनत पर फेरा पानी
गंगा, यमुना के बढ़ते हुए जलस्तर से झूंसी, फाफामऊ और नैनी के कछार में पैदा होने वाली सब्जी की खेती भी डूबने लगी है इससे किसानों का जहां भारी नुकसान हो रहा है वहीं सब्जियों की फसल डुबने से दाम भी तेजी से बढ़ने लगा है। कछार में कद्दू, नेनुआ, लौकी, टमाटर, चौरायी, करेला, खीरा, ककरी, तरबूज, भिण्डी, बैंगन सहित अन्य सब्जियां पैदा हो रही थी। नैनी क्षेत्र में पटर और पान की खेती बड़े पैमाने पर हो रही थी लेकिन बाढ़ से अब प्रभावित होने लगी है जिससे किसान परेशान हैं।
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