वकीलों के चैंबर में चल रहा था विवाह केंद्र : हाईकोर्ट की सख्ती के बाद चैंबर कराया गया खाली 

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Published By Vinay Shukla
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अमृत विचार, लखनऊ : कैसरबाग स्थित पुराने हाईकोर्ट परिसर में वकीलों के लिए आवंटित एक चैंबर में विवाह केंद्र चलाया जा रहा था। उक्त चैंबर में बाकायदा तरण द्वारा बनाकर फूल से सजाव की गई थी। एक याचिका पर सुनवाई के दौरान मामला हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के संज्ञान में आया।

न्यायालय की सख्ती के बाद उक्त चैंबर को खाली करा कर जनपद न्यायालय, लखनऊ के न विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया है। वहीं न्यायालय ने मामले में बतौर पति याचिका दाखिल करने वाले शख्स के विरुद्ध आपराधिक वाद चला जाने का निर्देश अधीनस्थ अदालत को दिया है। साथ ही मामले को स्वतः संज्ञान जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करते हुए, 11 जुलाई को पीआईएल की सुनवायी करने वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा है। 

यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने युवती व उसके पति होने का दावा कर रहे व्यक्ति अरुण यादव की याचिका पर पारित किया। याचिका में कथित पति अरुण यादव ने अपनी व युवती की शादी होने का दावा करते हुए, युवती के परिवार से सुरक्षा की मांग की थी। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि प्रगति हिन्दू समाज न्यास नाम की संस्था ने विवाह का प्रमाण पत्र जारी किया है जिसमें विवाह का स्थान ब्रह्मास्त्र लीगल एसोसिएट्स, चैंबर नंबर 31, पुरानी सीएससी बिल्डिंग, कैसरबाग दर्शाया गया है। न्यायालय ने कहा कि पुराने हाईकोर्ट में स्थित चैंबर अधिवक्ताओं को लीगल प्रैक्टिस के लिए आवंटित किए गए हैं, न कि विवाह केंद्र चलाने के लिए।

न्यायालय ने सम्बंधित डीसीपी व वजीरगंज थाने को चैंबर नं0 31 का निरीक्षण का तत्काल रिपोर्ट देने का आदेश दिया। इस पर वजीरगंज थाने की ओर से दी गई रिपोर्ट में बताया गया कि चैंबर के दरवाजे पर राघवेन्द्र मिश्रा हिन्दू व विपिन चौरसिया के नाम व मोबाइल नंबर लिखे हुए थे, संपर्क करने पर उक्त राघवेन्द्र मिश्रा हिन्दू ने स्वीकार किया कि वे लोग वहाँ शादियाँ करवाते हैं। न्यायालय ने यह भी पाया कि वहाँ होने वाले विवाह की वैधता पर संदेह है, क्योंकि हिंदू विवाह की अनिवार्य रस्म “सप्तपदी” निभाए जाने के प्रमाण नहीं हैं। 

सुनवायी के दौरान महत्वपूर्ण तथ्य यह भी सामने आया कि जिस युवती की ओर से अपनी पत्नी बताते हुए याचिका दाखिल की गई थी, उसने कथित पति अरुण यादव के दावे से इंकार कर दिया। इस पर न्यायालय ने अरुण यादव द्वारा झूठा हलफ़नामा दाखिल करने के आरोप में आपराधिक वाद चला जाने का भी आदेश दिया है।

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