RTE: पढ़ाने से किया इंकार तो होगी अवमानना की कार्रवाई, हाईकोर्ट ने निजी विद्यालयों को दी चेतावनी
लखनऊ। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत बच्चे को दाखिला मिलने के बावजूद पढ़ाने से इंकार पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने एक निजी विद्यालय को चेतावनी दी है कि अगर बच्चे को पढ़ने की स्वीकृति नहीं दी जाती तो विद्यालय के प्रधानाचार्य पर कोर्ट की अवमानना की कारवाई की जाएगी। निजी विद्यालय का दायित्व है कि वह शिक्षा का अधिकार कानून के तहत उसके पास भेजे गए बच्चों को शिक्षा दे।
न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकलपीठ ने यह आदेश गोण्डा के विनय कुमार वर्मा की याचिका पर दिया। याची का कहना था कि उसके बेटे को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत दाखिला देते हुए, यशमय पब्लिक स्कूल आवंटित किया गया लेकिन जब उसका बेटा इस स्कूल में गया तो उसे क्लास में जाने की अनुमति नहीं दी गई।
नोटिस मिलने के बावजूद इस स्कूल की तरफ से कोई हाजिर नहीं हुआ।
वहीं, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मामले का संज्ञान लेते हुए, स्कूल को नोटिस जारी की गई है, कि उसकी सम्बद्धता क्यों न समाप्त कर दी जाय। यह भी कहा गया कि स्कूल की ओर से अपनी सफ़ाई में बताया गया है कि बच्चे के माता-पिता के आधार कार्ड में कुछ विसंगतियां थी।
इस पर कोर्ट ने कहा कि शिक्षा के अधिकार से इंकार का यह कोई आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने याची के बेटे को स्कूल में पढ़ाई की अनुमति का आदेश स्कूल को दिया है, साथ ही चेतावनी भी दी कि यदि ऐसा न किया गया तो स्कूल के प्रधानाचार्य व्यक्तिगत रूप से अवमानना के लिए जिम्मेदार होंगे।
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