यूपी में प्राकृतिक खेती के लिए सरकार का खुला खजाना, सरकार के प्रस्ताव पर राज्यपाल ने 71.02 करोड़ की दी मंजूरी
मुख्यमंत्री योगी का प्राकृतिक खेती को लेकर सबसे ज्यादा फोकस
लखनऊ, अमृत विचार। राज्य में प्राकृतिक खेती को लेकर चल रही तैयारी अब तेजी से धरातल पर साकार होती दिखेगी। खोती संग कृषि सखियों की नियुक्ति से हजारो लोगों को रोजगार भी मिलेंगे। केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने इसके लिए खजाना खोल दिया है। योगी सरकार के प्रस्ताव पर कृषि निदेशक को 71 करोड़ 2 लाख 30 हजार से अधिक धनराशि देने की मंजूरी राज्यपाल ने दे दी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्राकृतिक खेती को लेकर सबसे ज्यादा फोकस है। जैविक खेती का सर्वाधिक रकबा गंगा के मैदानी इलाके का है। इंडो-गंगेटिक मैदान का यह इलाका दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में शुमार होता है। एक वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 15 फीसदी खेती लायक जमीन भारी धातुओं से प्रदूषित हो चुकी है। कई क्षेत्रों की मिट्टी में आर्सेनिक, कैडियम, कोबाल्ट, क्रोमियम, कॉपर, निकल, लेड जैसी खतरनाक धातुओं की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है। इसके सोर्स खनन, औद्योगिक उत्सर्जन, कचरे का अनियोजित निस्तारण के अलावा खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का बेतहाशा प्रयोग भी है।
यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी लगातार जैविक व प्राकृतिक खेती समेत मोटे अनाजों की खेती को प्रोत्साहन देते दिखते हैं। बुंदेलखंड और गंगा के तटवर्ती इलाकों के बाद गंगा की सहयोगी नदियों के दोनों किनारों पर भी ऐसी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार के प्रस्ताव पर राज्यपाल की स्वीकृति के बाद शासन ने कृषि निदेशक को नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के तहत 58 करोड़ 57 लाख 78 हजार 43 रुपये स्वीकृत किए हैं। इसमें 35 करोड़ 14 लाख 67 हजार 6 रुपये केंद्रांश और और 23 करोड़ 43 लाख 11 हजार 37 रुपये राज्यांश के रूप में दिया है। इसमें 39.83 करोड़ सब्सिडी, 18.59 करोड़ अन्य व्यय और 15 लाख आउटसोर्सिंग सेवाओं के लिए है। इसी के साथ इसी योजना में एक अन्य शासनादेश में कृषि निदेशक को 12 करोड़ 44 लाख 60 हजार रूपये दिए गए हैं। इसमें 8.57 करोड़ सब्सिडी देनी है, जबकि 3.85 करोड़ अन्य व्यय और दो लाख रुपये आउटसोर्सिंग सेवाओं के लिए है।
कृषि सखियों को हर माह 5 हजार, 17 लाख स्वीकृत
प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए प्रति माह 5 हजार रुपये के मानदेय पर कृषि सखियों की नियुक्ति की जा रही है। इसके लिए पहली बार 17 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है। कृषि सखियों को संबंधित जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के एक्सपर्ट प्रशिक्षण देंगे। प्राकृतिक खेती के लिए हर जिले में दो बायो इनपुट रिसर्च सेंटर (बीआरसी) भी खुलेंगे। सरकार की मंशा 282 ब्लाकों, 2144 ग्राम पंचायतों की करीब 2.5 लाख किसानों को इससे जोड़ने की है। खेती क्लस्टर में होगी। हर क्लस्टर 50 हेक्टेयर का होगा। सरकार इस योजना पर अगले दो वर्ष में करीब 2.50 अरब रुपये खर्च करेगी।
गो आधारित प्राकृतिक खेती मिशन हो रहा कारगर
योगी सरकार बुंदेलखंड के झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा और चित्रकूट में गो आधारित प्राकृतिक खेती मिशन चला रही है। किसान गोबर व गोमूत्र से ही खाद और जीवामृत, बीजामृत और घनजीवामृत जैसे मिश्रण बनाकर कीटनाशक का खेत और फसल में प्रयोग के लिए प्रशिक्षित हो रहे हैं। प्राकृतिक खेती निराश्रित गोवंशों का सहारा भी बनेगी।
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