World Hepatitis Day : हेपेटाइटिस से पीड़ित मरीजों का मुफ्त हो रहा इलाज
लखनऊ, अमृत विचार। विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाने का मकसद है लोगों को यह बताना कि हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय रहते जांच और इलाज से इसे रोका जा सकता है। इसके जरिए लोगों को टीकाकरण, जांच और लक्षणों की पहचान के लिए प्रेरित किया जाता है। हेपेटाइटिस को नजरअंदाज करना लिवर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। यह कहना है केजीएमयू के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. सुमित रुंगटा का। डॉ. सुमित ने बताया सरकारी मेडिकल कॉलेज व संस्थानों में वर्ष 2018 से नेशनल हेपेटाइटिस प्रोग्राम चल रहा है। केजीएमयू में भी संचालित इस प्रोग्राम के तहत हेपेटाइटिस संक्रमण की पहचान व इलाज मुफ्त मुहैया कराया जा रहा है। अब तक हेपेटाइटिस सी के करीब पांच हजार और बी के तीन हजार मरीज पंजीकृत हो चुके हैं। आंकड़े के मुताबिक नियमित दवा लेने से हेपेटाइटिस सी से ग्रसित मरीज के ठीक होने की सम्भावना 98 फीसदी तक है। इसका इलाज तीन से छह माह चलता है। वहीं, हेपेटाइटिस बी के मरीज अधिक आते हैं। इनमें महज 10 फीसदी लोगों को ही इलाज की आवश्यकता होती है। इसके आलावा हेपेटाइटिस ए और ई का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है। यह खुद-ब-खुद भी तय समय में ठीक हो जाता है।
40 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी और 55 लाख सी से पीड़ित
पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमान का कहना है कि देश के करीब 40 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी और करीब 55 लाख लोग हेपेटाइटिस सी से पीड़ित है। संस्थान में करीब डेढ़ वर्ष पहले शुरू हुई इस क्लीनिक की ओपीडी में रोज करीब छह नए रोगी हेपेटाइटिस के आते हैं। जबकि पुराने रोगी 50 से अधिक होते हैं। हेपेटाइटिस बी को इलाज लम्बे समय तक चलता है। जबकि हेपेटाइटिस-सी करीब 12 हफ्ते के इलाज में ठीक हो जाता है।
हेपेटाइटिस से डरे नहीं, इलाज कराएं
वरिष्ठ गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अजय चौधरी का कहना है कि हेपेटाइटिस से डरने की जरूरत नहीं है। यह खून के संक्रमण से बीमारी होती है। यदि किसी को जांच में हेपेटाइटिस निकलता है, तो अच्छे डॉक्टर को दिखाकर इलाज कराएं। शुरू में नियमित इलाज से बीमारी को काबू किया जा सकता है। घर के सभी सदस्य इसकी जांच कराएं। रोगी के साथ भेदभाव न करें। हेपेटाइटिस बी का टीका सभी को लगवाना चाहिए। इलाज में देरी होने पर रोगी को सिरोसिस हो सकता है। इससे जोखिम बढ़ जाता है।
28 जुलाई को ही क्यों मनाते हैं विश्व हेपेटाइटिस दिवस
केजीएमयू के डॉ. सुमित रुंगटा ने बताया दरअसल, 28 जुलाई को ही डॉ. बरूच सैमुअल ब्लमबर्ग का जन्मदिन होता है। ये वही वैज्ञानिक हैं जिन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की थी और इसके लिए वैक्सीन भी बनाई थी। उनकी खोज ने दुनिया भर में करोड़ों लोगों की जिंदगी बचाने में मदद की। इसलिए इस तारीख को विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मकसद लोगों को यह बताना कि हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय रहते जांच और इलाज से इसे रोका जा सकता है। इसके जरिए लोगों को टीकाकरण, जांच और लक्षणों की पहचान के लिए प्रेरित किया जाता है।
वायरस के प्रकार और होने का कारण
1-हेपेटाइटिस ए (एचएवी): दूषित जल व भोजन से फैलता है। खुद-ब-खुद ठीक भी हो सकता है।
2-हेपेटाइटिस बी (एचबीवी): संक्रमित खून, सुई या यौन संबंध से फैलता है। मां से बच्चे को भी हो सकता है। क्रोनिक रूप ले सकता है (लंबे समय तक लीवर को नुकसान)
3- हेपेटाइटिस सी (एचसीवी): संक्रमित खून के संपर्क से फैलता है। यौन संबंध से कम संभावना, क्रोनिक हेपेटाइटिस में बदल सकता है। इलाज संभव है
4- हेपेटाइटिस डी (एचडीवी): केवल उन्हीं लोगों में होता है जिनको पहले से हेपेटाइटिस बी हो। यह ज्यादा गंभीर रूप है।
5- हेपेटाइटिस ई (एचईवी): यह दूषित पानी से फैलता है। आमतौर पर खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है। गर्भवती महिलाओं में खतरनाक हो सकता है।
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
बुखार, थकान, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, शरीर में चक्कते पड़ना, भूख में कमी, उल्टी महसूस होना और कभी-कभी पाचन संबंधी परेशानी होती है। फ्लू सिंड्रोम के रूप में कुछ मरीजों में समस्या देखने को मिलती है। जिसके बाद त्वचा और श्लेष्म झिल्ली का पीली हो जाती है। जिससे मरीज पीलिया की चपेट में आ जाता है।
