''तकनीकी'' कमी में फंसी 52 परियोजनाएं, पूरा नहीं हुआ डब्ल्यूडीसी- पीएमकेएसवाई 2.0 योजना

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार : 35 जिलों में वर्ष 2022 से धरातल पर उतरी जल संचयन की डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 योजना अब 'तकनीकी' खामी में फंसी हैं। चिह्नित 52 परियोजनाओं का स्पर्श पोर्टल में तकनीकी समस्या के कारण भुगतान नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा विभाग के पास आगे के कार्य कराने के लिए तकनीकी अधिकारी नहीं हैं। जबकि पांच साल की यह योजना मार्च 2026 तक पूर्ण करनी है और प्रगति 40 फीसदी ही है।

500 करोड़ रुपये की यह योजना परती भूमि विकास की थी। लेकिन, विभाग ने संसाधनों का अभाव होने के कारण योजना कृषि विभाग को दी थी। इसके अंतर्गत भूमि संरक्षण विभाग कार्य करा रहा है। पहले योजना की गाइडलाइन स्पष्ट नहीं थी। इससे निर्माण कार्यों की शुरुआत धीमी रही। इन हालातों में कुछ कार्य और भुगतान हुए तो तकनीकी कमी और विभागीय ऑडिट कराने में फंस गए। इसके अलावा पांचवीं किस्त वर्ष 2024 के अंत में मिलने की वजह से खर्च नहीं हो पाई। इसके बाद इस वित्तीय वर्ष में 20 मई को 46.50 करोड़ रुपये मिले। इसमें कुछ कार्य कराए गए और भुगतान के लिए बिल-बाउचर लगाए गए। जो नई व्यवस्था के तहत पोर्टल में तकनीकी समस्या के कारण भुगतान नहीं हो पाया।

बारिश से पहले नहीं हो पाए कार्य

बारिश से पहले परियोजनाओं के अंतर्गत तालाब का जीर्णाेद्धार और मरम्मत कराना था। भूजल बढ़ाने के लिए कुओं की मरम्मत व जीर्णोद्धार, जीर्ण जल संचय बंधियां, चेकडैम, कैटिल घाट, छठ पूजन घाट का निर्माण व मरम्मत, चबूतरा, सीढ़ी, रूफटॉप, हैंडपंप, सोखपिट, सिंचाई में सहायता, भूमि का समतलीकरण और कटान रोकना आदि कार्य पूर्ण नहीं हो पाए।

इन जिलों में 52 परियोजनाएं

लखनऊ, बरेली, कानपुर नगर, आजमगढ़, जौनपुर, कन्नौज, रामपुर, बदायूं, बिजनौर, संभ्, मुरादाबाद, बुलंदशहर, अमरोहा, हापुड़, कुशीनगर, देवरिया, महोबा, हमीरपुर, एटा , मथुरा, इटावा, मैनपुरी, चित्रकूट, रायबरेली, अमेठी, वाराणसी, सोनभद्र, मीरजापुर, प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, सहारनपुर व बागपत।

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