बदायूं : प्रशासनिक अधिकारी ने नियम विरूद्ध निकाली जीपीएफ धनराशि
जांच में 16.33 लाख से अधिक जीपीएफ धनराशि निकाले जाने का हुआ खुलासा
बदायूं, अमृत विचार: डीडीओ कार्यालय में कार्यरत प्रशासनिक अधिकारी ने नियम विरुद्ध जीपीएफ का लाभ ले लिया। जिसका खुलासा महालेखाकार प्रयागराज के द्वारा डीडीओ को भेजे गए पत्र के बाद हुआ। महालेखाकार के आदेश पर सीडीओ द्वारा जांच कराई गई। जिसमें चौकाने वाला प्रकरण सामने आया। प्रशासनिक अधिकारी द्वारा अधिकारियों को गुमराह करते हुए 29 बार धनराशि निकाली गई। जिसकी एंट्री तक नहीं की गई थी। पता चला कि खाता निल होते हुए भी दस लाख से अधिक धनराशि निकाली गई। जांच कमेटी ने ढाई प्रतिशत का ब्याज लगाते हुए 16 लाख से अधिक धनराशि की वसूली के लिए संस्तुति की है।
बताया जा रहा कि जिला विकास विभाग के एक लिपिक जो वर्तमान में एक ब्लॉक में कार्यरत है। उसके द्वारा डीडीओ कार्यालय में कार्यरत प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ महालेखाकार प्रयागराज को शिकायत भेजा था। और कार्रवाई के लिए मांग की थी। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए महालेखाकार प्रयागराज ने सीडीओ को जांच कर कार्रवाई के आदेश कर दिए। महालेखाकार का पत्र मिलने के बाद सीडीओ ने उपायुक्त स्वत: रोजगार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच के आदेश कर दिए। जांच अधिकारियों ने प्रशासनिक अधिकारी के जीपीएफ खाते की जांच की। जांच में चौकाने वाले वाले खुलासे हुए। पता चला कि प्रशासनिक अधिकारी ने 29 बार जीपीएफ खाते से धनराशि निकाली है। जिसकी एंट्री भी उनके द्वारा जीपीएफ पासबुक में एंट्री नहीं की है। जांच कमेटी ने जीपीएफ पासबुक में एंट्री करने पर पाया गया कि प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा अधिकारियों को गुमराह करते हुए 10,33823 धनराशि निकाली है। जिस पर जांच अधिकारियों ने 2.5 प्रतिशत ब्याज की धनराशि 5,99829 जोड़ते हुए 16,33,652 धनराशि की वसूली प्रशासनिक अधिकारी से करने की संस्तुति की है।
पटल प्रभारी रहते हुए निकाली गई धनराशि
जांच में पता चला कि प्रशासनिक अधिकारी पर जीपीएफ पटल प्रभारी रहे हैं। उनकी व्यक्तिगत पत्रावली भी उन्हीं के पास थी। पटल प्रभारी होने का लाभ उठाते हुए जीपीएफ पास में जमा और निकाली गई धनराशि का अंकन किया जाता रहा। जीपीएफ के साथ साथ एरियर का भुगतान गलत तरीके से किया गया। इस प्रकरण में जांच कमेटी ने अपना पक्ष रखने के लिए प्रशासनिक अधिकारी को नोटिस जारी किया है।
खाता है निल, दिखाई गई अधिक धनराशि
जांच रिपोर्ट पर गौर करें तो प्रशासनिक अधिकारी का बिल्कुल निल था। उसमें एंट्री न किए जाने की वजह से अधिक धनराशि दिखाई जा रही थी। अधिकारियों को अधिक धनराशि दिखाते हुए जीपीएफ निकाला जाता रहा।
जीपीएफ है बचत योजना
जीपीएफ एक बचत योजना है जिसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। इसलिए, जीपीएफ से पैसे निकालते समय नियमों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है। जांच अधिकारियों की मानें तो जरुरत होने पर जमा धनराशि से 75 प्रतिशत तक धनराशि निकाली जा सकती है। लेकिन यहां प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा खाता निल होने पर भी धनराशि निकाली जाती रही।
हर साल निकाली गई जीपीएफ धनराशि
जांच रिपोर्ट के अनुसार प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा हर साल जीपीएफ धनराशि निकाली गई। जांच रिपोर्ट पर गौर करें तो उनके द्वारा 1989 से लेकर 2024 तक 26 बार जीपीएफ धनराशि नियम विरुद्ध निकाली गई।
प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा गलत तरीके से निकाली गई जीपीएफ धनराशि की जांच कराई जा रही है। अभी जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद कार्रवाई होगी। -अखिलेश कुमार चौबे, जिला विकास अधिकारी।
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