रामपुर : पुरानी पेंशन बहाली के लिए गरजे कर्मचारी, निकाला पैदल मार्च
दी चेतावनी निजीकरण की समाप्ति तक जलेगी क्रांति की मशाल
रामपुर, अमृत विचार: पुरानी पेंशन बहाली के लिए शिक्षक गरजे और पैदल मार्च निकाला। विद्यालय मर्जर और शिक्षा के निजीकरण का विरोध जताया। चेतावनी दी कि निजीकरण की समाप्त तक क्रांति की मशाल जलती रहेगी। शुक्रवार को दिगपाल गंगवार की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करके प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपा।
नई पेंशन योजना के विरुद्ध, विद्यालयों के एकतरफा मर्जर, शिक्षा के तेजी से हो रहे निजीकरण एवं कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ अटेवा संगठन द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अपराह्न 2 बजे आंबेडकर पार्क में हुआ। जिले भर से आए शिक्षकों, कर्मचारियों और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने एकत्र होकर सरकार की नीतियों के विरुद्ध अपना तीव्र विरोध प्रकट किया। दिगपाल गंगवार ने कहा कि अटेवा केवल एक संगठन नहीं है, अटेवा क्रांति है। पुरानी पेंशन बहाली तथा निजीकरण की समाप्ति तक क्रांति की मशाल जलती रहेगी। अटेवा के चरणबद्ध आंदोलनों से एनपीएस में संशोधन होते होते यूपीएस तक सरकार पहुंच गई है। जब जब अटेवा ने विरोध दर्ज कराया तब तब उन संघर्षों के परिणामस्वरूप ही सरकार को विभिन्न लाभकारी संशोधनों के लिए विवश होना पड़ा। इसलिए अटेवा हमेशा जीतता ही आया है। संघर्ष के बल पर हू-बहू पुरानी पेंशन लेकर ही रहेंगे। एमपी सिंह ने कहा कि नई पेंशन योजना कर्मचारियों के भविष्य की खुली लूट है। यह व्यवस्था उन्हें आश्वासन की जगह अनिश्चितता में धकेल रही है।
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष कैलाश बाबू पटेल का ने कहा कि विद्यालय मर्जर शिक्षा व्यवस्था को जड़ से कमजोर कर रहा है। यह ग्रामीण विद्यार्थियों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। आरएसएम के जिलाध्यक्ष रवेंद्र गंगवार ने कहा कि शिक्षा का निजीकरण समाज के कमजोर वर्गों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित कर रहा है। यह असमानता को और बढ़ावा देगा। जूनियर शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. राजवीर सिंह ने जोर दिया कि पुरानी पेंशन सिर्फ कर्मचारी हित नहीं, यह एक संवैधानिक सामाजिक सुरक्षा का प्रश्न है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जाकिर हुसैन ने कहा कि हमारी एकजुटता ही हमारी ताकत है जो हमे हमारे उद्देश्य तक पहुंचाएगी। सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि वर्तमान में लागू नवीन पेंशन योजना एक असुरक्षित भविष्य का बंधन है, जो कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के उपरांत दर-दर की ठोकरें खाने को विवश कर देगी। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन योजना केवल आर्थिक सुरक्षा नहीं, बल्कि सम्मानजनक वृद्धावस्था का संवैधानिक अधिकार है।
कर्मचारियों ने की जोरदार नारेबाजी
सभा के बाद हजारों की संख्या में उपस्थित शिक्षक-कर्मचारी ओपीएस हमारा अधिकार है', एनपीएस गो बैक विद्यालय मर्जर वापस लो,'शिक्षा का बाजारीकरण बंद करो, जैसे नारों के साथ जिलाधिकारी कार्यालय की ओर प्रस्थान किया। जूनियर शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षक वर्ग अब केवल ज्ञापन नहीं, बल्कि निर्णायक चेतावनी देने के लिए सड़कों पर उतर चुका है। मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा गया। ज्ञापन में ओपीएस की तत्काल बहाली, एनपीएस की समाप्ति, विद्यालय मर्जर पर रोक तथा शिक्षा के निजीकरण पर नियंत्रण की मांग प्रमुखता से रखी गई।
प्रदर्शन करने वालों में यह रहे शामिल
जाकिर हुसैन, एमपी सिंह, कैलाश पटेल, डॉ. राजवीर सिंह, रवेंद्र गंगवार, अनुपम पटेल, अमरीश कुमार लेखपाल, सत्यपाल सिंह, हरीश धोनी, लवनीर सिंह, इकबाल हुसैन, राजपाल सिंह, अंकुर कंसल, रामचंद्र गौतम, हेमलता सिंह, रामबहादुर गौतम, हरद्वारी लाल, नेत्रपाल, चंद्रशेखर, वीरेंद्र दिवाकर, संगम शुक्ला, रवींद्र आर्य, रामप्रवेश यादव, ओमकार गंगवार, राजेश कुमार, शुभम सक्सेना, रामौतार, अमित राठौर, दमयंती, महिमा कपिल, लक्ष्मी, हेमलता, ज्योति सिंह, निशा रानी, प्रीति गंगवार, गीता आदि।
